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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    “भारत जैसे देश में जहाँ लोकतांत्रिक संस्थाओं का कार्यकाल अनिश्चित है, ऐसे में एक बड़े तबके द्वारा लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने का समर्थन किया जा रहा है।” क्या आप मानते हैं कि ‘एक देश, एक चुनाव’ का विचार भारत में सफल हो सकता है?

    18 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में प्रश्नगत कथन को स्पष्ट करें।
    • तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में ‘एक देश, एक चुनाव’ के पक्ष-विपक्ष पर संक्षिप्त चर्चा करते हुए इसकी सफलता की संभावनाओं का उल्लेख करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    भारत एक बड़ा लोकतांत्रिक देश है जहाँ कभी आम चुनाव तो कभी इसके 29 राज्यों में से किसी-न-किसी राज्य के विधानसभा चुनाव वर्ष भर चलते रहते हैं। लोकसभा या राज्य विधानसभाओं का बीच में ही भंग हो जाना भी वर्षभर चलने वाले इन चुनावों का एक कारण है। ऐसे में एक बड़े तबके द्वारा लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ आयोजित किये जाने का समर्थन किया जा रहा है।

    भारतीय लोकतंत्र आज उस अवस्था में है जहाँ दिखावे का बोलबाला है, जहाँ चुनाव-दर-चुनाव राजनैतिक दलों का अनैतिक धन पानी की तरह बहाया जाता है। ऐसे में ‘एक देश, एक चुनाव’ का विचार सही प्रतीत होता है लेकिन इसके विपक्ष के तर्कों को भी नकारा नही जा सकता है। अतः इसके दोनों ही पक्षों के तर्क मज़बूत हैं। ‘एक देश, एक चुनाव’ से जहाँ सरकारी खजाने पर आरोपित बेवज़ह का दबाव कम होगा, कर्मचारियों को उनके दायित्वों के निर्वहन का मौका मिलेगा और सीमित आचार संहिता के कारण प्रशासन सक्षम बनेगा वहीं, यह राज्यों की राजनीतिक स्वायत्तता को प्रभावित करेगा जो कि संघवाद के मूल्यों के खिलाफ है। 

    वस्तुतः ‘एक देश, एक चुनाव’ वांछनीय है लेकिन यह संभव प्रतीत नहीं हो रहा है। इसे संभव बनाने के लिये संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट पर विचार करना होगा जिसमें चुनावों को दो चरणों में आयोजित किये जाने की अनुशंसा की गई है। इसके साथ ही, विधि आयोग की उस अनुशंसा को भी महत्त्व दिया जाना चाहिये जिसमें कहा गया है कि जिन विधानसभाओं के कार्यकाल आम चुनावों के 6 माह बाद ही ख़त्म होने हों, वहाँ एक साथ चुनाव करा दिया जाने चाहिये लेकिन विधानसभाओं के परिणाम उनके कार्यकाल पूरे होने पर ही ज़ारी किये जाएँ। इससे संसाधनों का अपव्यय भी नहीं होगा और लोकतांत्रिक गतिशीलता भी बनी रहेगी।एक साथ चुनाव कराने का विचार अच्छा प्रतीत होता है पर यह व्यवहारिक व सफल तभी होगा जब इससे जुड़े सभी चिंताजनक पहलुओं को निपटा लिया जाए और सभी राजनीतिक दलों की इस पर एक राय कायम हो जाए।

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