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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. जहाँ केंद्र एवं राज्य सरकारें, दोनों ही संविधान से अपने प्राधिकारों की प्राप्ति करती हैं, वहीं भारतीय संविधान में संघीय प्रणाली का झुकाव एकात्मकता की ओर है। स्पष्ट कीजिये। (250 शब्द)

    28 Dec, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • संघात्मक एवं एकात्मक लोकतांत्रिक व्यवस्था को बताते हुए भूमिका लिखिये।
    • भारतीय संविधान की एकात्मक प्रकृति के साथ-साथ संघात्मक प्रकृति को बताइये।
    • केंद्र की राज्यों की तुलना में मज़बूत स्थिति को बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    संघीय लोकतांत्रिक प्रणाली में केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट एवं समान विभाजन होता है जबकि एकात्मक व्यवस्था में केंद्र अधिक शक्तिशाली होता है तथा राज्य उसके अधीनस्थ होते हैं। हालाँकि भारतीय संविधान में भारत के लिये ‘फेडरल’ शब्द का प्रयोग न करके ‘यूनियन ऑफ स्टेट्स’ शब्द का प्रयोग किया गया है। जो कि भारत की यह पूर्ण संघ न होने की विशेषत को दर्शाता है।

    वस्तुत: भारतीय संविधान की प्रकृति संघीय एवं एकात्मक कई प्रावधानों से पहचानी जाती है। जिसमें प्रमुख संघीय विशेषताएँ जैसे-

    • शक्तियों का विभाजन: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में शक्तियों का स्पष्ट विभाजन दिखाता है जिसमें संघ सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची का प्रावधान है।
    • लिखित संविधान एवं संवैधानिक सर्वोच्चता: भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है तथा भारत में विधि का सर्वोच्च स्रोत संविधान है।
    • स्वतंत्र न्यायपालिका: संविधान एक ऐसी न्यायपालिका की स्थापना करता है जो अपने आप में एकीकृत होने के साथ-साथ स्वतंत्र भी है।
    • भारत का संसदीय स्वरूप: भारतीय संसद एक द्वि-सदनीय प्रणाली वाली संसद है जहाँ राज्यसभा एवं लोकसभा का अपना-अपना महत्त्व है।

    प्रमुख एकात्मक विशेषताएँ

    • राज्यों एवं केंद्र हेतु एकीकृत संविधान का प्रावधान है। जहाँ एक वास्तविक संघ में राज्यों एवं केंद्र हेतु पृथक-पृथक संविधान की व्यवस्था है।
    • केंद्र का राज्यों पर नियंत्रण: केंद्र राज्यसूची पर विधि का निर्माण कर सकती है जबकि राज्य केंद्र हेतु विधि निर्माण नहीं कर सकती।
      • राज्य सभा राज्यों का समान प्रतिनिधित्व नहीं करती जबकि एक वास्तविक संघ में उच्च सदन में राज्यों का समान प्रतिनिधित्व होता है।
    • राज्यों का अस्तित्व केंद्र पर निर्भर करता है: केंद्र विधि निर्माण द्वारा राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन कर सकती है।
    • एकल नागरिकता: भारतीय संघ एकल नागरिकता का प्रावधान करता है जबकि वास्तविकता में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है।
      • एकीकृत न्यायपालिका, केंद्र द्वारा राज्यपाल की नियुक्ति, अखिल भारतीय सेवाएँ तथा आपातकालीन प्रावधान आदि अन्य एकात्मक लक्षण हैं।

    वस्तुत: भारतीय संविधान प्रकृति में संघीय है तथा उसकी आत्मा एकात्मक है, जिसे कई प्रावधान साबित करते हैं जैसे- विधायी मसले पर केंद्र को अधिक प्राधिकार (संघ सूची को राज्य सूची पर वरीयता, समवर्ती सूची के विषय पर केंद्रीय कानून को वरीयता) देना तथा प्रशासनिक मसले पर (केंद्र सरकार को अनुच्छेद 356 के तहत प्राप्त शक्तियों) एवं वित्तीय मसले पर (राजस्व वितरण पर केंद्र पर प्राधिकार, राज्यों को ग्रांट देना सी.ए.जी. के पद पर नियंत्रण, वित्त आयोग का गठन)। इस प्रकार देखें तो भारत अपनी प्रकृति में संघीय तथा आत्मा में एकात्मकता लिये हुए है जो कि भारत को विश्व में विशिष्ट बनाती है।

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