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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी वर्ष, 2016 के आँकड़ों से हमारे समाज में प्रचलित अपराधों के साथ महिलाओं की अत्यंत गंभीर तस्वीर उभर कर सामने आई है। रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों को रेखांकित करते हुए अपराधों में वृद्धि के कारण बताइए।

    18 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो भारत में अपराध संबंधी आँकड़ों को संगृहीत तथा विश्लेषित कर कानून व्यवस्था में सुधार का प्रयास करता है। इसके द्वारा जारी रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों को निम्न रूप में देखा जा सकता है:-

    • रिपोर्ट के अनुसार भारत में हत्या जैसे हिंसक अपराधों तथा महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों में वृद्धि हुई है, जो एक चिंता का विषय है।
    • रिपोर्ट के अनुसार भारत में अपराध की दर का वितरण असमान है। हत्या जैसे हिंसक अपराध बिहार तथा उत्तर प्रदेश जैसे उन राज्यों में अधिक हुए हैं, जहाँ सामाजिक आर्थिक पिछड़ापन अपेक्षाकृत अधिक है। 
    • बलात्कार, अपहरण तथा पति एवं अन्य रिश्तेदारों के द्वारा महिलाओं के विरुद्ध अपराध गाँव की तुलना में शहरों में अपेक्षाकृत अधिक होते हैं। महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों की सर्वाधिक संख्या दिल्ली और मुंबई में दर्ज़ की गई है। भारत में बढ़ते शहरीकरण के मद्देनज़र यह एक गंभीर समस्या है।

    अपराधों में वृद्धि के कारण

    • मूल समस्या व्यक्ति में आंतरिक नैतिकता के ह्रास से जुड़ी हुई है। इसका एक कारण हमारे समाज में स्वार्थवाद की बढ़ती प्रवृत्ति है।
    • सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े प्रदेशों में अपेक्षाकृत अधिक अपराधों का होना यह बताता है कि जाति तथा अन्य आधारों पर सामाजिक विभेद, अशिक्षा, गरीबी तथा बेरोज़गारी अपराध के बड़े कारण हैं।
    • शहरों में स्त्री संबंधी अपराधों की बढ़ती संख्या मनुष्य के अलगाव तथा काम संबंधी कुंठाओं के कारण है। अपेक्षाकृत व्यस्त जीवन शैली, परिवार से अलगाव तथा सोशल मीडिया एवं अन्य कारणों से लोगों से जुड़ाव के अधिक साधन होने के कारण यहाँ पारंपरिक पारिवारिक मूल्य तेजी से टूट रहे हैं। इससे महिलाओं का वस्तुकरण होने से उनके विरुद्ध अपराधों की संख्या बढ़ी है।
    • शहरों में अधिक अपराधों के दर्ज़ होने का एक कारण यहाँ महिलाओं में अधिक जागरूकता का होना भी है।
    • इसके अलावा राजनीति का अपराधीकरण, पुलिस बलों की असंवेदनशीलता, पुलिस बलों  की अपर्याप्त संख्या तथा न्याय में देरी जैसी घटनाओं से भी अपराधियों का मनोबल बढ़ता है और अपराध दर में वृद्धि होती है।  

    भारत में अपराध को कम करने के लिये सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक रणनीति की आवश्यकता है, ताकि  व्यक्तियों का नैतिक विकास होने से और अपराधियों को उचित समय में सजा़ मिलने से अपराध दर में कमी आ सके।

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