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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल ही में केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश, जिसके तहत भारतीय रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षण के अंतर्गत सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को लाया जाएगा, को मंज़ूरी दे दी। इस निर्णय के निहितार्थों पर प्रकाश डालते हुए इससे होने वाले लाभों की चर्चा करें।

    25 Aug, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • भूमिका
    • निर्णय के निहितार्थ
    • लाभ
    • निष्कर्ष

    भारतीय रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षण के अंतर्गत सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को लाया जाएगा, को मंज़ूरी दे दी। इस निर्णय के निहितार्थों को निम्नलिखित बिंदुओं के अंर्तगत समझा जा सकता है-

    • सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षण के अंतर्गत धोखाधड़ी एवं गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के कई मामलों के बाद आया है, जिसमें वर्ष 2019 का पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाला भी शामिल है।
    • सभी सहकारी बैंक RBI एवं सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के दोहरे विनियमन के अंतर्गत आते थे जिसके परिणामस्वरूप इनमें से कई बैंकों में विनियामक एवं पर्यवेक्षी त्रुटियाँ हो जाती थीं।
    • इसके अतिरिक्त RBI के पास सहकारी बैंक के पुनर्निर्माण से संबंधित एक प्रवर्तनीय योजना बनाने का अधिकार नहीं था।
    • हालाँकि अब सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंक RBI की प्रत्यक्ष निगरानी के अंतर्गत आएंगे।

    इससे होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं-

    • केंद्र सरकार का यह निर्णय RBI को वाणिज्यिक बैंकों की तर्ज पर सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को विनियमित करने का अधिकार देगा।
    • इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सहकारी बैंक सरफेसी अधिनियम, 2002) के प्रयोजनों के लिये बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत 'बैंकों' की परिभाषा में आते हैं। सरफेसी अधिनियम गैर-निष्पादित संपत्तियाँ की वसूली के लिये एक प्रभावी उपकरण है।
      • सरकार ने ऋण वसूली न्यायाधिकरण को पुनः जीवंत करने और नए दिवालियापन कानून के तहत परिसंपत्ति पुनर्निर्माण की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिये ‘एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों’ को सशक्त बनाने हेतु अगस्त 2016 में सरफेसी अधिनियम में संशोधन भी किया है।
    • यह सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों के जमाकर्त्ताओं को अधिक सुरक्षा भी प्रदान करेगा। उल्लेखनीय है कि भारत में 1482 शहरी सहकारी बैंक एवं 58 बहु-राज्यीय सहकारी बैंक हैं। इन बैंकों के पास 8.6 करोड़ रुपए का एक जमाकर्त्ता आधार है जिससे इन बैंकों में 4.84 लाख करोड़ रुपए के रूप में एक बड़ी राशि की बचत की गई है।

    उपरोक्त लाभों के बावज़ूद इससे जुड़ी चुनौतियों से इंकार नहीं किया जा सकता जैसे- इस निर्णय के बाद ग्रामीण सहकारी बैंक , RBI एवं सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के दोहरे विनियमन के तहत ही कार्य करते रहेंगे जबकि ग्रामीण सहकारी बैंक, शहरी सहकारी बैंकों की तरह ही दुर्व्यवहार एवं धोखाधड़ी के मुद्दे का सामना करते हैं। सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, इन बैंकों के निगमन, पंजीकरण, प्रबंधन, लेखा परीक्षा, बोर्ड का निवर्तन और विघटन के लिए उत्तरदायी होते हैं। इसके अतिरिक्त RBI इन बैंकों के विनियामक की भूमिका निभाती है, तथा आरक्षित नकदी और पूंजी पर्याप्तता, जैसे नियमों के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होती है।अतः इन चुनौतियों के मद्देनजर सरकार को अन्य वैकल्पिक प्रयासों को अपनाने पर भी जोर दिया जाना आवश्यक है।

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