प्रारंभिक परीक्षा
समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम
चर्चा में क्यों?
कर्नाटक में एक पायलट परियोजना के रूप में शुरू समेकित बाल विकास सेवाएँ (ICDS) कार्यक्रम ने अपने 50 वर्ष पूरे कर लिये हैं। शुरुआत में लागू करने वाले राज्यों में शामिल कर्नाटक से आगे बढ़ते हुए, यह विश्व का सबसे बड़ा सामुदायिक स्तर पर आधारित प्रारंभिक बाल विकास कार्यक्रम बन गया है।
समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम क्या है?
- परिचय: ICDS एक केंद्रीय प्रायोजित प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे 2 अक्तूबर, 1975 को लॉन्च किया गया था। यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MoWCD) के अंतर्गत संचालित है और इसका उद्देश्य 0–6 वर्ष के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली स्त्रियों के पोषण, स्वास्थ्य तथा प्रारंभिक शिक्षा के परिणामों में सुधार करना है।
- ICDS को अब ‘मिशन सक्षम आँगनवाड़ी एवं पोषण 2.0’ के तहत संशोधित और समाहित किया गया है।
- उद्देश्य: बच्चों (0–6 वर्ष) के स्वास्थ्य और पोषण स्तर में सुधार करना।
- मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास के लिये आधार तैयार करना।
- बाल मृत्यु दर, रोग-प्रवृत्ति, कुपोषण और विद्यालय छोड़ने की दर को कम करना।
- बाल विकास के लिये विभिन्न विभागों के बीच समन्वय को मज़बूत करना।
- ICDS के तहत प्रदान की जाने वाली सेवाएँ:
- महत्त्व: ICDS प्रारंभिक बाल विकास के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह कुपोषण से निपटता है और स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करता है।
- यह गर्भवती और स्तनपान कराने वाली स्त्रियों के लिये सुरक्षा जाल प्रदान करता है, मृत्यु दर को कम करता है तथा मातृ स्वास्थ्य का समर्थन करता है।
- सामुदायिक स्तर पर पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं को एकीकृत करके यह मानव संसाधन को मज़बूत करता है, पीढ़ीगत गरीबी को कम करता है तथा महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
मिशन सक्षम आँगनवाड़ी एवं पोषण 2.0
- परिचय: वित्त वर्ष 2021-22 में सक्षम आँगनवाड़ी एवं पोषण 2.0 को भारत के प्रमुख एकीकृत पोषण समर्थन कार्यक्रम के रूप में लॉन्च किया गया। यह ICDS, पोषण अभियान, किशोरी बालिकाओं के लिये योजना और राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना जैसी प्रमुख बाल एवं मातृ कल्याण योजनाओं को एकीकृत करता है।
- यह कार्यक्रम 15वीं वित्त आयोग की अवधि (2021–26) के दौरान कार्यान्वयन के लिये स्वीकृत हुआ है और इसका उद्देश्य पोषण, प्रारंभिक बाल देखभाल तथा महिलाओं व बच्चों के लिये समग्र समर्थन को मज़बूत करना है।
- प्रमुख कार्यक्षेत्र:
- आकांक्षी ज़िलों और पूर्वोत्तर में बच्चों (6 महीने-6 वर्ष), गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और किशोरियों (14-18 वर्ष) के लिये पूरक पोषण।
- 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ECCE), 0-3 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये प्रारंभिक गतिविधियाँ।
- आधुनिक सक्षम आँगनवाड़ी केंद्रों सहित आँगनवाड़ी अवसंरचना का उन्नयन।
- पोषण अभियान, कुपोषण मुक्त भारत के लिये राष्ट्रीय अभिसरण मिशन।
- विशेष फोकस क्षेत्र: मातृ पोषण और शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार (IVCF) में सुधार, साथ ही आयुष स्वास्थ्य पद्धतियों द्वारा समर्थित SAM और MAM के लिये उपचार प्रोटोकॉल शुरू करना।
- यह योजना पोषण ट्रैकर के माध्यम से वास्तविक समय पोषण निगरानी को मज़बूत करती है तथा किशोरियों के लिये योजना (SAG) के माध्यम से किशोरियों के पोषण को प्राथमिकता देती है, जो प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में 14-18 वर्ष की आयु की लड़कियों को लक्षित करती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
ICDS क्या है?
