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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    एक व्यापक अंतरिक्ष रणनीति की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये जिसे भारत प्रमुख अंतरिक्ष शक्तियों में से एक बनने के लिये अपना सकता है। (250 शब्द)

    01 Mar, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • वर्तमान संदर्भ में बाह्य अंतरिक्ष के महत्त्व पर बल देने के साथ उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि कैसे अंतरिक्ष व्यापक रणनीतिक संदर्भ का एक हिस्सा है और भारत के लिये व्यापक अंतरिक्ष रणनीतियाँ बनाने की आवश्यकता है।
    • आगे की राह बताइये।

    परिचय

    बाह्य अंतरिक्ष के उपयोग को सुरक्षित कर सकने की भारत की क्षमता ने वर्तमान युग में इसके विकास और समृद्धि में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। दूसरे अंतरिक्ष युग के आगमन के साथ स्पेसएक्स (SpaceX) जैसी निजी न्यूस्पेस कंपनियों ने अग्रणी भूमिका निभानी शुरू कर दी है। हालाँकि जैसा कि बाह्य अंतरिक्ष संधि (Outer Space Treaty- OST) में उल्लिखित है, मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय कानून राष्ट्र-राज्यों को उनकी निजी अंतरिक्ष कंपनियों, नागरिकों और सरकारी अधिकारियों के कार्यों एवं परिणामों के लिये उत्तरदायी ठहराते हैं। देशों और उनके गठबंधनों के लिये यह विवेकपूर्ण होगा कि वे अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों का व्यापक मार्गदर्शन करने वाली रणनीति तैयार करें। इस तरह की पहल से अंतर-सांगठनिक समन्वय को बढ़ावा मिलेगा और निवेशकों के विश्वास निर्माण में मदद मिलेगी।

    बाह्य अंतरिक्ष के लिए व्यापक नीति की आवश्यकता

    • भारत, अंतरिक्ष क्षेत्र में सक्रीय रूप से संलग्न है, जिसने बीते दशकों में उल्लेखनीय अंतरिक्ष क्षमताओं का विकास किया है। वहीं अमेरिका स्वीकार करता है कि वह अंतरिक्ष व्यवस्था को एकतरफा परिभाषित नहीं करता है और इसलिये वह नए भागीदारों की तलाश कर रहा है।
      • वाशिंगटन में जारी भारत-अमेरिका संयुक्त बयान में ‘स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस समझौता ज्ञापन’ को इस वर्ष के अंत तक अंतिम रूप देने की योजना पर प्रकाश डाला गया है, जो बाह्य अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक संवहनीयता को सुनिश्चित करने की दिशा में डेटा और सेवाओं को साझा करने में मदद करेगा।
    • ‘स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस’ पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग समुद्री क्षेत्र जागरूकता पर संपन्न समझौतों के ही समान है, जो विभिन्न महासागरीय मेट्रिक्स पर जानकारी साझा करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
    • ‘क्वाड' द्वारा स्थापित नया अंतरिक्ष कार्यसमूह सहयोग के नए अवसरों की पहचान करेगा और जलवायु परिवर्तन की निगरानी, ​​​​आपदा प्रतिक्रिया एवं तत्परता, महासागरों एवं समुद्री संसाधनों के सतत् उपयोग और साझा क्षेत्रों में चुनौतियों पर अनुक्रिया जैसे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये उपग्रह डेटा की साझेदारी सुनिश्चित करेगा।
      • क्वाड नेताओं ने "बाह्य अंतरिक्ष के सतत् उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये नियमों, मानदंडों, दिशानिर्देशों और सिद्धांतों पर परामर्श करने’ के प्रति प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है।

    आगे की राह

    • अंतरिक्ष परियोजनाओं के लिये संतुलित दृष्टिकोण: भारत को चयनित बाह्य अंतरिक्ष परियोजनाओं पर अत्यधिक केंद्रित बने रहने से बचना चाहिये। इसके बजाय उसे कक्षीय (In-Orbit), पृथ्वी से अंतरिक्ष (Earth-to-Space) और अंतरिक्ष से पृथ्वी (Space-to-Earth) अनुप्रयोगों को संबोधित करने के लिये एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिये।
      • नाटो (NATO) की रणनीति में अंतरिक्ष को ‘संघर्ष के विभिन्न क्षेत्रों’ में प्रासंगिक बताया गया है जो कि एक अनुकरणीय दृष्टिकोण है।
    • अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर संलग्नता: अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) बाह्य अंतरिक्ष में उत्तरदायी व्यवहार के लिये आवश्यक मानदंडों पर विचाररत है।
      • भारत को यह संकेत देना होगा कि भारत न केवल एक भागीदार बल्कि एक प्रमुख हितधारक भी होगा। इस संबंध में सभी देशों द्वारा अंतरिक्ष के उपयोग हेतु अप्रतिबंधित पहुँच सुनिश्चित करने के मद्देनज़र भारत की चिंताओं को सामने रखना बेहद आवश्यक है।
    • ‘स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस’ (SSA): स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस (SSA) अंतरिक्ष के किसी पिंड की स्थिति एवं गतिविधि और उसके प्रभाव के संबंध में जागरूकता की स्थिति है।
      • भारत की रणनीतिक घोषणा में एक पारदर्शी SSA भी प्रमुखता से शामिल होना चाहिये क्योंकि यह रक्षा और प्रतिरोध के लिये विभिन्न क्षेत्रों में भारत की क्षमताओं को बढ़ाएगा।
      • नई दिल्ली को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराये गए SSA डेटा के साथ अपने विरोधियों को उत्तरदायी ठहराने का संकल्प व्यक्त करना चाहिये।
    • अंतरिक्ष में मलबे की समाप्ति: ‘फेंग्युन-1C’ उपग्रह के मलबे से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) को पहुँचे खतरे के कारण चीन को आलोचना का सामना करना पड़ा था। इस संबंध में चीन ने अंतरिक्ष क्षेत्र पर एक श्वेत पत्र जारी किया जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय चिंताओं को कम करना और चीन को एक ज़िम्मेदार पक्ष के रूप में पेश करना था।
      • भारत को भी ‘डायरेक्ट एसेंट एंटी-सैटेलाइट टेस्ट’ मिशन शक्ति के लिये अंतर्राष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ा।
      • अंतरिक्ष के उपयोग पर जारी अपने रणनीतिक प्रकाशन में भारत को भी यह आश्वासन देना चाहिये कि अंतरिक्ष मलबे को कम करने के लिये वह ज़िम्मेदार भूमिका निभाएगा।
      • सेल्फ-ईटिंग रॉकेट्स, सेल्फ-वैनिशिंग सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष मलबों के संग्रहण के लिये रोबोटिक आर्म्स जैसी प्रौद्योगिकियों में इसरो को कार्य करने की आवश्यकता है।
    • अंतरिक्ष में स्थायी उपस्थिति: इसरो ने ‘गगनयान मिशन’ के साथ एक प्रमुख फोकस क्षेत्र के रूप में मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान पर कार्य शुरू किया है।
      • मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के महत्त्व के साथ-साथ कक्षा में निरंतर मानव उपस्थिति और गहन अंतरिक्ष अन्वेषण को उजागर करना भारत के लिये रणनीतिक एवं वैज्ञानिक महत्त्व रखता है।
      • एक अन्य प्रासंगिक क्षेत्र ‘नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स’ से रक्षा सुनिश्चित करना है जिसके लिये भारत को अपने अनुसंधान में तेज़ी लानी चाहिये।
        • भारत को अल्पावधि में अंतर्राष्ट्रीय निकायों के साथ सहयोग और दीर्घावधि में ग्रहीय रक्षा कार्यक्रम हेतु योजना निर्माण की पहल करनी चाहिये।
        • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के बिना भारत चीन की बराबरी नहीं कर सकेगा।

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