इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को आकार देने में गैर-राज्य अभिकर्ताओं जैसे अंतर्राष्ट्रीय निगमों एवं अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    21 Feb, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • गैर-राज्य अभिकर्ताओं जैसे बहुराष्ट्रीय निगमों और अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों (INGOs) के बारे में बताते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में अंतर्राष्ट्रीय निगमों एवं अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • अंतर्राष्ट्रीय संबंध परंपरागत रूप से राज्यों के दायरे में रहे हैं जिसमें राष्ट्र-राज्य वैश्विक शासन को आकार देने में प्राथमिक अभिकर्ता रहे हैं।
    • हालाँकि वैश्वीकरण के उदय के साथ, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को आकार देने में गैर-राज्य अभिकर्ताओं की भूमिका में वृद्धि हुई है। अंतर्राष्ट्रीय निगमों (TNCs) और अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों (INGOs) जैसे गैर-राज्य अभिकर्ताओं का वैश्विक शासन में प्रभाव बढ़ रहा है।

    मुख्य भाग:

    • अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को आकार देने में अंतर्राष्ट्रीय निगमों की भूमिका:
      • TNCs ऐसी व्यावसायिक संस्थाएँ हैं जो कई देशों में संचालित होती हैं । TNCs का वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण प्रभाव होने के साथ अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को आकार देने में प्रमुख प्रभाव है। TNCs आर्थिक शक्ति, राजनीतिक प्रभाव और सामाजिक प्रभाव सहित विभिन्न तंत्रों के माध्यम से देश पर प्रभाव डालते हैं।
    • आर्थिक शक्ति:
      • कई TNCs का कुछ देशों की GDP की तुलना में अधिक आर्थिक आधार है। इसके कारण TNCs का सरकारों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
      • ये अपने हितों के पक्ष में नीतियाँ बनाने के लिये सरकारों पर दबाव डालने के क्रम में अपनी आर्थिक शक्ति का उपयोग कर सकते हैं।
        • उदाहरण के लिये वर्ष 1990 के दशक में तंबाकू उद्योग द्वारा धूम्रपान को सीमित करने वाले नियमों के खिलाफ यह तर्क देते हुए विरोध किया गया कि इससे उनके व्यवसाय को नुकसान होगा।
    • राजनीतिक प्रभाव:
      • TNCs राजनीतिक दलों को वित्तपोषित करने के द्वारा अपने हितों में नीतियों को बनवाने के लिये पहल कर सकते हैं।
      • विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों पर भी इनका महत्त्वपूर्ण प्रभाव रहता है, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिये नियम निर्धारित करता है।
        • इसके अलावा ये अपने हितों के पक्ष में नियम बनाने और अपने बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा करने के लिये विश्व व्यापार संगठन में अपने प्रभाव का फायदा ले सकते हैं।
    • सामाजिक प्रभाव:
      • इनका महत्त्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव भी होता है क्योंकि ये अक्सर कमज़ोर या श्रम और पर्यावरण नियमों के अभाव वाले देशों में काम करते हैं।
      • ये कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) पहलों को बढ़ावा देने के लिये अपने सामाजिक प्रभाव का उपयोग कर सकते हैं जो इनकी प्रतिष्ठा को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
        • CSR पहल से TNCs को नए बाज़ारों तक पहुँच बनाने में भी मदद मिल सकती है क्योंकि उपभोक्ता सामाजिक रूप से जिम्मेदार कंपनी के उत्पादों और सेवाओं को पसंद करते हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को आकार देने में अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों (INGOs) की भूमिका:
      • INGO ऐसे गैर-सरकारी संगठन हैं जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन अक्सर मानवाधिकार, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
    • मानव अधिकार:
      • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों को बढ़ावा देने में अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।
        • एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन विश्व भर में मानवाधिकारों के हनन की निगरानी में शामिल रहे हैं।
        • ये अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों के विकास का समर्थन करने में भी सहायक रहे हैं जैसे कि नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध तथा आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध।
    • शांति और सुरक्षा:
      • इन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
        • इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप और अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति जैसे अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन संघर्ष की रोकथाम, इनके समाधान और संघर्ष के बाद के पुनर्निर्माण के प्रयासों में शामिल रहे हैं।
          • ये संगठन अक्सर संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देने और हिंसा को बढ़ने से रोकने के लिये सरकारों तथा अन्य हितधारकों के साथ काम करते हैं।
    • गरीबी निवारण:
      • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गरीबी में कमी लाने में अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन भी सहायक रहे हैं जैसे ऑक्सफैम और केयर इंटरनेशनल विकासशील देशों में सतत विकास को बढ़ावा देने के साथ गरीबी में कमी करने वाली पहलों में शामिल रहे हैं।
        • ये संगठन अक्सर स्थानीय समुदायों और सरकारों के साथ मिलकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में सुधार करने और गरीबी को कम करने के लिये काम करते हैं।
    • इन गैर-राज्य अभिकर्ताओं के नकारात्मक प्रभाव:
      • आर्थिक प्रभुत्व: ये अक्सर मूल्य स्थानांतरण, कर चोरी और पर्यावरणीय क्षरण जैसी प्रथाओं में संलग्न होते हैं जिसका संबंधित देश की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
        • उदाहरण के लिये तेल कंपनी (शेल) पर नाइजीरिया में पर्यावरणीय क्षरण का आरोप लगाया गया है जहाँ पर इसके तेल क्षेत्र हैं।
      • देश की संप्रभुता को प्रभावित करना: ये आमतौर पर देशों के आंतरिक मामलों जैसे चुनाव या नीति-निर्माण प्रक्रियाओं को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, जिससे देशों की संप्रभुता प्रभावित होती है।
        • इनके द्वारा राष्ट्रीय कानूनों और विनियमों की उपेक्षा करने या उनका उल्लंघन करने से देशों की संप्रभुता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
        • उदाहरण के लिये ग्रीनपीस एनजीओ (जो एक वैश्विक पर्यावरण संगठन है) पर्यावरण की रक्षा के नाम पर देशों की विकास प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करता है।
      • सांस्कृतिक साम्राज्यवाद: TNCs सांस्कृतिक साम्राज्यवाद को बढ़ावा देते हैं जिससे स्थानीय संस्कृतियों और मूल्यों का क्षरण हो सकता है। उदाहरण के लिये विश्व भर में अमेरिकी फास्ट-फूड और हॉलीवुड फिल्मों के प्रसार की सांस्कृतिक विविधता को प्रभावित करने के रूप में आलोचना की गई है।

    निष्कर्ष:

    • TNCs और आईएनजीओ जैसे गैर-राज्य अभिकर्ता अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को आकार देने में महत्त्वपूर्ण पहलू के रूप में उभरे हैं। सकारात्मक परिवर्तन को बढ़ावा देने और वैश्विक मुद्दों को हल करने की क्षमता के साथ इनके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं जैसे कि आर्थिक प्रभुत्व स्थापित करना, संप्रभुता को प्रभावित करना एवं सांस्कृतिक साम्राज्यवाद को बढ़ावा देना।
    • इसलिये वैश्विक स्तर पर इन गैर-राज्य अभिकर्ताओं की भूमिका को पहचानना और विनियमित करना महत्त्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके कार्य अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सतत विकास के लक्ष्यों के साथ संरेखित हो सकें।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2