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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. गरीबी और बेरोज़गारी भारत के विकास में प्रमुख बाधाएँ हैं। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    11 Oct, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • अपने उत्तर की शुरुआत गरीबी और बेरोज़गारी के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर कीजिये।
    • गरीबी और बेरोज़गारी के कारणों की विवेचना कीजिये।
    • रोज़गार के प्रकारों पर चर्चा कीजिये।
    • बेरोज़गारी को कम करने के लिये उठाए गए विभिन्न कदमों की चर्चा कीजिये।
    • आगे की राह बताते हुए अपना उत्तर समाप्त कीजिये।

    परिचय

    • गरीबी: गरीबी को एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें व्यक्ति जीवन के निर्वाह के लिये बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होता है। इन बुनियादी आवश्यकताओं में शामिल हैं- भोजन, वस्त्र और घर।
    • बेरोज़गारी: किसी व्यक्ति द्वारा सक्रियता से रोज़गार की तलाश किये जाने के बावजूद जब उसे काम नहीं मिल पाता तो यह अवस्था बेरोज़गारी कहलाती है।

    प्रारूप

    भारत में उच्च गरीबी और बेरोज़गारी के कारण

    • दुष्चक्र: एक बार जब लोग गरीबी के दुष्चक्र में फँस जाते हैं, तो इसे तोड़ना मुश्किल होता है क्योंकि यह उपलब्ध अवसरों को सीमित करता है।
    • बढ़ती जनसंख्या: जनसंख्या की वृद्धि दर भारत में राष्ट्रीय आय की वृद्धि से अधिक है और प्रति व्यक्ति आय की कमी का बोझ मुख्य रूप से समाज के गरीब वर्गों द्वारा वहन किया जाता है।
    • उत्पादक रोज़गार की कमी: गरीबी की भयावहता का सीधा संबंध बेरोज़गारी की स्थिति से है। वर्तमान रोज़गार की स्थितियाँ जीवन के उचित स्तर की अनुमति नहीं देती हैं, जिससे गरीबी बढ़ती है।

    भारत के विकास में बाधक:

    • गरीबी और बेरोज़गारी अमीर और गरीब के बीच की खाई पैदा करती है।
    • इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि उत्पादकता वृद्धि दर और असमानता वृद्धि दर विपरीत रूप से संबंधित हैं। गरीबी भी लोगों को उनकी पूर्ण मानव पूंजी क्षमता का एहसास करने के लिये सीमित करती है जिससे उत्पादकता प्रभावित होती है।
    • गरीबी और बेरोज़गारी के उच्च स्तर आर्थिक अस्थिरता और संकट से जुड़े हुए हैं, जबकि समानता युक्त समाजों में निरंतर विकास की अवधि दीर्घकालीन होती है
    • अक्सर यह देखा जाता है कि बेरोज़गार लोग ड्रग्स और शराब के आदी हो जाते हैं या आत्महत्या का प्रयास करते हैं, जिससे देश के मानव संसाधनों को नुकसान होता है।
    • इसके अलावा, असमानता और गरीबी में वृद्धि स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याओं की एक विस्तृत श्रृंखला के लिये उत्तरदायी रही है जिसमें कम जीवन प्रत्याशा और उच्च शिशु मृत्यु दर से लेकर शिक्षा की निम्न गुणवत्ता, निम्न सामाजिक गतिशीलता और हिंसा तथा मानसिक बीमारी के बढ़े हुए स्तर शामिल हैं, जो भारत के आर्थिक विकास को बाधित करते हैं।

    गरीबी उन्मूलन की दिशा में सरकारों द्वारा किये गए प्रयास

    • प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) आर्थिक रूप से वंचित लोगों को विभिन्न वित्तीय सेवाओं जैसे- बचत खाता, बीमा, आवश्यकतानुसार ऋण, पेंशन आदि तक पहुँच प्रदान करती है।
    • किसान विकास पत्र के माध्यम से किसान 1,000, 5000 तथा 10,000 रुपए मूल्यवर्ग में निवेश कर सकते हैं। इससे जमाकर्त्ताओं का धन 100 महीनों में दोगुना हो सकता है।
    • दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY) को ग्रामीण क्षेत्रों को बिजली की निरंतर आपूर्ति प्रदान करने हेतु शुरू किया गया है।
    • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत देश भर के गाँवों में लोगों को 100 दिनों के काम की गारंटी दी गई है। जहाँ तक ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों के आय स्तर में वृद्धि का संबंध है, यह एक सफल कार्यक्रम साबित हुआ है।
    • एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम दुनिया में अपनी तरह की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गरीबों को रोज़गार प्रदान कर उनके कौशल को विकसित करने के अवसर प्रदान करना है ताकि उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके।

    निष्कर्ष

    गरीबी और बेरोज़गारी का मुद्दा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये एक बड़ा खतरा है और इसके लिये असमानता और गरीबी उन्मूलन नीतियों की आवश्यकता है। इनके उन्मूलन में तेज़ी लाने के लिये राज्य सरकार के साथ निजी क्षेत्र और नागरिक समाज द्वारा प्रयासों को पूरक बनाने की आवश्यकता है।

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