इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    वर्ष 2021 से UNSC में शुरू हुए भारत के दो वर्ष का कार्यकाल भारत की बहुपक्षीय स्थिति को बढ़ाने और इसके पारंपरिक दृष्टिकोण को फिर से आकार देने की अपार संभावनाएँ प्रदान करता है। टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द)

    11 Mar, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारतीय विदेश नीति के मूल सिद्धांत का संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि यह किस प्रकार संयुक्त राष्ट्र में भारत के पारंपरिक दृष्टिकोण में सुधार हेतु एक अवसर है।
    • आशावादी दृष्टिकोण के साथ निष्कर्ष लिखिये।

    बहुपक्षवाद भारतीय विदेश नीति का मुख्य सिद्धांत है। भारत अपनी बहुपक्षीय प्रतिबद्धता के प्रति हमेशा से ही अडिग रहा है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र, ब्रेटनवुड व्यवस्था और विश्व व्यापार संगठन (WTO) में सुधार की मांग करके बहुपक्षवाद को मज़बूती प्रदान करने के लिये लगातार प्रयास किया है। इसने पेरिस समझौते में शामिल होकर एक महत्त्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को उम्मीद से आगे बढ़कर प्राप्त किया है। भारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में 2 वर्ष का कार्यकाल भारत की बहुपक्षीय स्थिति और पारंपरिक दृष्टिकोण को फिर से आकार देने के लिये व्यापक संभावनाएँ प्रस्तुत करने का एक उपयुक्त अवसर है।

    भारत के लिये संभावनाएँ:

    • भारत दशकों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। इस लक्ष्य तक पहुँचने के लिये भारत अपना दावा प्रस्तुत करने हेतु अपनी अस्थायी सदस्यता की स्थिति का प्रयोग एक प्रारंभिक सोपान के रूप में कर सकता है।
    • नियमों से संचालित होने वाले लोकतंत्र और वैश्विक सुरक्षा में एक सकारात्मक योगदानकर्त्ता के रूप में भारत अभिनव और समावेशी समाधान प्रस्तुत करने हेतु भागीदारों के साथ रचनात्मक तरीके से कार्य कर सकेगा।
    • आतंकवादियों द्वारा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का दुरुपयोग किये जाने के संदर्भ में भारत, आतंकवादियों की उनके प्रायोजकों के साथ साँठगाँठ और पार-राष्ट्रीय संगठित आपराधिक संगठनों द्वारा दिये जाने वाले वित्त के प्रवाह को रोककर अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के प्रति प्रभावी प्रतिक्रिया देने के उद्देश्य से परिषद के माध्यम से ठोस तथा परिणामोन्मुख कार्रवाई कर सकता है।
    • भारत मानवीय आपदाओं को कम करने, जीवन सुगमता को बढ़ाने और स्थिति के अनुसार समुदायों को स्थापित करने हेतु तकनीकी नवाचार के लाभों का उपयोग करने हेतु स्वयं की भागीदारी को बढ़ा सकेगा।
    • तेज़ी से परिवर्तित होते सुरक्षा परिदृश्य, पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों की दृढ़ता और नई तथा जटिल चुनौतियों के उद्भव से निपट कर भारत स्थायी शांति सुनिश्चित करने हेतु सहयोग के लिये सुसंगत, व्यावहारिक और प्रभावी मंच प्रदान कर सकेगा।

    सुरक्षा परिषद में भारत का एक अस्थायी सदस्य के रूप में चुनाव इसके राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा और नियम आधारित विश्व व्यवस्था के प्रति अपने विश्वास और एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिये अवसरों की अधिकता प्रदान करता है। भारत को सुरक्षा परिषद में अपने आंतरिक मुद्दों का विरोधी राष्ट्रों द्वारा राजनीतिकरण किये जाने के कारण नुकसान भी उठाना पड़ा है। अत: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इसकी उपस्थिति से विरोधी राष्ट्रों के इस तरह के प्रयासों का कूटनीतिक तरीके से अधिक प्रभावी रूप में सामना किया जा सकेगा।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow