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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ‘कतर कूटनीतिक संकट’ से उभरा भू-राजनीतिक तनाव भारतीय हितों को किस हद तक प्रभावित कर सकता है?

    07 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    हाल ही में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, यमन, मिश्र, लीबिया और मालदीव ने कतर के साथ अपने सभी प्रकार के कूटनीतिक संबंधों को तोड़ दिया है। कतर पर आरोप है कि उसने मुस्लिम ब्रदरहुड, आई.एस.आई.एस, अल कायदा जैसे आतंकी समूहों और ईरान द्वारा समर्थित आतंकवादी समूहों को सहयोग व समर्थन देकर खाड़ी क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिश की है तथा कतर ईरान से तालमेल भी बढ़ा रहा है।

    भारत के खाड़ी देशों से संबंधः

    • भारत अपनी ऊर्जा की आधी से ज्यादा आवश्यकताएं खाड़ी देशों से ही पूरा करता है।
    • इन देशों में लाखों भारतीय रहते और काम करते हैं। पिछले वर्ष उन लोगों ने लगभग 63 अरब डॉलर भारत भेजे थे।
    • सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की तरह कतर में भी भारतीय समुदाय सबसे बड़ा ‘प्रवासी समूह’ है।
    • भारत ने हमेशा इस क्षेत्र में कूटनीतिक रिश्तों में संतुलन बनाए रखा है तथा पारंपरिक रूप से ‘शिया-सुन्नी’, ‘अरब-फारसी’ और ‘वहाबी-सलाफ़ी’ विभेदों से खुद को दूर रखा है।

    इस संकट से भारत पर संभावित प्रभावः

    • भारत सरकार अनुसार तो इस संकट का भारतीय हितों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा परन्तु विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह विवाद खत्म नहीं हुआ तो तत्काल कोई प्रभाव चाहे न पड़े किन्तु दीर्घकाल में भारत के लिये कुछ अनपेक्षित नतीजे आ सकते हैं।
    • कतर से संबंध तोड़ने वाले सभी देशों ने कतर के साथ सभी प्रकार के यातायात-संपर्क भी तोड़ दिये हैं। इस कदम से कतर में उपस्थित भारतीयों को यात्रा के संबंध में बड़ी समस्याएं उत्पन्न होंगी।
    • भारत के कतर के साथ मजबूत सुरक्षा और ऊर्जा संबंध है। भारत कतर के लिये तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गन्तव्य और आयात के लिये 10वाँ सबसे प्रमुख देश है। भारत-कतर के मध्य का व्यापार लगभग 9 अरब डॉलर का है जो भारतीय अर्थजगत को बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं करता।
    • भारत कतर से अपनी एल.एन.जी. (तरल प्राकृतिक गैस) का 65% आयात करता है। इसके अतिरिक्त इथाइलीन, प्रोपलीन, अमोनिया, यूरिया और पॉलीथीन का भी आयात करता है।  परंतु, कुछ समय तक इसका विकल्प निकाला जा सकता है।

    अतः अभी तो संभवतः भारतीय हित इस संकट से प्रभावित न भी हों किन्तु भारत को जल्द ही इस भू-राजनीतिक प्रभाव से उभरी परिस्थिति से कूटनीतिक तालमेल बिठाना पड़ेगा ताकी दीर्घकाल में भारतीय हितों पर नकरात्मक प्रभाव न हो।

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