इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    मध्यकाल में साहित्यिक भाषा के रूप में ब्रज का विकास। (2015, प्रथम प्रश्न-पत्र, 1b)

    09 Jan, 2018 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य

    उत्तर :

    ब्रज भाषा के प्रारंभिक प्रयोग पुरानी हिंदी के आसपास से ही देखने को मिलते हैं, किंतु काव्यभाषा के रूप में इसका तीव्र विकास भक्तिकाल के उत्तरार्द्ध में हुआ। ब्रजभाषा के विकास को तीन चरणों में इस प्रकार विभाजित किया जा सकता है-
      (क) सूर-पूर्व युग
      (ख) सूरदास का युग
      (ग) रीतिकाल।

    ब्रज भाषा का पहला स्वतंत्र प्रयोग अमीर खुसरो ने किया। इसी प्रकार, सुधीर अग्रवाल (प्रद्युम्न चरित्र) संत नामदेव, विष्णुदास तथा गुरु अर्जुनदेव ने अलग-अलग रूपों में ब्रज का प्रयोग किया।

    भक्तिकाल में ब्रज अवधी के साथ-साथ काव्यभाषा के रूप में स्थापित हुई। सूर ने इसे शृंगार और वात्सल्य की एकमात्र भाषा के रूप में स्थापित कर दिया, वहीं तुलसी आदि के हाथों में पड़कर यह लोक समस्याओं की अभिव्यक्ति का माध्यम बनी। मीरा, रहीम आदि के यहाँ ब्रज के कई विभिन्न रूप दिखाई देते हैं। रीतिकाल वह समय था जब ब्रज एकमात्र काव्यभाषा के रूप में प्रतिष्ठि हुई, इस समय ब्रज मूलतः सौंदर्य औरशृंगार जैसे विषयों का प्रतीक बन चुकी थी। ब्रजभाषा गहरे कलात्मक विवेक से मुक्त हुई तथा चरम संभावनाओं को धारण कर सकी और ब्रज देखते-देखते संपूर्ण हिंदी प्रदेश की काव्यभाषा के पद पर आसीन हो गई-

     "ब्रजभाषा हेतु ब्रजवास ही न अनुमानौ"

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2