इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में कृषि निर्यात बढ़ाने संबंधी नीति की ज़रूरत पर विचार करते हुए कृषि निर्यात की चुनौतियों और संभावनाओं पर चर्चा करें।

    03 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में नई कृषि निर्यात नीति लागू किये जाने की घोषणा की चर्चा करें।
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में कृषि निर्यात बढ़ाने संबंधी नीति की ज़रूरत पर विचार करते हुए कृषि निर्यात की चुनौतियों और संभावनाओं पर चर्चा करें।
    • स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री ने नई कृषि निर्यात नीति को बहुत जल्द लागू किये जाने की घोषणा की। 

    विदित हो कि बीते तीन वर्षों में कृषि निर्यात लगातार कम हुआ है। वर्ष 2013-14 के 42.9 अरब डॉलर से घटकर यह वर्ष 2016-17 में 33.4 अरब डॉलर रह गया है और इस गिरावट को रोकना आवश्यक है। यह इसलिये चिंतित करने वाला है, क्योंकि कृषि जिंसों के मामले में भारत घाटे से अधिशेष वाला देश बन चुका है और उसे अपनी अतिरिक्त उपज के लिये नए बाज़ारों की आवश्यकता है। कमज़ोर घरेलू कीमतों और किसानों की बढ़ती निराशा के बीच निर्यात के ठिकानों की सख्त आवश्यकता है। हाल के दिनों में बंपर पैदावार के बाद भी किसानों को फसलों के उचित दाम नहीं मिले, इससे भी निर्यात बढ़ाने की ज़रूरत उजागर होती है।

    भारत में कृषि निर्यात की चुनौतियाँ 

    • मुद्रा में उतार-चढ़ाव के चलते अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में गिरावट और प्रतिस्पर्द्धात्मकता में कमी को भारत की कमज़ोर कृषि निर्यात आय का कारण माना जा रहा है और निकट भविष्य में इसमें सुधार की संभावना नहीं है।
    • इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) और फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइज़ेशन ऑन द एग्रीकल्चरल आउटलुक की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि प्राथमिक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट की प्रवृत्ति आगे भी बनी रहेगी।
    • कपास, चीनी और चावल के लिये स्थिति विशेष रूप से निराशाजनक है, जो भारत के कृषि निर्यात बास्केट के प्रमुख घटक हैं।
    • सरकार द्वारा घरेलू अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के दबाव को रोकने के लिये महत्त्वपूर्ण खाद्य वस्तुओं पर निर्यात प्रतिबंध लगाना जो कि अनुचित है, यह अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में उच्च कीमतों को प्राप्त करने से किसानों को वंचित करता है, साथ ही किसान निर्यात योग्य फसलों की खेती के लिये प्रोत्साहित नहीं होते। 
    • देश में प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों के निर्यात का दायरा बहुत बड़ा है, जिसके लिये प्रभावी कोल्ड चेन की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश और पंजाब राज्यों को छोड़कर देश के शेष राज्यों में वेयरहाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति अपर्याप्त है।
    • कृषि उत्पादों को लागत प्रभावी बनाने के लिये कृषि वस्तुओं को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी बनाने की क्षमता का अभाव है।
    • वास्तव में अमेरिकी आपत्ति जो कि हाल ही में WTO में दाखिल की गई है, वह बहुत अधिक निर्यात से संबंधित नहीं है, अतः कठिनाई WTO में नहीं दिखाई देती। यह कठिनाई आतंरिक है जो मुख्यतः प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में जल-संकट से संबंधित है।
    • किसानों, पशुपालकों और मछुआरों द्वारा कीटनाशकों तथा एंटीबायोटिक का अधिक इस्तेमाल के चलते कई बार उत्पादन निर्यात रद्द करना पड़ता है।

    कृषि क्षेत्र में अधिक उत्पादन निर्यात की नई संभावनाएँ प्रस्तुत कर रहा है, जैसे-

    • सरकार द्वारा घोषित की गई नई कृषि निर्यात नीति, जिसके तहत सरकार ने कृषि निर्यात बढ़ाने के लिये उदार प्रोत्साहन निर्धारित किये हैं।
    • अमेरिका और चीन के बीच छिड़े व्यापार युद्ध से भारत के लिये निर्यात संभावनाएँ उत्पन्न हुई हैं। चूँकि चीन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर कोई आयात शुल्क नहीं बढ़ाया गया है, इसलिये चीन को किये जाने वाले भारतीय वस्तुओं के निर्यात में वृद्धि होगी। 
    • हाल ही में आयोजित भारत और चीन के बीच संयुक्त आर्थिक समूह की बैठक में भारत से चीन को कृषि निर्यात बढ़ने के परिदृश्य का उभरना है।
    • कृषि निर्यात की मसौदा नीति में राज्यों की कृषि निर्यात में ज़्यादा भागीदारी, बुनियादी ढाँचे और लॉजिस्टिक्स में सुधार तथा नए कृषि उत्पादों के विकास के लिये शोध एवं विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन पर ज़ोर दिया गया है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2