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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    किसान उत्पादक संगठनों में कृषि संकट के समाधान के रूप में कार्य करने की क्षमता है। टिप्पणी कीजिये।

    12 Apr, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • किसान उत्पादक संगठन (FPO) को परिभाषित करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • कृषि से जुड़ी समस्याओं के समाधान में FPOs की संभावित क्षमता के बारे में लिखिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    किसान उत्पादक संगठन किसान-सदस्यों द्वारा नियंत्रित स्वैच्छिक संगठन हैं, जिसके सदस्य नीतियों के निर्माण और निर्णयन में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।

    FPOs के संचालक अपने किसान-सदस्यों, निर्वाचित प्रतिनिधियों, प्रबंधकों एवं कर्मचारियों को कृषि से जुड़ी शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करते हैं ताकि वे अपने FPOs के विकास में प्रभावी योगदान दे सकें।

    देश के कई राज्यों में FPOs ने उत्साहजनक परिणाम दिखाए हैं एवं इनसे किसानों की आय में बढ़ोतरी देखी गई है।

    कृषि में विद्यमान समस्याओं के समाधान में FPOs की सार्थकता:

    जोत के आकार संबंधी समस्या: पिछले कुछ दशकों में भारत में औसत जोत का आकार लगातार घटता गया है। जहाॅं भारत में वर्ष 1970-71 के औसत जोत का आकार 2.3 हेक्टेयर (हेक्टेयर) था वहीं वर्ष 2015-16 में यह घटकर मात्र 1.08 हेक्टेयर रह गया। साथ ही कृषि क्षेत्र में छोटे और सीमांत किसानों की हिस्सेदारी वर्ष 1980-81 में 70% थी जो वर्ष 2015-16 में बढ़कर 86% हो गई।

    FPOs किसानों को सामूहिक खेती के लिये प्रोत्साहित कर सकते हैं और जोत के छोटे आकार से उत्पन्न उत्पादकता संबंधी चुनौतियों को संबोधित कर सकते हैं।

    इसके अलावा कृषि नवोन्मेष और उत्पादकता में वृद्धि के साथ रोज़गार सृजन में भी इनसे सहयता प्राप्त होगी।

    कॉर्पोरेट्स के साथ बातचीत: साधारणतः भारत के किसान निम्न या मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं एवं उनके पास शिक्षा, व्यापार इत्यादि का आम अनुभव होता है। साथ ही वो अकेले बड़े कॉरपोरेट घरानों से कृषि उपज को लेकर सौदेबाज़ी करने में असमर्थ होते हैं जिससे कई बार उनका शोषण होता है।

    FPOs किसानों को मोलभाव के दौरान बड़े कॉर्पोरेट उद्यमों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने में मदद कर सकता है, क्योंकि इसमें सदस्यों का एक समूह बातचीत में शामिल होता है एवं समझौता करता हैं।

    वित्त की उपलब्धता: सामान्यतः कृषि हेतु वित्त के लिये किसानों को महाजनों पर या बैंकों पर व्यक्तिगत रूप से निर्भर रहना पड़ता है, जिस कारण ऋण चुकाने का दवाब भी व्यक्तिगत होता है। कई बार इस दबाव के कारण किसान आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं।

    FPOs सदस्य किसानों को कम लागत और गुणवत्तापूर्ण इनपुट उपलब्ध करा सकता है। उदाहरण के रूप में फसलों के लिये ऋण, मशीनरी की खरीद, कृषि-इनपुट (उर्वरक, कीटनाशक आदि) और कृषि उपज का प्रत्यक्ष विपणन आदि।

    इससे सदस्य समय, लेन-देन की लागत, डिस्ट्रेस सेल, मूल्य में उतार-चढ़ाव, परिवहन, गुणवत्ता रखरखाव आदि के रूप में बचत कर सकेंगे।

    सामाजिक प्रभाव: FPOs के रूप में एक सामाजिक पूंजी का विकास होगा क्योंकि FPOs में लैंगिक भेदभाव को दूर करने और संगठन के निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिला किसानों की भागीदारी में सुधार हो सकता है।

    यह सामाजिक संघर्षों को कम करने के साथ ही समुदाय में बेहतर भोजन एवं पोषण को बढ़ाने में सहायता कर सकता है।

    निष्कर्ष

    पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को किसानों की मदद के लिये प्रोत्साहित किया है। FPOs की सहायता से निश्चित ही कृषकों की आय में वृद्धि होगी एवं वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने की दिशा में यह मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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