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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. 'इलेक्ट्रिक वाहन परिवहन क्षेत्र का भविष्य हैं।' इस कथन के आलोक में भारतीय बाज़ार में इलेक्ट्रिक वाहनों की पैठ बढ़ाने से संबद्ध चुनौतियों और उपायों पर चर्चा कीजिये।

    28 Dec, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण :

    • इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के उपयोग के महत्त्व और संभावनाओं को लिखने के साथ उत्तर शुरू कीजिये।
    • इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से जुड़ी चुनौतियों की चर्चा कीजिये।
    • भारतीय बाज़ार में इलेक्ट्रिक वाहनों की पहुँच बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा कीजिये
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    इलेक्ट्रिक वाहन आंतरिक दहन इंजन के बजाय इलेक्ट्रिक मोटर से संचालित होते हैं और इनमें ईंधन टैंक के बजाय बैटरी लगी होती है। सामान्य तौर पर, इलेक्ट्रिक वाहनों की परिचालन लागत कम होती है, क्योंकि इनकी संचालन प्रक्रिया सरल होती है और ये पर्यावरण के लिये भी अनुकूल होते हैं।

    भारत में, इलेक्ट्रिक वाहन के लिये ईंधन की लागत लगभग 80 पैसे प्रति किलोमीटर है। इसकी तुलना में, आज भारतीय शहरों में 100 रुपए प्रति लीटर से अधिक के पेट्रोल मूल्य के साथ पेट्रोल-संचालित वाहनों पर 7-8 रुपए प्रति किलोमीटर का खर्च आता है।

    भारत में संभावनाएँ

    • निजी क्षेत्र ने इलेक्ट्रिक वाहनों की अनिवार्यता का स्वागत किया है।
    • अमेज़न, स्विगी और ज़ोमैटो जैसी कंपनियाँ अपने डिलीवरी कार्यों के लिये EVs का अधिकाधिक प्रयोग कर रही हैं।
    • महिंद्रा जैसी कार निर्माता कंपनी की ओला जैसी उपभोक्ता सेवाप्रदाता कंपनी के साथ और टाटा मोटर्स की ब्लू स्मार्ट मोबिलिटी के साथ साझेदारी से अधिकाधिक इलेक्ट्रिक वाहन डिलीवरी और राइड-हेलिंग सेवाओं की सुनिश्चितता होगी।

    संबद्ध चुनौतियाँ

    • चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी: इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित सर्वाधिक गंभीर चुनौती भारत में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है।
      • इलेक्ट्रिक वाहन आमतौर पर लिथियम-आधारित बैटरी द्वारा संचालित होते हैं। इन बैटरियों को आमतौर पर प्रत्येक 200-250 किलोमीटर पर चार्ज करने की आवश्यकता होती है। इसलिये चार्जिंग पॉइंट्स के सघन प्रसार की आवश्यकता है।
    • धीमी चार्जिंग की समस्या: निजी लाइट-ड्यूटी स्लो चार्जर का उपयोग कर घर पर EVs को फुल चार्ज करने में 12 घंटे तक का समय लगता है। घर पर धीमी चार्जिंग की इस तकनीकी समस्या के विकल्प के रूप में देश भर में चुनिंदा चार्जिंग स्टेशन ही उपलब्ध हैं।
      • भारत जैसे बड़े और घनी आबादी वाले देश के लिये इन चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बेहद अपर्याप्त है।
    • इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन के लिये एक स्थिर नीति का अभाव: इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन एक पूँजी गहन क्षेत्र है, जहाँ एकसमानता और लाभ प्राप्ति के लिये दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है। इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन से संबंधित सरकारी नीतियों की अनिश्चितता इस उद्योग में निवेश को हतोत्साहित करती है।
    • तकनीकी चुनौतियाँ: भारत इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन के मामले में तकनीकी रूप से पिछड़ा हुआ है, जबकि बैटरी, सेमीकंडक्टर्स, कंट्रोलर आदि इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिये काफी महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।
    • संबद्ध अवसंरचना समर्थन का अभाव: ‘एसी बनाम डीसी’ चार्जिंग स्टेशनों, ग्रिड स्थिरता और ‘रेंज एंग्जायटी’ (यह भय कि बैटरी जल्द ही खत्म हो जाएगी) के संबंध में स्पष्टता की कमी कुछ अन्य कारक हैं, जो इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के विकास को बाधित कर रहे हैं।
    • घरेलू उत्पादन के लिये सामग्री की उपलब्धता में कमी: बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों का सबसे महत्त्वपूर्ण घटक है। भारत में लिथियम और कोबाल्ट का कोई ज्ञात भंडार नहीं है, जो बैटरी उत्पादन के लिये आवश्यक है। भारत लिथियम आयन बैटरी के आयात के लिये जापान और चीन जैसे देशों पर निर्भर है।
    • कुशल कामगारों की कमी: EVs को लगातार सर्विसिंग की आवश्यकता होती है और सर्विसिंग के लिये उच्च स्तर के कौशल की आवश्यकता होती है। भारत में ऐसे कौशल विकास के लिये समर्पित प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का अभाव है।

    आगे की राह

    • इलेक्ट्रिक वाहन में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ाना: भारतीय बाज़ार को स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के लिये प्रोत्साहन की आवश्यकता है, जो रणनीतिक और आर्थिक दोनों दृष्टिकोण से भारत के अनुकूल हों।
      • चूँकि कीमतों को कम करने के लिये स्थानीय अनुसंधान एवं विकास में निवेश आवश्यक है, इसलिये स्थानीय विश्वविद्यालयों और मौजूदा औद्योगिक केंद्रों का सहयोग लेना उपयुक्त होगा।
      • भारत को यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों के साथ मिलकर कार्य करना चाहिये और इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास को सुसंगत बनाना चाहिये।
    • लोगों को जागरूक करना: पुराने मानदंडों को तोड़ना और एक नए उपभोक्ता व्यवहार का निर्माण करना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है। इसलिये, भारतीय बाज़ार में व्याप्त आशंकाओं को दूर करने और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिये लोगों को जागरूक और सुग्राही बनाने की आवश्यकता है।
    • व्यवहार्य बिजली मूल्य निर्धारण: बिजली की मौजूदा कीमतों को देखते हुए ‘होम चार्जिंग’ भी एक समस्या हो सकता है। बिजली की कीमतों को कम करने के लिये कोयले पर आधारित थर्मल पावर प्लांट के बदले अन्य विकल्प आजमाने होंगे।
      • इस प्रकार, इलेक्ट्रिक कारों के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिये संपूर्ण बिजली उत्पादन परिदृश्य में भी परिवर्तन लाए जाने की आवश्यकता है।
      • इस संदर्भ में सुखद है कि भारत वर्ष 2025 तक विश्व के सबसे बड़े सौर एवं ऊर्जा भंडारण बाज़ारों में से एक बनने की राह पर है।
    • क्लोज़्ड-लूप मोबिलिटी इकोसिस्टम का निर्माण करना: इलेक्ट्रिक आपूर्ति शृंखला के लिये विनिर्माण को सब्सिडी प्रदान करने से निश्चित रूप से भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास परिदृश्य में सुधार होगा।
      • चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही एक सुदृढ़ आपूर्ति शृंखला की स्थापना की भी आवश्यकता होगी।

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