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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारतीय शासकों ने दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ भागों में अपना साम्राज्य स्थापित किया था लेकिन यह किसी भी स्तर पर राजनीतक उपनिवेशवाद नहीं था। यह सांस्कृतिक उपनिवेशवाद था जहां अधिकृत देशों का सांस्कृतिक इतिहास उनसे प्रभावित हुआ । समीक्षा करें।

    09 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    उत्तर की रुपरेखा :

    • दक्षिण पूर्व एशिया के प्रति भारतीय शासकों के विशेष आकर्षण के कारणों का संक्षेप  में वर्णन करें ।
    • अशोक द्वारा बर्मा में भेजे गए बौद्ध मिशनरियों का उल्लेख करें। 
    • अन्य भारतीय शासकों के द्वारा किये गए औपनिवेशीकरण की वर्तमान समय के औपनिवेशीकरण से भिन्नता को स्पष्ट करें।

    प्राचीन काल में दक्षिण पूर्व एशिया के देशों को सुवर्ण भूमि के नाम से जाना जाता था। अपनी उपजाऊ भूमि, खनिजों की उपलब्धता के कारण मलय द्वीप समूह और इंडोचाइना क्षेत्र ने भारतीय शासकों को निरंतर  आकर्षित किया। इस औपनिवेशीकरण में राजनैतिक व सांस्कृतिक दोनों प्रवृत्तियों का समावेश था। इसे इन तर्कों व तथ्यों के आधार पर देखा जा सकता हैः

    अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रसार हेतु म्याँमार श्रीलंका  में बौद्ध भिक्षुओं को भेजा जिसने म्याँमार की संस्कृति को प्रभावित किया और इसे भारतीय संस्कृति से जोड़ा।

    भारतीय शासकों ने पहली सदी में कम्बोडिया का औपनिवेशीकरण किया और वहाँ पर शैव व वैष्णव धर्म का प्रसार किया। कम्बोडिया के शासकों ने अपना प्रसार लाओस, बर्मा, मलय द्वीप समूह तक किया। कम्बोडिया का अंकोरवाट मंदिर द्रविड़ शैली में बना हुआ है जहाँ महाभारत व रामायण का वर्णन मिलता है।

    कम्बोडिया की भाँति चम्पा, थाईलैण्ड, जावा व सुमात्रा पर भी इसी तरह का प्रभाव देखने को मिलता है। इंडोनेशिया की भाषा ‘ब्हासा’ पर संस्कृत व हिन्दी का स्पष्ट प्रभाव देखने को मिलता है। सुमात्रा के शासक शैलेन्द्र-1 को भारतीय शासक राजेन्द्र ने हराकर, सुमात्रा पर अधिकार प्राप्त किया था।

    उल्लेखनीय है कि निसंदेह भारतीय शासकों ने राजनैतिक लाभ हेतु दक्षिण पूर्व के देशों पर अधिकार किया था परंतु यह अधिकार वर्तमान के राजनैतिक औपनिवेशीकरण से भिन्न था क्योंकि भारतीय शासकों के ये नए उपनिवेश भारत से पूर्णतया स्वतंत्र व उसके नियंत्रण से बाहर थे। हालांकि 5वीं शताब्दी से 15वीं शताब्दी तक के शासन के दौरान भारतीय शासकों द्वारा प्रसारित सांस्कृतिक प्रभाव को एन देशों के स्थापत्य,भाषा,संस्कृति और ग्रन्थों के रूप में देखा जा सकता है ।

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