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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता के मुख्य पहलू या घटक क्या हैं?

    06 Oct, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता को परिभाषित करते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के विभिन्न सिद्धांतों की चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता राष्ट्रों के बीच संबंधों को नियंत्रित करने वाली नैतिकता या आचार संहिता को संदर्भित करती है। आज का विश्व अनेक स्वतंत्र क्षेत्रीय राजनीतिक समुदायों में बँटा हुआ है। यह देश अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक व्यवस्था बनाते हैं जिसे कभी-कभी अंतर्राष्ट्रीय कानूनी आदेश कहा जाता है।

    मुख्य भाग:

    इसके सबसे प्रमुख सिद्धांत, यथार्थवाद और आदर्शवाद हैं, दोनों का ही एक लंबा इतिहास रहा है। बीसवीं सदी में नवयथार्थवाद और नवउदारवाद को लोकप्रियता मिली है। उत्तर-आधुनिकतावाद और नारीवाद के सिद्धांतों ने भी अंतर्राष्ट्रीय संबंध से संबंधित सिद्धांतों को कुछ हद तक प्रभावित किया है।

    • यथार्थवाद:
      • यथार्थवाद एक पुराना सिद्धांत है जिसके अनुसार शासक को बाहरी दुश्मनों से होने वाले खतरों का यथार्थवादी मूल्यांकन करना चाहिये और रक्षात्मक उपाय करना चाहिये। उसे केवल अन्य शासकों के अच्छे इरादों में विश्वास नहीं रखना चाहिये।
        • साथ ही साथ शासक को अच्छे व्यवहार के नियमों का पालन करना चाहिये। उसे कमज़ोर राज्यों पर हमला और कब्ज़ा नहीं करना चाहिये।
    • आदर्शवाद:
      • आदर्शवाद को उस भावना के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो किसी व्यक्ति या समूह को उनके आसपास प्रचलित नैतिक मानकों की तुलना में उच्च नैतिक मानकों को अपनाने के लिये प्रेरित करती है। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में आदर्शवाद का पता उन प्रथाओं से लगाया जा सकता है जो पुराने समय में शासकों के बीच संबंधों को नियंत्रित करती थीं।
        • युद्ध में विभिन्न प्रथाओं को अपनाया जाता था । समय के साथ ऐसे मानदंड विकसित हुए जो युद्ध के संचालन, कैदियों के उपचार और आत्मसमर्पण करने वाले पराजित लोगों के व्यवहार को नियंत्रित करते थे।

    अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में नैतिकता:

    • भारत की विदेश नीति में नैतिकता:
      • भारत की विदेश नीति इसके स्वतंत्रता संग्राम के गांधीवादी मूल्यों पर आधारित है।
      • गुटनिरपेक्षता या स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करने और विदेश नीति के मुद्दों को गुण-दोष के आधार पर तय करने का अधिकार,
      • उपनिवेशवाद, नस्लवाद और रंगभेद के खिलाफ संघर्ष के लिये नैतिक, राजनयिक और आर्थिक समर्थन,
      • अहिंसा और परमाणु निरस्त्रीकरण,
      • अंतर्राष्ट्रीय शांतिदूत के रूप में भारत की भूमिका।
      • स्वतंत्रता के बाद भारत ने विदेश नीति में पंचशील दृष्टिकोण अपनाया,
    • राज्यों को जिन 5 पांच सिद्धांतों का पालन करना चाहिये, वे हैं:
      • एक दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के लिये परस्पर सम्मान
      • आपसी गैर-आक्रामकता
      • एक दूसरे के आंतरिक मामलों में पारस्परिक गैर-हस्तक्षेप
      • समानता और पारस्परिक लाभ
      • शांति और सहअस्तित्व

    शरणार्थी संकट की नैतिकता:

    • शरणार्थी नैतिकता इस बात की अंतर्दृष्टि प्रदान करती है कि राष्ट्र और अन्य संस्थाएँ अन्य शरणार्थियों तथा अन्य देशों के प्रवासियों के साथ कैसा व्यवहार करती हैं।
    • मानवाधिकार: शरणार्थी नैतिकता यह सुनिश्चित करती है कि प्रवासियों और शरणार्थियों को बुनियादी मानवाधिकार मिले। दुनिया की कोई सीमा या राजनीतिक व्यवस्था उन अधिकारों को छीन नहीं सकती।
    • राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ स्थानीय आबादी को शरणार्थियों के लिये सहानुभूति दिखाना चाहिये।
    • शरणार्थी नैतिकता दूसरे देश में गरीब शरणार्थियों के साथ भेदभाव नहीं करने तथा उनके साथ गरिमापूर्ण व्यवहार को बढ़ावा देती है।
    • 1951 के शरणार्थी सम्मेलन के आधार पर सभी शरणार्थियों के लिये एक सुरक्षित आश्रय सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। यह 'शरणार्थी' शब्द को परिभाषित करता है और शरणार्थियों के अधिकारों के साथ-साथ उनकी रक्षा के लिये राज्यों के कानूनी दायित्वों को रेखांकित करता है तथा यह भी सुनिश्चित करता है कि शरणार्थियों तक बुनियादी ज़रूरतों यानी भोजन, कपड़े, आश्रय और चिकित्सा सहायता की पहुँच सुनिश्चित हो ।

    निष्कर्ष:

    वैश्वीकरण में होने वाली वृद्धि के साथ,विश्व अधिक परस्पर रुप से जुड़ गया है ऐसे में एक देश द्वारा किया जाने वाला अनैतिक व्यवहार पूरे विश्व को प्रभावित करता है । इस आलोक में आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, गरीबी और असमानता जैसी आम समस्याओं को दूर करने और शांति स्थापित करने के लिये विश्व के देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में नैतिक व्यवहार को अपनाये जाने की आवश्यकता है।

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