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आपने हाल ही में एक अर्ध-शहरी ज़िले के ज़िलाधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला है, जहाँ प्रशासन को प्रायः अतिक्रमण विवादों और बढ़ती जन-अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है। पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद आप देखते हैं कि आपके एक कनिष्ठ अधिकारी राघव, जो उप-मंडल अधिकारी (SDM) हैं, सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हो गये हैं। वे नियमित रूप से निरीक्षणों, जन-संपर्कों और प्रवर्तन कार्यवाहियों से संबंधित अपडेट पोस्ट करते हैं और स्वयं को एक ऊर्जावान व सक्रिय अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करते हैं।
हालाँकि आप धीरे-धीरे देखते हैं कि उनकी पोस्ट्स में प्रायः औचक निरीक्षणों के वीडियो, उनके पीछे तनाव में खड़े कनिष्ठ कर्मचारियों की तस्वीरें तथा दुकानों को सील किये जाने जैसी दण्डात्मक कार्यवाहियों के क्लिप (कभी-कभी “कार्रवाई कथनी से अधिक मायने रखती है” जैसे कड़े कैप्शन के साथ) शामिल होते हैं। इनमें से एक वीडियो, जिसमें उन्होंने एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान को सील किया है, वायरल हो जाता है। इसे कुछ लोगों की प्रशंसा मिलती है, परंतु इस बात की आलोचना भी होती है कि प्रक्रियात्मक निष्पक्षता स्पष्ट रूप से नहीं दिखाई गई।
सहकर्मी दबे स्वर में बताते हैं कि इस प्रकार सत्ता के सार्वजनिक प्रदर्शन से विश्वास की बजाय भय का वातावरण बन सकता है। दुकानदार एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को बताते हैं कि वे SDM कार्यालय जाने में हिचकते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि उनकी सामान्य शिकायतें भी रिकॉर्ड होकर ऑनलाइन पोस्ट हो सकती हैं। एक स्थानीय विधायक की अनौपचारिक शिकायत में SDM के आचरण को ‘मनमानी’ और प्रचार से प्रेरित बताया गया है। एक गुमनाम याचिका भी आपके कार्यालय तक पहुँचती है जिसमें सीलिंग कार्यवाही में अपर्याप्त सूचना का आरोप लगाया गया है, हालाँकि आधिकारिक रिकॉर्ड में इसका पालन न होने की बात दर्ज है।
आप समझते हैं कि इस मुद्दे में कोई स्पष्ट कानूनी उल्लंघन शामिल नहीं है, बल्कि इसमें सूक्ष्म नैतिक दुविधाएँ, पारदर्शिता एवं भय-सृजन की सीमा, सोशल मीडिया का जिम्मेदार उपयोग, प्रवर्तन के दौरान व्यक्तियों की गरिमा और युवा अधिकारियों के लिये उत्साह व संस्थागत औचित्य के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता शामिल है।
ज़िलाधिकारी के रूप में आपको यह तय करना है कि इस स्थिति को किस प्रकार नियंत्रित किया जाये, जिससे प्रशासनिक सत्यनिष्ठा बनी रहे, एक प्रतिभाशाली अधिकारी का मनोबल क्षीण न हो तथा नागरिक स्वयं को अपमानित या अनजाने में सत्ता-दुरुपयोग का शिकार महसूस न करें।प्रश्न
सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
1. इस मामले में निहित मूल नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कीजिये तथा लोक प्रशासन में उनकी प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिये।
2. क्या आपको लगता है कि SDM का सोशल मीडिया उपयोग यद्यपि विधिक है, फिर भी इससे नैतिक चिंताएँ उत्पन्न होती हैं? लोक सेवा, मर्यादा तथा व्यक्तियों की गरिमा के सिद्धांतों के आधार पर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
3. ज़िलाधिकारी के रूप में आप इस स्थिति को निष्पक्ष, संतुलित तथा रचनात्मक ढंग से निपटने के लिये क्या कदम उठाएँगे? इस दिशा में अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपाय सुझाइये।
4. सोशल मीडिया के प्रयोग के लिये ऐसे दिशा-निर्देश या आचार-संहिता प्रस्तावित कीजिये जो पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और नैतिक संयम तीनों के बीच संतुलन बनाये रखें।