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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 16 Jan, 2023
  • 13 min read
प्रारंभिक परीक्षा

डॉप्लर वेदर रडार नेटवर्क

भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) के 148वें स्थापना दिवस के अवसर पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में डॉप्लर वेदर रडार (DWR) प्रणाली का उद्घाटन किया।

  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय चरम मौसम की घटनाओं से संबंधित अधिक सटीक पूर्वानुमानों के लिये वर्ष 2025 तक पूरे देश को डॉप्लर वेदर रडार नेटवर्क के तहत कवर करने की तैयारी कर रहा है।

डॉप्लर वेदर रडार: 

  • डॉप्लर सिद्धांत के आधार पर रडार को एक ‘पैराबॉलिक डिश एंटीना’ (Parabolic Dish Antenna) और एक फोम सैंडविच स्फेरिकल रेडोम (Foam Sandwich Spherical Radome) का उपयोग कर मौसम पूर्वानुमान एवं निगरानी की सटीकता में सुधार करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • DWR में वर्षा की तीव्रता, वायु प्रवणता और वेग को मापने के उपकरण लगे होते हैं जो  चक्रवात के केंद्र एवं धूल के बवंडर की दिशा के बारे में सूचित करते हैं।

Returning-Echoes

रडार: 

  • रडार (रेडियो डिटेक्शन और रेंजिंग):
    • यह एक उपकरण है जो स्थान (श्रेणी एवं दिशा), ऊँचाई, तीव्रता और गतिशील एवं स्थिर वस्तुओं की गति का पता लगाने के लिये माइक्रोवेव क्षेत्र में विद्युत चुंबकीय तरंगों का उपयोग करता है।
  • डॉप्लर रडार: 
    • यह एक विशेष रडार है जो एक-दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित वस्तुओं के वेग से संबंधित आँकड़ों को एकत्रित करने के लिये डॉप्लर प्रभाव का उपयोग करता है।
  • डॉप्लर प्रभाव: जब स्रोत और संकेत एक-दूसरे के सापेक्ष गति करते हैं तो पर्यवेक्षक द्वारा देखी जाने वाली आवृत्ति में परिवर्तन होता है। यदि वे एक-दूसरे की तरफ बढ़ रहे होते हैं तो आवृत्ति बढ़ जाती है और दूर जाते हैं तो आवृत्ति घट जाती है।
    • यह एक वांछित लक्ष्य (वस्तु) को माइक्रोवेव सिग्नल के माध्यम से लक्षित करता है और विश्लेषण करता है कि लक्षित वस्तु की गति ने वापस आने वाले सिग्नलों की आवृत्ति को किस प्रकार प्रभावित किया है।
    • इस प्रकार के रडार अन्य के सापेक्ष लक्ष्य के वेग के रेडियल घटक का प्रत्यक्ष और अत्यधिक सटीक माप देते हैं।   

Doppler-Effect

  • डॉप्लर रडार के प्रकार:
    • डॉप्लर रडार को तरंगदैर्ध्य के अनुसार कई अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है जो L, S, C, X, K हैं।

Frequency-Bands

  • X-बैंड रडार:  
    • ये 2.5-4 सेमी. की तरंगदैर्ध्य और 8-12 गीगाहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर कार्य करते हैं। छोटे तरंगदैर्ध्य के कारण X-बैंड रडार अत्यधिक संवेदनशील होते हैं जो सूक्ष्म कणों का पता लगाने में सक्षम होते हैं।
  • अनुप्रयोग:  
    • रडार का उपयोग बादलों की विकास प्रक्रिया (Cloud Development) का अध्ययन करने हेतु किया जाता है क्योंकि रडार जल के छोटे-छोटे कणों तथा हिम वर्षा (हल्के हिमकणों)  का पता लगाने में सक्षम होते हैं।
    • X-बैंड रडार की तरंगदैर्ध्य काफी छोटी होती है (कम प्रभावी), इसलिये उनका उपयोग लघुकालिक मौसम अवलोकन का अध्ययन करने हेतु किया जाता है।
    • रडार के छोटे आकार के कारण यह डॉप्लर ऑन व्हील्स (Doppler on Wheels- DOW) की तरह एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में सुवाह्य/पोर्टेबल हो सकता है। अधिकांशत: हवाई जहाज़ों में एक्स बैंड रडार का प्रयोग किया जाता है ताकि अशांत और अन्य मौसमी घटनाओं का अवलोकन किया जा सके।
    • इस बैंड को कुछ पुलिस स्पीड रडार्स (Police Speed Radars) और कुछ स्पेस रडार्स (Space Radars) से भी साझा किया गया है।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 जनवरी, 2023

