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रैपिड फायर

नासा का चंद्र परमाणु रिएक्टर

  • 12 Aug 2025
  • 13 min read

स्रोत: IE

नासा वर्ष 2030 तक चंद्रमा पर परमाणु रिएक्टर बनाने की अपनी योजना में तेज़ी ला रहा है, जिसका लक्ष्य आर्टेमिस समझौते का पालन करते हुए चंद्र सतह पर स्थायी मानव उपस्थिति स्थापित करना है।

  • रिएक्टर की विशेषताएँ: रिएक्टर से 100 किलोवाट विद्युत उत्पन्न होने की उम्मीद है, जो कि तटवर्ती पवन टर्बाइनों (आमतौर पर 2-3 मेगावाट उत्पन्न करने वाले) से कम है।
    • परमाणु रिएक्टरों की खोज इसलिये की जा रही है क्योंकि चंद्रमा पर लंबे समय तक अँधेरा रहने के कारण सौर ऊर्जा अविश्वसनीय है तथा परमाणु ऊर्जा आवासों, रोवर्स और मिशनों, विशेष रूप से छायादार क्रेटरों के लिये निरंतर ऊर्जा प्रदान करती है।
    • बाह्य अंतरिक्ष में परमाणु ऊर्जा स्रोतों के उपयोग से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के वर्ष 1992 के सिद्धांतों में परमाणु ऊर्जा को गहन अंतरिक्ष मिशनों के लिये आवश्यक माना गया है, विशेषकर तब जब सौर ऊर्जा अपर्याप्त हो।
  • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा: नासा का यह कदम चीन और रूस द्वारा वर्ष 2035 तक चंद्रमा पर स्वचालित परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित करने की योजना के बाद आया है।
    • भारत और जापान सहित अन्य देश भी चंद्रमा पर अन्वेषण करने और मानव बस्तियाँ स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं।
  • कानूनी ढाँचा: वर्ष 1967 की बाह्य अंतरिक्ष संधि अंतरिक्ष में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग की अनुमति प्रदान करती है तथा पारदर्शिता, सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये दिशा-निर्देश निर्धारित करती है।
    • इसके अलावा, आर्टेमिस समझौते में अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का प्रावधान है, जिसमें पारदर्शिता, शांतिपूर्ण उपयोग और अंतरिक्ष संसाधनों के ज़िम्मेदार उपयोग पर ज़ोर दिया गया है।

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