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तुवालु
- 12 Aug 2025
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ऐतिहासिक रूप से पहली बार, तुवालु अपनी जनसंख्या को ऑस्ट्रेलिया में स्थानांतरित करने जा रहा है, जो फालेपिली यूनियन संधि (2023) के तहत होगा। यह समुद्र स्तर के बढ़ने के कारण जलवायु परिवर्तन से प्रेरित विश्व की पहली नियोजित पलायन योजना है।
- फालेपिली यूनियन संधि: ऑस्ट्रेलिया वर्ष 2025 से प्रतिवर्ष 280 टुवालूवासियों को स्थायी निवासी के रूप में स्वीकार करेगा, जो एक बैलेट-आधारित "जलवायु वीज़ा" के तहत होगा। इस वीज़ा के माध्यम से उन्हें स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, आवास और रोज़गार जैसे समान अधिकार प्राप्त होंगे।
- यदि स्थिति में सुधार होता है तो निवासी वापस लौट सकते हैं, हालाँकि बाढ़ और तूफान के कारण ऐसा होना असंभव है।
- पलायन का कारण: बढ़ता हुआ समुद्र स्तर तुवालु के अस्तित्व के लिये खतरा है और NASA ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2050 तक इसके अधिकांश भूभाग जलमग्न हो सकते हैं।
- तुवालु की औसत ऊँचाई समुद्र तल से केवल 2 मीटर है, जिससे यह देश बाढ़, तूफान और तटीय कटाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।
तुवालु
- पहले एलिस द्वीपसमूह के नाम से जाना जाने वाला तुवालु, दक्षिण प्रशांत महासागर में हवाई और ऑस्ट्रेलिया के बीच स्थित एक पोलिनेशियाई द्वीपीय देश है। इसमें नौ द्वीप शामिल हैं, जिनमें से चार रीफ द्वीप तथा पाँच प्रवाल एटोल हैं।
- तुवालु, जिसकी राजधानी फुनाफुटी है, को अक्तूबर, 1978 में यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
- यहाँ कोई नदी नहीं है, इसका जलवायु उष्णकटिबंधीय है और इसकी जनसंख्या विश्व की सबसे छोटी जनसंख्या (लगभग 11,000 के आस-पास) में से एक है।
- तुवालु, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने सबसे कम विकसित देशों (Least Developed Country) में नामित किया है, की अर्थव्यवस्था सार्वजनिक क्षेत्र प्रधान है और यह मछली पकड़ने के लाइसेंसों द्वारा समर्थित है।
- तुवालु ट्रस्ट फंड, जिसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, यूनाइटेड किंगडम, जापान और दक्षिण कोरिया के योगदान से स्थापित किया गया है, वित्तीय स्थिरता प्रदान करता है तथा स्कूलों एवं मत्स्य केंद्रों के उन्नयन जैसी विकास परियोजनाओं के लिये धन उपलब्ध कराता है।