इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    लोक-प्रशासन में स्व-विवेक निर्णयन से आपका क्या तात्पर्य है? इसे प्रायः अवांछनीय क्यों माना जाता है? इस स्थिति को कम करने उपायों को सुझाइये।

    27 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    कुछ विषयों पर कई बार स्पष्ट कानून, नियम या विनियम नहीं होते; ऐसी अस्पष्ट स्थिति में लोक-सेवक स्व-विवेक से निर्णय लेकर प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है, इस प्रकार लिये गए निर्णय को स्व-विवेक निर्णयन कहते हैं। सरकारी क्षेत्र में स्व-विवेक की शक्तियों से प्रशासन के निचले स्तरों पर भ्रष्टाचार की संभावना (दायरा) बढ़ती है। सरकारी कर्मचारी/लोक सेवक आवेदक को रिश्वत देने पर मजबूर करते हैं अन्यथा उनकी याचिका/आवेदन/कार्य में जानबूझकर देरी की जाती है या उस कार्य को किया ही नहीं जाता।

    सार्वजनिक क्षेत्र में स्व-विवेक निर्णयन की अधिक उपस्थिति अधिक भ्रष्टाचार होने के संभावनाओं को बल देती है। इसीलिये इसे ‘अवांछनीय’ माना जाता है। इस निर्णयन शक्ति को निम्न उपायों से कम किया जा सकता है-

    • सरकार की अनेक गतिविधियों से ‘स्व-विवेक’ के प्रयोग को हटाया जा सकता है। ऐसी सभी गतिविधियाँ स्व-चालित व आई.टी. समर्थित हो सकती हैं। जैसेः जन्म व मृत्यु का पंजीकरण, ऑनलाइन पासपोर्ट आवेदन, ऑनलाइन एफ.आई.आर. आदि। 
    • जहाँ स्व-विवेक निर्णयन को समाप्त करना संभव न हो, वहाँ स्व-विवेक के प्रयोग को न्यूनतम करने के मार्ग-निर्देशों द्वारा विनियमित किया जाना चाहिये। स्व-विवेक के प्रयोग पर प्रभावी रोक और संतुलन स्थापित किये जाने चाहिये।
    • महत्त्वपूर्ण मामलों पर निर्णयन का कार्य एक व्यक्ति को देने के स्थान पर एक समिति को सौंपा जाना चाहिये।

    एक उदाहरण के द्वारा हम स्व-विवेक निर्णयन, उसकी अवांछनीयता व उसकी उपस्थिति को न्यूनतम करने के उपाय को देख सकते हैं-

    हरियाणा राज्य में प्रत्येक वर्ष हजारों अध्यापक अपनी पसंद की/सहूलियत वाली जगह पर स्थित स्कूल में स्थानान्तरण की मांग करते थे। इनके आवेदन अनेक स्तरों पर जरूरी कार्रवाई के लिये अनेक अधिकारियों के पास भेजे जाते थे। अध्यापक एक अन्य स्तर पर भी शिक्षा मंत्री, विभाग सचिव आदि से सिफारिश करवाकर अपना कार्य करवाने की कोशिश करते थे। निर्णयन की यह  प्रक्रिया अ-पारदर्शी तथा भ्रष्टाचार से ग्रस्त थी। लेकिन वर्ष 2016-17 से अब स्थानान्तरण की नई नीति में ऑनलाइन आवेदनों की प्राप्ति की जाती है तथा विभिन्न स्पष्ट बिंदुओं/योग्यताओं/मानकों के आधार पर मिले अंकों से अध्यापकों के स्थानान्तरण को तय किया जाता है। सूचना जारी के बाद आपत्तियाँ भी मांगी जाती हैं और उन पर विचार किया जाता है। इस प्रक्रिया से भ्रष्टाचार में काफी कमी आई है। अन्य ऐसे क्षेत्रों में भी यह प्रक्रिया अपनायी जा सकती है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2