दृष्टि आईएएस अब इंदौर में भी! अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें |   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    नीति आयोग ने किन कारणों से अपने तीन वर्षीय कार्यवाही एजेंडे में कृषिगत आय की एक निश्चित सीमा पर करारोपण का प्रस्ताव किया है? इसका अर्थव्यवस्था एवं समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (250 शब्द)

    29 May, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    ♦ प्रश्न का संबंध कृषि आयकर लगाने के मुद्दे पर नीति आयोग के दृष्टिकोण एवं तर्क से है। साथ ही इसका सामाजिक व आर्थिक प्रभाव भी स्पष्ट करना है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    ♦ कृषि आय पर कर के संबंध में वर्तमान प्रावधान व इस बहस की पृष्ठभूमि बताते हुए उत्तर प्रारंभ करें।

    ♦ कृषि आय पर कर लगाने के पक्ष में तर्क दें।

    ♦ कृषि आय पर कर लगाने के आर्थिक व सामाजिक प्रभाव बताएँ।

    ♦ निष्कर्ष।


    भारत में आयकर अधिनियम की धारा 10 में वर्णित प्रावधान के तहत कृषि से होने वाली आय पर आयकर नहीं लगता। ध्यातव्य है कि आज़ादी के बाद से ही यह विचार व बहस का मुद्दा रहा है कि कृषि आय पर कर लगना चाहिये या नहीं। हालिया समय में यह बात इसलिये चर्चा में रही क्योंकि भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम एवं नीति आयोग के सदस्य विवेक देबरॉय ने एक निश्चित सीमा के बाद कृषि से होने वाली आय पर कर लगाने का सुझाव दिया है।

    कृषि आय पर कर लगाने के पक्ष में तर्क:

    • नीति आयोग के अनुसार देश के 22 करोड़ परिवरों का दो-तिहाई हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में निवास करता है, जहाँ कृषि रोज़गार का बड़ा साधन है। कृषि आय पर कर लगने से आयकर का आधार क्षेत्र या दायरा (Tax Base) बढ़ेगा।
    • कृषि आय को कर मुक्त रखने से ये कर चोरी का बड़ा माध्यम बन गया है। वित्त मंत्रालय के आँकड़ों के मुताबिक 2007-08 से 2015-16 के बीच 2746 इकाइयों और व्यक्तियों ने एक करोड़ रुपए से अधिक की कृषि आय घोषित की। कई बड़ी फर्में करोड़ों की आमदनी को कृषि आय के अंतर्गत दिखाकर कृषि आय पर मिलने वाली छूट का फायदा उठाती हैं।
    • धनी किसानों से कर न लेना, अन्य करदाताओं के साथ न्याय नहीं है क्योंकि अगर कोई एक निश्चित सीमा से ज़्यादा कमाई करता है तो उसे आयकर देना ही चाहिये।
    • धनी व समृद्ध किसानों द्वारा आयकर न चुकाए जाने से उनके व लघु एवं सीमांत किसानों की आर्थिक दशा में अंतर गहराता जा रहा है।

    कृषि पर आयकर लगने से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:

    • इससे कर राजस्व में वृद्धि होगी और जिससे राजकोषीय सुदृढ़ता सुनिश्चित होगी।
    • कर राजस्व में वृद्धि होने पर सरकार सामाजिक कल्याण की परियोजनाओं एवं बुनियादी क्षेत्र के विकास में अधिक निवेश करेगी।
    • अर्थव्यवस्था में वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
    • इससे आर्थिक असमानता में कमी आएगी।

    समाज पर प्रभाव:

    • कृषि पहले से ही संकट में है। यदि कृषि पर आयकर लगता है तो इस क्षेत्र में संलग्न लोग हतोत्साहित हो सकते हैं। इसका अंतिम परिणाम सामाजिक संघर्ष में वृद्धि के रूप में भी दिख सकता है।
    • हालाँकि यह भी सही है कि अगर केवल धनी व समृद्ध किसानों से ही आयकर वसूल किया जाता है और उससे प्राप्त राशि का व्यय कृषि क्षेत्र के कल्याण हेतु किया जाता है तो इसका सकारात्मक सामाजिक असर देखने को मिलेगा। समाज में समानता बढ़ेगी।

    निष्कर्ष:

    कृषि पर आयकर लगाने में नि:संदेह कई चुनौतियाँ हैं, मसलन कृषि से होने वाली आय की गणना कैसे होगी क्योंकि भारत में कृषि सामान्यत: एक पारिवारिक उद्यम है, इससे कृषक हतोत्साहित हो सकते हैं, कृषकों का पलायन बढ़ सकता है इत्यादि। किंतु इसका भी समाधान ज़रूरी है कि कृषि क्षेत्र में आयकर की छूट, कर चोरी का माध्यम न बने और धनी व समृद्ध किसान अपनी कर देने की ज़िम्मेदारी से न बच सकें क्योंकि यह करदाताओं के साथ अन्याय है। सही तो यह होगा कि इस संबंध में सरकार एक बेहतर कार्य योजना का निर्माण करे जिसमें इन समस्याओं का समाधान भी समाहित हो और संकट से गुज़र रही कृषि की स्थिति में भी सुधार हो सके।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow