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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ वन विभाग ने सामुदायिक वन अधिकार संबंधी निर्देश वापस लिये

  • 04 Jul 2025
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

छत्तीसगढ़ वन विभाग ने हाल ही में अपना निर्देश वापस ले लिया है, जिसके तहत सरकारी विभागों, गैर सरकारी संगठनों और निजी संस्थाओं को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFRR) से संबंधित कोई भी कार्य करने से रोक दिया गया था।

मुख्य बिंदु

  • परामर्श वापस लेना:
    • वन विभाग ने शुरू में वन अधिकार अधिनियम (FRA) 2006 के तहत दी गई CFRR भूमि पर नियंत्रण का दावा किया था, जो कि केंद्र सरकार द्वारा मॉडल प्रबंधन योजनाओं के जारी होने तक लंबित था। 
    • परामर्श में वन विभाग को CFRR कार्यान्वयन के लिये नोडल एजेंसी नामित किया गया, जिसके कारण आदिवासी समुदायों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिन्होंने इसे वन संसाधनों के प्रबंधन के अपने अधिकारों का उल्लंघन माना। 
      • चिंताओं का समाधान करने के लिये, वन विभाग ने जनजातीय मामलों और पर्यावरण मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वे सभी हितधारकों के लिये विस्तृत CFRR योजनाएँ, कार्यान्वयन दिशानिर्देश और प्रशिक्षण मॉड्यूल तत्काल जारी किया जाए।
  • वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 
    • परिचय: इसे वन में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों (ST) और अन्य पारंपरिक वन निवासियों (OTFD) को आधिकारिक रूप से वन अधिकारों और पट्टेदारी को मान्यता प्रदान करने के लिये अधिनियमित किया गया था, जो अपने अधिकारों के औपचारिक दस्तावेज़ीकरण के बिना पीढ़ियों से इन वनों में आवास कर रहे हैं।  
    • उद्देश्य: इसका उद्देश्य उन ऐतिहासिक अन्यायों को सुधारना है, जिनका सामना इन समुदायों को औपनिवेशिक और पश्च-औपनिवेशिक वन प्रबंधन नीतियों के कारण करना पड़ा, जिन्होंने भूमि के साथ उनके गहन और सहजीवी संबंधों को नज़रअंदाज़ कर दिया।
      • भूमि तक स्थायी पहुँच और वन संसाधनों के उपयोग को सक्षम करके, जैवविविधता और पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देकर और उन्हें अवैध बेदखली और विस्थापन से बचाकर इन समुदायों को सशक्त बनाना। 
    • प्रावधान:  
      • स्वामित्व अधिकार: लघु वन उपज (MFP) पर स्वामित्व प्रदान करता है। वन उपज के संग्रह, उपयोग और निपटान की अनुमति प्रदान करता है। 
        • MFP से तात्पर्य वनस्पति मूल के सभी गैर-लकड़ी वन उत्पादों से है, जिसमें बाँस, झाड़-झंखाड़, स्टंप और बेंत शामिल हैं। 
      • सामुदायिक अधिकार: इसमें निस्तार (सामुदायिक वन संसाधन का एक प्रकार)  जैसे पारंपरिक उपयोग अधिकार शामिल हैं।
      • पर्यावास अधिकार: आदिम जनजातीय समूहों और पूर्व-कृषि समुदायों के उनके पारंपरिक पर्यावासों के  अधिकारों की रक्षा करता है।
      • सामुदायिक वन संसाधन (CFR): समुदायों को उन वन संसाधनों की रक्षा, पुनर्जनन और स्थायी प्रबंधन करने में सक्षम बनाता है जिन्हें वे पारंपरिक रूप से संरक्षित करते आए हैं। 
        • यह अधिनियम सरकार द्वारा प्रबंधित लोक कल्याण परियोजनाओं के लिये वन भूमि के उपयोग की सुविधा प्रदान करता है, जो ग्राम सभा की  स्वीकृति के अधीन है।
  • सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFRR)
    • अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 (जिसे आमतौर पर वन अधिकार अधिनियम के रूप में संदर्भित किया जाता है) की धारा 3(1)(i) के तहत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार सामुदायिक वन संसाधन की “सुरक्षा, पुनरोद्धार या संरक्षण या प्रबंधन” के अधिकार की मान्यता प्रदान करता है।
      • ये अधिकार समुदाय को स्वयं तथा अन्य लोगों द्वारा वन उपयोग के लिये नियम बनाने की अनुमति देते हैं तथा इस प्रकार वन अधिकार अधिनियम (FRA) की धारा 5 के अंतर्गत अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं।


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