दृष्टि आईएएस अब इंदौर में भी! अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें |   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    जवाहरलाल नेहरू की नीतियों ने किस प्रकार राष्ट्र-निर्माण और स्वतंत्रता के बाद भारत के एकीकरण में मदद की? विवेचना कीजिये।

    13 May, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    दृष्टिकोण

    • उत्तर की शुरुआत नव स्वतंत्र भारत के सामने आने वाली चुनौतियों को संक्षेप में बताते हुए कीजिये।
    • स्वतंत्रता के बाद के सुदृढ़ीकरण और राष्ट्र निर्माण में नेहरू की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    वर्ष 1947 में भारत को स्वतंत्रता तो मिली लेकिन एक राष्ट्र के रूप में इसे बहुत कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। उदाहरण के लिये स्वतंत्रता देश के विभाजन और सांप्रदायिक हिंसा के साथ आई। पूरा देश गरीबी, अशिक्षा और विकास की कमी के बोझ तले दब गया था। विदेश नीति के मोर्चे पर, भू-राजनीति शीत युद्ध की शुरुआत देख रही थी।

    इस परिदृश्य में, जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने और कई सुधारों एवं नीतियों की शुरुआत की जिन्होंने राष्ट्र निर्माण तथा स्वतंत्रता के बाद भारत के एकीकरण में मदद की।

    • राष्ट्र का एकीकरण: नेहरू ने लोगों की क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये राज्य पुनर्गठन समिति की स्थापना की ताकि उनके राष्ट्र से अलग होने की संभावना कम हो जाए।
    • शरणार्थियों का पुनर्वास: पाकिस्तान के शरणार्थियों को आश्रय दिया गया और सांप्रदायिकता को कम करने के प्रयास किये गए।
    • धर्मनिरपेक्षता: विशेष रूप से नेहरू के प्रयासों के कारण ही भारत बीसवीं शताब्दी के मध्य में एक धर्मनिरपेक्ष राज्य के रूप में उभरा।
      • स्वतंत्रता से बहुत पहले, उन्होंने भारतीय राजनीति के लिये एक धर्मनिरपेक्ष आधार के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
      • इससे 'अनेकता में एकता' के आख्यान के निर्माण में मदद मिली।
    • कल्याणकारी राज्य: नेहरू एक व्यावहारिक आदर्शवादी थे और उनका मानना ​​था कि समाजवाद तथा लोकतंत्र परस्पर विरोधी नहीं बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं।
      • वह धन के समान वितरण के लिये एक कल्याणकारी राज्य का निर्माण करना चाहते थे।
    • योजना आयोग: एक व्यावहारिक समाजवादी के रूप में जवाहरलाल नेहरू ने एक ऐसे देश में कल्याणकारी राज्य के महत्त्व को समझा, जिसके पास पर्याप्त बुनियादी ढाँचा उपलब्ध नहीं था और सामाजिक कल्याण हेतु दीर्घकालिक योजना के लिये एक योजना आयोग की स्थापना की।
    • गुटनिरपेक्ष नीति (NAM): विदेश मंत्री होने के नाते, नेहरू किसी भी शक्ति गुट में शामिल नहीं होना चाहते थे। साथ ही वह नहीं चाहते थे कि भारत विश्व राजनीति से अलग रहे। इसलिये अन्य तीसरी दुनिया के देशों के साथ NAM स्थापित करने का नेहरू का दूरदर्शी दृष्टिकोण एक आदर्श विदेश नीति दृष्टिकोण साबित हुआ।

    निष्कर्ष

    कठिन चुनौतियों का सामना करने के बावजूद नेहरू राष्ट्र को मज़बूत बनाए रखने में सफल रहे। उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन की परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए नवजात राष्ट्र भारत का पोषण किया। यही कारण है कि उन्हें व्यापक रूप से आधुनिक भारत के वास्तुकारों में से एक के रूप में प्रशंसित किया जाता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow