इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रभावी लोक सेवा वितरण के सिद्धांत क्या हैं? यह शासन का एक महत्त्वपूर्ण घटक क्यों है? सेवोत्तम मॉडल के संदर्भ में व्याख्या कीजिये। (150 शब्द)

    01 Jul, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • लोक सेवा वितरण के सिद्धांतों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • सुशासन के लक्ष्य की प्राप्ति में इसके महत्त्व को बताइये।
    • सेवोत्तम मॉडल के संदर्भ में इसकी चर्चा कीजिये।
    • संक्षिप्त निष्कर्ष दीजिये।

    जनता तक विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं का समतामूलक वितरण सुनिश्चित करना राज्य का बुनियादी कर्तव्य है। राज्य की तरफ से सार्वजनिक अधिकारी इन सेवाओं का वितरण सुनिश्चित करते हैं, साथ ही कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ प्रशासन को न्यायसंगत बनाते हैं। प्रभावी लोक सेवा वितरण हेतु समता, न्याय तथा जवाबदेही आदि सिद्धांत उत्तरदायी होते हैं जिन्हें निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है-

    जन-केंद्रित : सेवा वितरण का मूल उद्देश्य जनता का कल्याण करना, उसकी शिकायतों को दूर करना, लोगों के अधिकारों को सुरक्षित करना तथा लोगों की आवश्यकता के अनुरूप सेवाओं को संशोधित करना है।

    समता : समाज के गरीब एवं कमज़ोर वर्गों तक सरकारी सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करना तथा उन तक सरकार की पहुँच सुनिश्चित करना।

    समावेशिता : पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक सेवा प्रदायिता सुनिश्चित कर उसके कल्याण हेतु तत्पर रहना तथा गांधी जी के अंत्योदय के विचार को मूर्त रूप प्रदान करना।

    ज़िम्मेदारी : नागरिकों व राज्य के बीच सेवा वितरण इंटरपेस को नागरिक आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील बनाने की ज़िम्मेदारी लेना।

    तर्कसंगतता : सेवा वितरण के सभी निर्णय वास्तविक तथ्यों एवं आँकड़ों के आधार पर लिये जाने चाहिये।

    पारदर्शिता : सेवा वितरण की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिये जिसमें नागरिकों को प्राप्त होने वाली सेवाओं की लागत, सेवा मानक, सेवा प्रदाता की पहचान तथा प्राप्त परिणामों को जानने का अधिकार हो।

    जवाबदेहिता : सेवा प्रदाता न केवल सरकार के प्रति बल्कि नागरिकों के प्रति भी जवाबदेह होने चाहिये।

    शिकायत निवारण : सेवा से असंतुष्ट जनता की शिकायतों के निवारण हेतु एक सुपरिभाषित प्रणाली होनी चाहिये।

    वस्तुत: सुशासन एवं लोक सेवा वितरण एक-दूसरे से जुडे़ हुए हैं। शासन एवं लोक सेवा वितरण की गुणवत्ता गरीबी तथा असमानता के प्रभाव को कम कर आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकती है। सेवोत्तम एक आकलन-सुधार मॉडल है जिसे वर्ष 2006 में कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग ने देश में लोक सेवा वितरण की गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से परिकल्पित किया था।

    सेवोत्तम मॉडल के तीन प्रमुख घटक को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है-

    नागरिक घोषणा-पत्र का सफल क्रियान्वयन : इसमें नागरिकों के इनपुट प्राप्त करने के लिये एक चैनल की आवश्यकता है जो कि संगठन की सेवा वितरण आवश्यकताओं का निर्धारण करेगा।

    मज़बूत लोक शिकायत निवारण तंत्र : सेवा वितरण की गुणवत्ता को सुधारने के लिये एक मज़बूत शिकायत निवारण तंत्र का होना अति आवश्यक है, जो कि शिकायत निवारण के साथ-साथ सरकारी तंत्र में लोगों के विश्वास में वृद्धि करेगा।

    सेवा डिलीवरी क्षमता : प्रदान की गई सेवाओं की पहचान, सेवा वितरण प्रक्रिया, उनका नियंत्रण एवं वितरण की आवश्यकता आदि को ध्यान में रखना।

    इस प्रकार देखा जाए तो आत्म-जवाबदेही, ईमानदारी तथा समर्पण के माध्यम से कुशल लोक सेवा वितरण को सुनिश्चित किया जा सकता है जिसमें सेवोत्तम जैसे मॉडल अनुकरणीय उदाहरण पेश करते है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow