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एक सुप्रतिष्ठित भारतीय खाद्य उत्पाद कंपनी ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के लिये एक नया उत्पाद विकसित किया है। सभी आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने के बाद, कंपनी ने उत्पाद का निर्यात शुरू किया तथा गर्व के साथ अपनी सफलता की घोषणा की। कंपनी ने उपभोक्ताओं को यह भी आश्वासन दिया कि वही उच्च गुणवत्ता वाला और स्वास्थ्य के लिये लाभकारी उत्पाद जल्द ही भारतीय बाज़ार में उपलब्ध कराया जाएगा।
उचित प्रक्रिया के बाद, उत्पाद को संबंधित घरेलू प्राधिकरण से स्वीकृति मिली और इसे भारतीय उपभोक्ताओं के लिये लॉन्च किया गया। समय के साथ, उत्पाद ने महत्त्वपूर्ण बाज़ार हिस्सेदारी हासिल की तथा भारत और विदेश दोनों में कंपनी के मुनाफे में काफी योगदान दिया।
हालाँकि, नियमित निरीक्षण के दौरान, एक यादृच्छिक नमूना परीक्षण से पता चला कि घरेलू स्तर पर बेचे जाने वाले उत्पाद का संस्करण सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित मानकों का अनुपालन नहीं करता था। आगे की जाँच में पता चला कि कंपनी भारत में निम्न गुणवत्ता वाले उत्पाद बेच रही थी, जिसमें गुणवत्ता संबंधी मुद्दों के कारण निर्यात के लिये अस्वीकार किये गए उत्पाद भी शामिल थे।
इस खुलासे से जनता में आक्रोश फैल गया, कंपनी की छवि धूमिल हुई तथा इसकी लाभप्रदता और उपभोक्ता विश्वास में भारी गिरावट आई।
प्रश्न:
1. इस मामले में मौजूद नैतिक मुद्दों की पहचान और उनका विश्लेषण कीजिये। इसमें शामिल प्रतिस्पर्द्धी मूल्यों और ज़िम्मेदारियों पर चर्चा कीजिये।
2. सक्षम प्राधिकारी को कंपनी के विरुद्ध क्या कार्रवाई करनी चाहिये?
3. संकट का प्रबंधन करने, उपभोक्ता विश्वास पुनः प्राप्त करने तथा अपनी सार्वजनिक प्रतिष्ठा बहाल करने के लिये कंपनी क्या उपचारात्मक उपाय अपना सकती है?
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