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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    बाल-विवाह ने सदियों से मानव संसाधन के विकास को बाधित किया है। भारत में बाल-विवाह को बढ़ावा देने के लिये ज़िम्मेदार कारकों की पहचान कीजिये।

    09 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • संक्षिप्त में बाल-विवाह का परिचय दें।
    • बाल-विवाह किस प्रकार मानव संसाधन के विकास को बाधित करता है, पुष्टि करें।
    • बाल-विवाह के लिये उत्तरदायी कारणों को बताएँ।

    भारत में बाल-विवाह एक प्रचलित सामाजिक बुराई है, जो भारत के लगभग सभी राज्यों/ क्षेत्रों में विद्यमान है। बाल- विवाह में युवाओं या युवतियों की शादी शारीरिक एवं मानसिक परिपक्वता से पहले ही करा दी जाती है।

      बाल- विवाह कई तरह से मानव संसाधन के विकास को बाधित करता है। सामान्यतः यह देखा जाताहै कि युवा एवं युवतियाँ विवाह के तुरंत बाद ही यौन गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं जिससे युवतियाँ अल्पवयस्क अवस्था में ही गर्भधारण कर लेती हैं। यह स्थिति मानव संसाधन के विकास को बाधित करता है क्योंकि इससे मातृ-मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में बढ़ोतरी होती है।

    बाल-विवाह की शिकार महिलाएँ घरेलू हिंसा के प्रति भी सुभेद्य हो जाती हैं, जो न केवल मानव संसाधन के विकास को बाधित करता है बल्कि मानवाधिकार का भी गंभीर उल्लंघन करता है।

    बाल-विवाह के कारण कम उम्र में ही पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के वहन के कारण युवा एवं युवतियाँ शिक्षा ग्रहण करने से वंचित हो जाते हैं। महिलाओं में यह स्थिति अधिकांश रूप से देखने को मिलती है।

    भारत में बाल- विवाह के ज़िम्मेदार कारक:

    • विभिन्न सामाजिक समूहों द्वारा वर्तमान प्रासंगिकताओं को दरकिनार कर बाल-विवाह को एक अनिवार्य प्रथा के रूप में देखा जाता है, जिसके कारण बाल-विवाह को एक सामाजिक समर्थन प्राप्त हो जाता है।
    • माता-पिता में ‘ज़िम्मेदारी मुक्त’ होने का भाव भी बाल-विवाह को बढ़ाने के लिये उत्तरदायी है। कमजोर आर्थिक स्थिति भी इसका कारण है।
    • संयुक्त परिवारों में लड़की को घर से विदा कर सामाजिक दायित्वों से मुक्त हो जाने का बोध और लड़के की शादी से मिलने वाले दहेज़ को आर्थिक दृष्टि से लाभकारी माना जाता है। ये स्थितियाँ भी बाल-विवाह को बढ़ावा देनेमें शामिल है।
    • समाज में ‘जाति-बंधन’ का सशक्त रूप भी बाल-विवाह को बढ़ावा देता है, क्योंकि अपनी जाति में सुयोग्य ‘वर-वधु’ न मिलने की चिंता से ग्रस्त माता-पिता अपने संतान की जल्दी शादी करना चाहते हैं।

    इस तरह बाल- विवाह भारतीय सभ्य समाज पर एक धब्बा है, जो न केवल मानव संसाधन को क्षति पहुँचाता है बल्कि इसके शिकार व्यक्तियों पर शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक और मानसिक बोझ डालकर मानवीय गरिमा को भी बाधित करता है।

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