इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    डिजिटल युग में ऑनलाइन मुक्त भाषण (Online free speech) के निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका को बताते हुए इसके विनियमन एवं शासन के समक्ष इससे उत्पन्न चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)

    04 Jul, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय: ऑनलाइन मुक्त भाषण और इसके महत्त्व का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • मुख्य भाग: ऑनलाइन मुक्त भाषण के निहितार्थ और भूमिका को बताते हुए इसके द्वारा शासन के समक्ष उत्पन्न होने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
    • निष्कर्ष: आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार प्रदान करता है। ऑनलाइन मुक्त भाषण से तात्पर्य इंटरनेट पर अपनी राय एवं विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने की क्षमता से है। डिजिटल युग में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म व्यक्तियों द्वारा अपनी राय व्यक्त करने और सार्वजनिक चर्चा में भाग लेने के एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरा है। इसने लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

    मुख्य भाग:

    डिजिटल युग में ऑनलाइन मुक्त भाषण के निहितार्थ और भूमिका:

    • इससे सूचनाओं के लोकतांत्रीकरण को प्रोत्साहन मिलता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ब्लॉग और ऑनलाइन फोरम के माध्यम से व्यक्ति अपने विचारों, अनुभवों और दृष्टिकोणों को वैश्विक स्तर पर साझा कर सकते हैं।
    • इससे लोग सरकारों और अन्य हितधारकों को उनके कार्यों और नीतियों हेतु जवाबदेह ठहराने में सक्षम हो पाते हैं।
    • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भ्रष्टाचार, मानवाधिकारों के हनन और अन्य सरकारी भ्रष्टाचार उजागर होने के साथ पारदर्शिता और जवाबदेहिता को बढ़ावा मिलता है।
    • इससे सत्ता के दुरुपयोग पर रोक लगती है और पारदर्शिता, न्याय तथा विधि के शासन जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा मिलता है।
    • इससे लोग सामाजिक और राजनीतिक उद्देश्यों के लिये खुद को संगठित करने हेतु सक्षम होते हैं जिससे सामाजिक आंदोलनों के साथ इनकी सक्रियता को बढ़ावा मिलता है।
    • इससे अधिक समावेशी और सहभागी लोकतंत्र के विकास में योगदान मिलता है।

    इसके विनियमन और शासन के समक्ष इससे उत्पन्न चुनौतियाँ:

    • गलत सूचना और दुष्प्रचार: डिजिटल युग में गलत सूचनाओं के प्रसार में तीव्रता आई है जिससे निर्णय लेने की प्रक्रियाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
    • हेट स्पीच और हिंसा जैसी गतिविधियों को बढ़ावा मिलना: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हेट स्पीच और हिंसा जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देने में भूमिका निभाते हैं।
    • जवाबदेहिता का अभाव: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सामग्री के मूल स्रोत का पता न लग पाने से जवाबदेहिता का अभाव बना रहता है।
    • क्षेत्राधिकार संबंधी जटिलताएँ: इंटरनेट का विस्तार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने के कारण इसके विनियमन में जटिलताएँ आती हैं। विभिन्न देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संबंध में अलग-अलग विधिक ढाँचे और सांस्कृतिक मानदंड मौजूद हैं।
    • गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: ऑनलाइन मुक्त भाषण में अक्सर व्यक्तिगत जानकारी का आदान-प्रदान होने से गोपनीयता संबंधी चिंताएँ पैदा होती हैं।
    • नैतिक और कानूनी जटिलताएँ: ऑनलाइन मुक्त भाषण से जटिल नैतिक और कानूनी प्रश्न उठते हैं।

    निष्कर्ष:

    ऑनलाइन मुक्त भाषण डिजिटल युग का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है लेकिन इसके विनियमन के साथ इससे शासन के समक्ष कई चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने और इंटरनेट पर नकारात्मक सामग्री के प्रसार की समस्या के समाधान हेतु हेट स्पीच, इंटरनेट की क्षेत्राधिकार संबंधी जटिलताओं एवं गोपनीयता संबंधी चिंताओं जैसे मुद्दों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। ऑनलाइन मुक्त भाषण की सीमाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने वाला एक नया डिजिटल इंडिया अधिनियम लाया जाना, समय की मांग है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2