उत्तर प्रदेश
रक्षा सामग्री एवं भंडार अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (DMSRDE)
- 30 Jun 2025
- 6 min read
चर्चा में क्यों?
रक्षा राज्य मंत्री ने उत्तर पदेश के कानपुर में स्थित रक्षा सामग्री एवं भंडार अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (DMSRDE), जो DRDO की एक प्रमुख प्रयोगशाला है, का दौरा किया तथा स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों, विशेषकर ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में इसकी भूमिका की सराहना की।
मुख्य बिंदु
- स्वदेशी रक्षा नवाचारों को मान्यता:
- DMSRDE को उन्नत रक्षा प्रणालियों और स्वदेशी उत्पादों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये सराहना मिली। प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं:
- बुलेट प्रूफ जैकेट (लेवल-6)-देश की सबसे हल्की बुलेटप्रूफ जैकेट
- ब्रह्मोस मिसाइल के लिये नेफथाइल ईंधन
- भारतीय तटरक्षक पोतों के लिये उच्च दबाव पॉलिमर झिल्लियाँ
- सिलिकॉन कार्बाइड फाइबर
- सक्रिय कार्बन फैब्रिक-आधारित रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (CBRN) सूट
- युद्ध क्षेत्र में जीवित रहने की क्षमता बढ़ाने वाली गुप्त सामग्रियों की एक शृंखला
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और उद्योग सहयोग में अग्रणी:
- DMSRDE ने पिछले 2 वर्षों में सभी DRDO प्रयोगशालाओं में सबसे अधिक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण किया है।
- प्रयोगशाला ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप, उद्योग तथा शिक्षा जगत के साथ सहयोग पर केंद्रित किया है।
- व्यापक योगदान:
- नैनो-सामग्री, तकनीकी वस्त्र, छलावरण प्रणाली, कोटिंग्स, रबर और स्नेहक क्षेत्रों में नवाचार प्रस्तुत किये गए।
- यह अत्याधुनिक दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों के विकास हेतु DRDO की प्रतिबद्धता को प्रमाणित करता है।
DRDO के बारे में
- DRDO की स्थापना वर्ष 1958 में भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (TDE), तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय (DTDP) और रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) का संयोजन करके की गई थी।
- DRDO भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का अनुसंधान एवं विकास विंग है।
- आरंभ में DRDO के पास 10 प्रयोगशालाएँ थीं, वर्तमान में यह 41 प्रयोगशालाओं और 5 DRDO युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं (DYSL) का संचालन करता है।
- सिद्धांत: DRDO का मार्गदर्शक सिद्धांत "बलस्य मूलं विज्ञानम् " (शक्ति विज्ञान में निहित है) है, जो राष्ट्र को शांति और युद्ध दोनों ही स्थिति में मार्गदर्शित करता है।
- मिशन: इसका मिशन तीनों सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुसार भारतीय सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों और उपकरणों से लैस करते हुए महत्त्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों तथा प्रणालियों में आत्मनिर्भर होना है।
ब्रह्मोस मिसाइल:
- भारत-रूस संयुक्त उद्यम, ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किमी. है और यह मैक 2.8 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना) की उच्च गति के साथ विश्व की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइल है।
- इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है।
- यह दो चरणों वाली (पहले चरण में ठोस प्रणोदक इंजन और दूसरे में तरल रैमजेट) मिसाइल है।
- यह एक मल्टीप्लेटफॉर्म मिसाइल है जिसे स्थल, वायु एवं समुद्र में बहुक्षमता वाली मिसाइल से सटीकता के साथ लॉन्च किया जा सकता है जो खराब मौसम के बावजूद दिन और रात में काम कर सकती है।
- यह 'दागो और भूल जाओ' (Fire and Forget) सिद्धांत पर काम करती है यानी लॉन्च के बाद इसे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती।
ऑपरेशन सिंदूर
- यह पहलगाम आतंकी हमले के प्रत्युत्तर में 7 मई, 2025 को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा लॉन्च किया गया एक समन्वित स्ट्राइक ऑपरेशन था।
- इसे भारतीय भू-भाग से सेना, नौसेना और वायु सेना के समन्वित प्रयासों द्वारा कार्यान्वित किया गया।
- पिछले अभियानों के आक्रामक और शक्ति प्रदर्शन पर केंद्रित नामों के विपरीत, इस अभियान का नाम पीड़ितों, विशेषकर पहलगाम हमले की विधवाओं, के प्रति व्यक्तिगत श्रद्धांजलि स्वरूप चुना गया था।
- लक्ष्य: 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) में स्थित जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन से संबद्ध आतंकी ठिकानों को लक्षित किया।
- इन हमलों का उद्देश्य भारत के खिलाफ हमलों की योजना बनाने में इस्तेमाल किये गए आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करना था।