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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना निश्चित ही भारत में न्याय व्यवस्था में सुधार की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम साबित होगी। अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना से होने वाले लाभों का उल्लेख करते हुए इस विषय पर भी प्रकाश डालें कि क्यों राज्य सरकारें एवं संबंधित उच्च न्यायालय इस सेवा की स्थापना का विरोध कर रहे हैं?

    04 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद-312 में यह प्रावधान है कि राज्य सभा विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित कर एक नई अखिल भारतीय सेवा की स्थापना कर सकती है। इस संबंध में पूर्व में कई बार एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (AIJS) की स्थापना की सिफारिशें की गई थी, लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो पाई थी। हाल ही में प्रधानमंत्री ने एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के माध्यम से न्यायाधीशों की भर्ती की संभावना पर चर्चा की है।

    अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना से लाभ

    • UPSC की तरह एक स्वतंत्र संस्था के द्वारा खुली प्रतियोगी परीक्षा आयोजित कर न्यायाधीशों की सीधी भर्ती की जा सकती है जिससे चयन में निष्पक्षता एवं गुणवत्ता में वृद्धि होगी।
    • वर्तमान में अधीनस्थ न्यायपालिका पूर्णतया राज्यों द्वारा आयोजित की जाने वाली भर्ती प्रक्रिया पर निर्भर है, किंतु इनके आकर्षक न होने के कारण श्रेष्ठ विधि छात्र राज्य न्यायिक सेवा में शामिल नहीं होते। AIJS की स्थापना के पश्चात् श्रेष्ठ विधि छात्र इस सेवा की तरफ आकर्षित होंगे एवं न्यायपालिका की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।
    • वर्तमान में करियर में विशेष प्रगति न हो पाने के कारण ऐसे अधिवक्ता जिनकी बार प्रैक्टिस अच्छी चल रही है, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश बनना पसंद नहीं करते जिससे अधीनस्थ न्यायपालिका की गुणवत्ता औसत ही रह जाती है।
    • AIJS की स्थापना से मानकों में समरूपता आएगी जिससे उच्च न्यायालयों एवं सर्वोच्च न्यायालय में केवल योग्य न्यायाधीशों को भेजा जा सकेगा।

    राज्य सरकारें एवं संबंधित उच्च न्यायालय इस सेवा का विरोध क्यों कर रहे हैं?

    • इस सेवा की स्थापना के विरोध का कारण भाषा से संबंधित है। चूँकि CrPC एवं CPC के प्रावधानों के अनुसार अधीनस्थ न्यायालयों में लिखित आदेशों के लिये भी स्थानीय भाषा का प्रयोग किया जा सकता है। AIJS की स्थापना के पश्चात् अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों का भी अन्य राज्यों में स्थानांतरण किया जा सकेगा जिससे उस न्यायाधीश द्वारा दूसरे राज्य में (अगर उस राज्य की स्थानीय भाषा अलग है) कार्रवाई करना मुश्किल हो जाएगा जो न्याय की गुणवत्ता को प्रभावित करेगा।
    • अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना से राज्य न्यायिक सेवा अधिकारियों की प्रगति में बाधा पहुँचेगी।

    निष्कर्षः अखिल भारतीय न्यायिक सेवा अवश्य ही न्यायपालिका को अधिक जवाबदेह, दक्ष, पेशेवर एवं पारदर्शी बनाकर न्याय की गुणवत्ता एवं पहुँच में वृद्धि करेगी। नव नियुक्त न्यायाधीशों को स्थानीय भाषा सिखाकर अथवा अधीनस्थ न्यायपालिका के न्यायाधीशों का केवल राज्य के अंदर ही स्थानांतरण करने जैसे प्रावधानों से राज्यों की चिंताओं को दूर किया जा सकता है ताकि राज्य एवं उच्च न्यायालय इस सेवा की स्थापना को सहर्ष स्वीकार करें।

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