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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की भूमिका और कार्यों पर चर्चा करने के साथ आर्थिक अपराधों से निपटने में इसकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये। अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में ED के समक्ष उत्पन्न प्रमुख चुनौतियों को बताते हुए इसकी दक्षता को बढ़ाने के उपाय सुझाइए? (250 शब्द)

    16 May, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • प्रवर्तन निदेशालय (ED) का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • इसके कार्यों, इसके समक्ष आने वाली चुनौतियों के साथ इन चुनौतियों को कम करने के तरीकों का वर्णन कीजिये।
    • ED की सफलता का वर्णन करते हुए सकारात्मक टिप्पणी के साथ निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    प्रवर्तन निदेशालय (ED) एक कानून प्रवर्तन एजेंसी है। यह राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय के तहत कार्य करता है तथा यह वित्तीय अपराधों एवं मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिये आर्थिक कानूनों और नियमों को लागू करने हेतु जिम्मेदार है। ED की प्राथमिक भूमिका विदेशी मुद्रा के उल्लंघन, मनी लॉन्ड्रिंग और आर्थिक धोखाधड़ी से संबंधित अपराधों की जाँच करना है।

    मुख्य भाग:

    प्रवर्तन निदेशालय के कार्य:

    • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) का प्रवर्तन
    • धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) का प्रवर्तन
    • मनी लॉन्ड्रिंग, काला धन, हवाला और विदेशी मुद्रा उल्लंघन जैसे आर्थिक अपराधों की जाँच करना
    • आर्थिक अपराधियों पर कार्रवाई करना
    • संपत्ति की वसूली करना (जो भ्रष्ट कार्यों से प्राप्त होती है)
    • आर्थिक अपराध संबंधी मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग करना

    आर्थिक अपराधों से निपटने में इसकी प्रभावशीलता:

    ED भारत में आर्थिक अपराधों से निपटने में प्रभावी रहा है। इसने 2जी स्पेक्ट्रम, अगस्ता वेस्टलैंड, नीरव मोदी घोटाला आदि जैसे कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जाँच कर कार्रवाई की है। हाल ही में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री को गिरफ्तार किया है। इस मामले में गृह मंत्री पर मुंबई में बार मालिकों से पैसे वसूलने के आरोप लगे थे।

    हालाँकि अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में ED के समक्ष कई चुनौतियाँ रहती हैं जैसे:

    • संसाधनों की कमी: ED सीमित बजट वाली अपेक्षाकृत छोटी एजेंसी है। जिससे आर्थिक अपराधों की जाँच और कार्रवाई करने की इसकी क्षमता सीमित होती है।
    • अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सहयोग का अभाव: ED को अक्सर अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों जैसे पुलिस और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से सहयोग प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इससे आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में मुश्किल हो सकती है।
    • आर्थिक अपराधों से संबंधित मामलों की जटिलता: आर्थिक अपराध के मामले अक्सर जटिल होते हैं जिनकी जाँच में समय लगता है।
    • राजनीतिक हस्तक्षेप: ED पर अतीत में राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप लगते रहे हैं। इससे इस एजेंसी के लिये स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से कार्य करना मुश्किल हो सकता है।
    • कानूनी कमियाँ: ED को अपराधियों पर मुकदमा चलाने में कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ता है, खासकर उन लोगों पर जो भारत से बाहर हैं या जिनके पास कई नागरिकताएँ हैं। PMLA के कुछ प्रावधान अपराधियों को जाँच से बचाने में सहायक होते हैं।
    • विदेशी न्यायालयों से सहयोग की कमी: ED को अक्सर अपनी जाँच में विदेशी न्यायालयों से सहयोग प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिये है क्योंकि कई देशों में सख्त गोपनीयता कानून हैं जो ED के लिये बैंक खातों और अन्य वित्तीय लेनदेन के बारे में जानकारी प्राप्त करना कठिन बनाते हैं।

    ED के प्रदर्शन को बेहतर बनाने हेतु निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं:

    1. वित्तपोषण को बढ़ावा देना
    2. अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय को प्रोत्साहन देना
    3. जाँच प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना
    3. प्रशिक्षण में सुधार करना
    4. कानूनी जटिलताओं को कम करना
    5. ED अधिकारियों की राजनीतिक हस्तक्षेप से सुरक्षा करना
    5. विदेशी न्यायालयों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना

    निष्कर्ष:

    ED एक महत्त्वपूर्ण कानून प्रवर्तन एजेंसी है जो आर्थिक अपराधों का मुकाबला करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    कई चुनौतियों के बावजूद ED ने भारत में आर्थिक अपराधों से निपटने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है। इस एजेंसी ने कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जाँच कर कार्रवाई की है जिससे आर्थिक अपराधियों से काफी राशि बरामद हुई है। ED को और भी मज़बूत करने से यह भारतीय अर्थव्यवस्था को अपराधियों से बचाने में और भी अधिक प्रभावी हो सकता है।

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