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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. डीपफेक (Deepfakes), साइबर-अपराधी के लिये अवसर और अन्य सभी के लिये चुनौती प्रस्तुत करता है। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    28 Dec, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    दृष्टिकोण:

    • डीपफेक तकनीक की संक्षिप्त व्याख्या करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • डीपफेक तकनीक की चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
    • डीपफेक तकनीक की चुनौतियों से निपटने के लिये कुछ उपाय बताइए।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • डीपफेक तकनीक का तात्पर्य शक्तिशाली कंप्यूटर और डीप लर्निंग का उपयोग करके वीडियो, चित्रों और ऑडियो में हेरफेर करना शामिल है।
    • इसका उपयोग फर्जी खबरों के साथ वित्तीय धोखाधड़ी करने के लिये किया जाता है।
    • इसमें पहले से मौजूद वीडियो, चित्र या ऑडियो में फेरबदल किया जाता है जिसमें साइबर अपराधी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग करते हैं।

    मुख्य भाग:

    • डीपफेक तकनीक का उपयोग घोटालों, सेलिब्रिटी की पोर्नोग्राफी, चुनाव में हेरफेर, सोशल मीडिया में फेरबदल और वित्तीय धोखाधड़ी आदि जैसे गलत उद्देश्यों के लिये किया जा रहा है।
    • डीपफेक टेक्नोलॉजी की चुनौतियाँ:
      • साइबर अपराध:
        • डीपफेक का संभावित उपयोग फ़िशिंग में होता है क्योंकि यह व्यक्ति को नकली तथ्यों का पता लगाना अधिक कठिन बना देता है।
        • उदाहरण के लिये सोशल मीडिया में फ़िशिंग द्वारा किसी सेलेब्रिटी के नकली वीडियो का इस्तेमाल आर्थिक लाभ के लिये किया जा सकता है।
      • मीडिया में फेरबदल:
        • डीपफेक के माध्यम से मीडिया फाइल में व्यापक हस्तक्षेप (जैसे-चेहरे बदलना, लिप सिंकिंग या अन्य शारीरिक गतिविधि में परिवर्तन) किया जा सकता है और इससे जुड़े अधिकांश मामलों में लोगों की पूर्व अनुमति नहीं ली जाती है जिससे मनोवैज्ञानिक, सुरक्षात्मक, राजनीतिक अस्थिरता और व्यावसायिक व्यवधान का खतरा उत्पन्न होता है।
        • डीपफेक तकनीक का उपयोग पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रम्प एवं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदि जैसे प्रमुख लोगों को प्रतिरूपित करने के लिये किया गया है।
      • युद्ध का नया मंच:
        • किसी देश द्वारा डीपफेक का उपयोग सार्वजनिक सुरक्षा को कमजोर करने और लक्षित देश में अनिश्चितता और अराजकता फैलाने के लिये एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में किया जा सकता है।
        • भू-राजनीतिक आकांक्षाओं वाले चरमपंथियों और आर्थिक रूप से प्रेरित उद्यमों द्वारा डीपफेक का उपयोग करके मीडिया की खबरों में हेरफेर किया जा सकता है।
        • इसका उपयोग विद्रोही समूहों और आतंकवादी संगठनों द्वारा लोगों के बीच राज्य विरोधी भावनाओं को भड़काने के रूप में अपने विरोधियों का प्रतिनिधित्व करने के लिये किया जा सकता है।
      • लोकतंत्र को कमजोर करना:
        • डीपफेक द्वारा लोकतांत्रिक भावना को बदलने और इन संस्थानों में लोगों के विश्वास को कम किया जा सकता है।
        • इसका उपयोग कर संस्थानों, सार्वजनिक नीति और राजनेताओं के बारे में गलत जानकारी का प्रसार किया जा सकता है।
      • चुनाव प्रणाली को बाधित करना:
        • डीपफेक का प्रयोग चुनावों में जातिगत द्वेष, चुनाव परिणामों की अस्वीकार्यता या अन्य प्रकार की गलत सूचनाओं के लिये किया जा सकता है। जो एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिये बड़ी चुनौती बन सकता है।
        • इसके माध्यम से चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के कुछ ही समय/दिन पहले विपक्षी दल द्वारा चुनावी प्रक्रिया के बारे में गलत सूचना फैलाई जा सकती है, जिसे समय रहते नियंत्रित करना और सभी लोगों तक सही सूचना पहुँचाना बड़ी चुनौती होगी।
        • राजनेता इसका उपयोग लोकलुभावनवाद बढ़ाने और अपनी सत्ता को मजबूत करने के लिये भी कर सकते हैं।
        • डीपफेक ध्रुवीकरण, विभाजन को बढ़ावा देने का एक प्रभावी उपकरण बन सकता है।
    • डीपफेक तकनीक की चुनौतियों के समाधान हेतु उपाय:
      • मीडिया साक्षरता को बढ़ावा देना: उपभोक्ताओं और पत्रकारों के लिये मीडिया साक्षरता, भ्रामक सूचनाओं और जालसाजी से निपटने का सबसे प्रभावी साधन है।
        • डीपफेक की चुनौतियों का समाधान करने के लिये मीडिया साक्षरता की प्रमुख भूमिका है।
        • जागरूकता बढ़ाने हेतु मीडिया साक्षरता को बढ़ाया जाना चाहिये।
        • मीडिया के उपभोक्ताओं के रूप में लोगों के पास जानकारी को समझने,विश्लेषण करने और उपयोग करने की क्षमता होनी चाहिये।
        • यहाँ तक कि मीडिया की सूक्ष्म जागरूकता से ही होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
      • विनियमन की आवश्यकता: प्रौद्योगिकी संस्थान, नागरिक समाज और नीति निर्माताओं के साथ विचार-विमर्श कर सार्थक नीति निर्माण से डीपफेक की चुनौतियों से निपटा जा सकता है।
      • तकनीकी हस्तक्षेप: जालसाजी का पता लगाने, तथ्यों को प्रमाणित करने और आधिकारिक स्रोतों की पहचान करने हेतु सुलभ प्रौद्योगिकी की भी आवश्यकता है।
      • व्यवहार परिवर्तन: लोगों को इंटरनेट के महत्त्वपूर्ण उपभोक्ता के रुप में जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता है। सोशल मीडिया पर कोई भी जानकारी साझा करने से पहले विवेकपूर्ण विचार करना आवश्यक है।

    निष्कर्ष:

    • मीडिया उपभोक्ताओं के रूप में हमें प्राप्त होने वाली जानकारी को समझने, विश्लेषण करने और उसका उपयोग करने में सक्षम होना चाहिये।
    • इस समस्या से निपटने का सबसे अच्छा तरीका कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा समर्थित तकनीकी समाधान को विकसित करना है।
    • डीपफेक से जुड़े मुद्दों को हल करने के क्रम में मीडिया साक्षरता में सुधार करना होगा।
    • इस प्रकार के नए और उभरते खतरों से निपटने के लिये साइबर निकाय विकसित करने की आवश्यकता है।
    • जालसाजी का पता लगाने, तथ्यों को प्रमाणित करने और आधिकारिक स्रोतों की पहचान करने हेतु सुलभ प्रौद्योगिकी की भी आवश्यकता है।

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