ICDS (इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज़) एक केंद्र प्रायोजित प्रमुख कार्यक्रम है, जो बच्चों (0–6 वर्ष) और गर्भवती/धात्री माताओं के लिये एकीकृत सेवाओं का पैकेज प्रदान करता है—पूरक पोषण, प्री-स्कूल शिक्षा, टीकाकरण, स्वास्थ्य जाँच, रेफरल सेवाएँ तथा स्वास्थ्य एवं पोषण शिक्षा।
मिशन सक्षम आँगनवाड़ी एवं पोषण 2.0 क्या है?
यह पुनर्गठित अम्ब्रेला कार्यक्रम है, जिसमें ICDS, पोषण अभियान, किशोरियों की योजना और राष्ट्रीय क्रेच योजना को सम्मिलित किया गया है। इसका उद्देश्य पोषण, प्रारंभिक बाल देखभाल एवं शिक्षा (ECCE), आँगनवाड़ी अवसंरचना और किशोर पोषण को सुदृढ़ करना है, जिसे अभिसरण और डिजिटल मॉनिटरिंग (पोषण ट्रैकर) के माध्यम से लागू किया जाता है।
पोषण ट्रैकर कार्यक्रम की डिलीवरी में किस प्रकार मदद करता है?
पोषण ट्रैकर पोषण संकेतकों की रियल-टाइम मॉनिटरिंग, लाभार्थियों की ट्रैकिंग और RCH डेटा के साथ अभिसरण को सक्षम बनाता है, जिससे लक्ष्य निर्धारण, सेवा प्रदायगी और जवाबदेही में सुधार होता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स:
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन' के उद्देश्य हैं? (2017)
- गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण के बारे में ज़ागरूकता पैदा करना।
- छोटे बच्चों, किशोरियों और महिलाओं में एनीमिया के मामलों को कम करना।
- बाजरा, मोटे अनाज और बिना पॉलिश किये चावल की खपत को बढ़ावा देना।
- पोल्ट्री अंडे की खपत को बढ़ावा देना।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) केवल 3 और 4
उत्तर: a
रैपिड फायर
हैली गुब्बी ज्वालामुखी
इथियोपिया का हैली गुब्बी ज्वालामुखी, जो लगभग 12,000 वर्ष से सुषुप्त अवस्था में था, अचानक सक्रिय हो गया, इसके प्रस्फुटन से राख तथा सल्फर डाइऑक्साइड का विशाल गुबार लाल सागर तथा दक्षिण एशिया की ओर प्रवाहित हुआ है। राख का यह घना गुबार भारत तक पहुँच गया है, जिसने यहाँ विमानन गतिविधियों को दुष्प्रभावित किया है।
- ज्वालामुखी प्रस्फुटन पृथ्वी के आंतरिक भागों - गैसों, शैलखंडों तथा द्रवित लावे के पृथ्वी की सतह या वायुमंडल में एक उद्गार के माध्यम से बाहर आने की प्रक्रिया है।
- पृथ्वी की ठोस पर्पटी के नीचे स्थित मेंटल में एक अपेक्षाकृत दुर्बल क्षेत्र अवस्थित है जिसे दुर्बलतामंडल कहा जाता है। यहाँ उपस्थित द्रवित शैल पदार्थ को मैग्मा कहते हैं, जो बाह्य उद्गार का मार्ग खोजता है।
- मैग्मा में घुलित गैसें जब प्रसारित होती हैं तो वे अत्यधिक दाब उत्पन्न करती हैं। यह दाब मैग्मा को ऊपर की ओर धकेलता है और उसे ज्वालामुखी में विद्यमान दरारों तथा फिशरों से होकर बाह्य उद्गार हेतु बाध्य करता है, परिणामस्वरूप ज्वालामुखी प्रस्फुटन होता है।
- ज्वालामुखी प्रस्फुटन के उत्पाद: ज्वालामुखी प्रस्फुटन के दौरान प्रायः निम्नलिखित पदार्थ मुक्त होते हैं— ज्वालामुखीय राख, पायरोक्लास्टिक अवशेष — अत्यंत सूक्ष्म काँच या शैल कण नाइट्रोजन तथा सल्फर यौगिक, जो वायुमंडल में पहुँचकर वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं।
हैली गुब्बी ज्वालामुखी
- प्रकार एवं अवस्थिति: अफार (इथियोपिया) में स्थित एक शील्ड ज्वालामुखी है और एर्टा एले पर्वतमाला का हिस्सा है।
- यह पूर्वी अफ्रीकी भ्रंश के निकट स्थित है, जहाँ अफ्रीकी तथा अरबियन विवर्तनिक प्लेटें मंद रूप से एक-दूसरे से दूर जा रही हैं।
- शील्ड ज्वालामुखी अत्यधिक तरल लावा के निरंतर एवं विस्तृत प्रवाह से निर्मित होते हैं, जिसके कारण इनका आकार अत्यंत चौड़ा और ढलान बहुत कम होती है।
