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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के क्रम में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    02 May, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के बारे में संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के महत्त्व की चर्चा कीजिये।
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की कुछ चुनौतियों का भी उल्लेख कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) को वर्ष 2013 में समाज के सबसे कमजोर वर्गों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से अधिनियमित किया गया था। इस अधिनियम को भारत में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जाता है।

    मुख्य भाग:

    राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का महत्त्व:

    • कवरेज:
      • NFSA द्वारा 67% आबादी (ग्रामीण क्षेत्रों में 75% और शहरी क्षेत्रों में 50%) को सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्रदान किये जाते हैं।
      • यह अधिनियम भोजन के अधिकार को एक कानूनी अधिकार के रूप में मान्यता देता है और इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे।
    • महिलाओं और बच्चों को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करना:
      • भारत में NFSA, भूख और कुपोषण को कम करने में सहायक रहा है। खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार, भारत में कुपोषित लोगों का प्रतिशत वर्ष 1990-92 के 23.8% से घटकर वर्ष 2015-17 में 14.8% रह गया है।
    • महिला सशक्तिकरण:
      • इस अधिनियम द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्न प्राप्त करने के उद्देश्य से महिलाओं को घरों का मुखिया बनाकर उन्हें सशक्त बनाया है।
    • भ्रष्टाचार में कमी लाना:
      • NFSA सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार को कम करने और यह सुनिश्चित करने में सफल रहा है कि खाद्यान्न लक्षित लाभार्थियों तक पहुँचे।
    • खाद्य सुरक्षा भत्ता प्रदान करना:
      • इसमें खाद्यान्न या भोजन की आपूर्ति न होने की स्थिति में पात्र लोगों को खाद्य सुरक्षा भत्ता देने का प्रावधान है।

    राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की चुनौतियाँ:

    • लाभार्थियों की पहचान:
      • NFSA के तहत निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से लाभार्थियों की पहचान का प्रावधान किया गया है, लेकिन कार्यान्वयन के स्तर पर विभिन्न राज्यों में असमानता है।
      • इसमें पात्र परिवारों को लाभ से बाहर रखने और अपात्र परिवारों को इसमें शामिल करने से संबंधित मामले देखे गए हैं।
    • खरीद और वितरण:
      • इस अधिनियम में सब्सिडी दरों पर लाभार्थियों को खाद्यान्न वितरण करने में सरकार की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
      • हालाँकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की दक्षता और आपूर्ति श्रृंखला में भ्रष्टाचार को लेकर चिंताएँ बनी रहती हैं।
    • खाद्यान्न की गुणवत्ता:
      • सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खराब-गुणवत्ता वाले अनाज वितरित किये जाने की खबरें आई हैं, जिससे लाभार्थियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
    • वित्तपोषण:
      • केंद्र सरकार द्वारा इसके कार्यान्वयन हेतु धन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा प्रदान किया जाता है लेकिन राज्यों को भी इसमें योगदान देना होता है।
      • कुछ राज्यों द्वारा अपने हिस्से के धन को देने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

    निष्कर्ष:

    NFSA ने समाज के सबसे कमजोर वर्गों को सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्रदान करके भारत में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस अधिनियम द्वारा भूख और कुपोषण को कम करने में सफलता मिली है लेकिन इसके कवरेज का विस्तार करने और इससे वंचित पात्र लोगों को इसमें शामिल करने की आवश्यकता है।

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