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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    "अगर इंग्लैंड, फ्राँस और रूस एक साथ मिलकर शांति के पक्ष में खड़े हो जाते तो नाजी ताकत को रोका जा सकता था, लेकिन फ्राँस और ब्रिटेन को हिटलर का साथ ज़्यादा पसंद था।" टिप्पणी कीजिये।

    09 Mar, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोणः

    • द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि में इंग्लैंड और फ्राँस की साम्यवाद एवं हिटलर के प्रति नीतियों पर चर्चा कीजिये।

    उक्त कथन फासीवादी शक्तियों के प्रति इंग्लैंड तथा फ्राँस की नीतियों में अंतर्विरोध एवं तुष्टीकरण की नीति के संदर्भ में कहा गया है।

    वर्साय की संधि के तहत जर्मनी का निःशस्त्रीकरण कर दिया गया, इस पर भारी आर्थिक जुर्माना लगाया गया एवं उसके उपनिवेशों को छीन लिया गया। इससे जर्मन जनता में असंतोष उत्पन्न हुआ एवं इसी को आधार बनाकर हिटलर सत्ता में आया।

    हिटलर ने सत्ता में आते ही वर्साय की संधि का एक-एक कर उल्लंघन करना शुरू किया। उसने उग्र विदेश नीति का अवलम्बन किया। उसने जर्मनी में सैनिक सेवा अनिवार्य कर दी और नए सिरे से जर्मनी का शस्त्रीकरण शुरू किया। उसने 1935 में ‘राइन क्षेत्र’ पर सैन्य अधिकार कर लिया, जिसका वर्साय की संधि के द्वारा असैन्यीकरण किया गया था। 1938 में उसने ऑस्ट्रिया पर अधिकार कर लिया। तत्पश्चात् उसने चेकोस्लोवाकिया के सुडेटनलैंड पर अधिकार कर लिया। लेकिन इंग्लैंड व फ्राँस ने तुष्टीकरण की नीति अपनाते हुए हिटलर का विरोध नहीं किया। वहीं जब हिटलर ने 1939 में डेजिंग गलियारा प्राप्त करने हेतु पोलैंड पर हमला किया तो इंग्लैंड तथा फ्राँस ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।

    वस्तुतः ये देश सोवियत संघ के साम्यवाद से भयभीत थे तथा उनकी नीति फासीवादी शक्तियों को साम्यवाद के विरुद्ध खड़ा करने की थी। इसी कारण उन्होंने साम्यवाद के विरुद्ध हिटलर का साथ दिया।

    इंग्लैंड के जर्मनी से घनिष्ठ व्यापारिक हित जुड़े हुए थे। साथ ही वह फ्राँस के साथ शक्ति संतुलन बनाए रखने हेतु जर्मनी के अस्तित्व को समाप्त करने का विरोधी था।

    अतः उपर्युक्त कारणों से इंग्लैंड तथा फ्राँस, नाजी अतिक्रमण के विरुद्ध खड़े नहीं हुए एवं साम्यवाद को ही अपना सबसे बड़ा शत्रु समझते रहे। इसके बजाय यदि इंग्लैंड और फ्राँस रूस के साथ मिलकर प्रयास करते तो हरसंभव नाजी अतिक्रमण को रोका जा सकता था।

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