- इनमें प्रस्फुटन सामान्यतः कम उग्र होते हैं क्योंकि पतला लावा दूर तक फैलकर ढाल के समान संरचना बना देता है—इसी कारण इन्हें ‘शील्ड ज्वालामुखी’ कहा जाता है।
- ये मुख्यतः बेसाल्टिक लावा से निर्मित होते हैं, यद्यपि इनमें सिलिका-समृद्ध शैलें भी पाई जाती हैं।
- प्रस्फुटन का कारण: पूर्वी अफ्रीकी भ्रंश पर विवर्तनिक प्लेटों के अपसरण के कारण मेंटल की उष्म शैलें ऊपर उठती हैं तथा आंशिक विगलित मैग्मा का निर्माण करती हैं। लंबे समय तक मैग्मा-क्षेत्र के भीतर दाब के संचयन से ज्वालामुखी प्रस्फुटन होता है।
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रैपिड फायर
भारत का संविधान दिवस 2025
भारत में संविधान दिवस 26 नवंबर, 2025 को मनाया गया, इस अवसर पर भारतीय संविधान को 9 भाषाओं में लोकार्पित किया गया। यह अवसर भारत द्वारा संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक परंपराओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि का प्रतीक है।
- संविधान दिवस परिचय: संविधान दिवस 26 नवंबर, 1949 को भारतीय संविधान को अंगीकार किये जाने की स्मृति में मनाया जाता है। इसी दिन भारत एक सार्वभौमिक, लोकतांत्रिक गणराज्य की दिशा में निर्णायक रूप से अग्रसर हुआ।
- 26 नवंबर, 1949 को आयोजित संविधान सभा के अंतिम सत्र में 284 सदस्यों ने संविधान पर हस्ताक्षर किये।
- संविधान लागू होना: भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ। इस तिथि का चयन 1930 में पारित ‘पूर्ण स्वराज’ प्रस्ताव को प्रतीकात्मक रूप से सम्मान देने के लिये किया गया था। इसी कारण 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- संविधान दिवस की आधिकारिक घोषणा: वर्ष 2015 में भारत सरकार (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय) ने इसे आधिकारिक रूप से संविधान दिवस घोषित किया। यह निर्णय डॉ. बी. आर. आंबेडकर की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में लिया गया था। इससे पहले इस दिन को ‘विधि दिवस’ के रूप में मनाया जाता था।
- महत्त्व: यह दिवस भारत की संवैधानिक चेतना, लोकतांत्रिक यात्रा और संस्थागत मूल्यों के प्रति राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को पुनः सुदृढ़ करता है। यह नागरिकों को संविधान के आदर्शों, कर्तव्यों तथा लोकतांत्रिक दायित्वों का स्मरण कराता है।
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रैपिड फायर
ऑपरेशन पवन
चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) ने नेशनल वॉर मेमोरियल पर ऑपरेशन पवन के दौरान अपनी जान देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।
- ऑपरेशन पवन: यह वर्ष 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते के तहत श्रीलंका में भारतीय शांति सेना (IPKF) का मिशन था, जिसे श्रीलंकाई गृहयुद्ध (1983-2009) के दौरान अंजाम दिया गया था, जो स्वतंत्रता के बाद भारत की पहली बड़ी अंतर्राष्ट्रीय शांति सेना तैनाती थी।
- प्रधानमंत्री राजीव गांधी और राष्ट्रपति जे.आर. जयवर्धने द्वारा हस्ताक्षरित समझौते का उद्देश्य सिंहली बहुमत वाली सरकार और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के बीच बढ़ते संघर्ष को रोकना था।
- IPKF को श्रीलंका के जाफना प्रायद्वीप पर लिट्टे के नियंत्रण को हटाने और निरस्त्रीकरण लागू करने का कार्य सौंपा गया था।
- IPKF ने दिसंबर 1987 से मार्च 1990 तक एक उग्रवाद-विरोधी अभियान चलाया, जिससे लिट्टे को जाफना पर फिर से कब्ज़ा करने से रोका गया। इस अभियान को ऑपरेशन पवन के नाम से जाना गया।
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