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग स्थापना दिवस

15 जनवरी, 2023 को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग का 148वाँ स्थापना दिवस मनाया गया। इस दिवस को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा मनाया जाता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science- MoES) के अधीन कार्य करता है। यह मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख एजेंसी है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की पाँच वेधशालाओं को विश्व मौसम विज्ञान संगठन से मान्यता प्राप्त है, ये वेधशालाएँ चेन्नई, मुंबई, पुणे, तिरुवनंतपुरम और पंजिम में स्थित हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने लगातार नए अनुप्रयोग और सेवा के क्षेत्रों में कदम रखा है तथा 140 वर्षों के इतिहास में अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को लगातार निर्मित किया है। इसने भारत में मौसम विज्ञान और वायुमंडलीय विज्ञान के विकास को एक साथ विकसित किया है। वर्तमान में भारत में मौसम विज्ञान एक रोमांचक भविष्य की दहलीज पर है।

विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक

विश्व आर्थिक मंच की 53वीं बैठक का आयोजन 16 जनवरी से स्विटज़रलैंड के दावोस में हो रहा  है। यह बैठक 20 जनवरी तक चलेगी। इस वर्ष की बैठक का विषय है- खंडित विश्व में सहयोग (Cooperation in a Fragmented World)। इसके तहत शिक्षाविद्, निवेशक, राजनीतिक और व्यापारिक नेताओं द्वारा विश्व के समक्ष चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। प्रमुख विषयों में रूस-यूक्रेन संकट, वैश्विक मुद्रास्फीति और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं, साथ ही मौजूदा वैश्विक आर्थिक स्थिति पर भी विचार किया जाएगा। इस बैठक में भाग लेने वाले विश्व के नेताओं में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर लेन, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़, यूरोपीय संसद के अध्यक्ष रोबर्टा मेटसोला सहित कई देशों के शासनाध्यक्ष तथा अन्य नेता शामिल होंगे।

भारत का 75वाँ सेना दिवस  

भारतीय सेना ने 15 जनवरी को हैदराबाद के परेड ग्राउंड में 75वाँ सेना दिवस मनाया। वर्ष 1949 में आज ही के दिन फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा ने अपने ब्रिटिश पूर्ववर्ती (जनरल सर फ्राँसिस बुचर) की जगह भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाला। फील्ड मार्शल (पहले सैम मानेकशॉ थे) की पाँच सितारा रैंक वाले केवल दो सेना अधिकारियों में से जनरल करियप्पा दूसरे थे। यह दिन देश के उन सैनिकों के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने निस्वार्थ सेवा और भाईचारे की मिसाल पेश की है।

नोट- सेना दिवस 14 जनवरी को मनाए जाने वाले सेवानिवृत्त सेना दिवस से अलग है, जो फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा की औपचारिक सेवानिवृत्ति का प्रतीक है।

और पढ़ें.. भारतीय सेना दिवस

हिमस्खलन  

ज़ोजिला सुरंग परियोजना पर काम चल रहे क्षेत्र में हाल ही में कश्मीर में हिमस्खलन की अनेकों घटनाएँ देखी गई हैं। अधिकारियों ने 11 ज़िलों के लिये "कम स्तर के खतरे" के साथ हिमस्खलन की चेतावनी जारी की है। हिम, बर्फ और चट्टानों के समूह जब तेज़ी से पहाड़ से नीचे गिरते हैं, इसे हिमस्खलन कहा जाता है। चट्टानों या मिट्टी के स्खलन को अक्सर भूस्खलन कहा जाता है। 90% हिमस्खलन आपदाएँ मानवीय गतिविधियों के कारण ट्रिगर होती हैं; उनमें से ज़्यादातर स्कीईंग करने वाले, पर्वतारोही और स्नो-मोबाइलर्स (बर्फीले क्षेत्रों में यात्रा के लिये डिज़ाइन किया गया एक मोटर चालित वाहन एवं इनका अत्यधिक उपयोग करने वाले) शामिल हैं। हिमस्खलन घातक होता है तथा इसके संबंध में कोई पुर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। 

Himaskhalan

और पढ़ें…ज़ोजिला सुरंग परियोजना

व्यापार विश्वास सूचकांक

CII बिज़नेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स (अक्तूबर-दिसंबर 2022 तिमाही के लिये) लगभग 2 वर्षों में अपने उच्चतम स्तर 67.6 (पिछली तिमाही में 62.2 से) पर पहुँच गया, जो बढ़ती वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते भी भारत के सुरक्षित क्रम पर होने की उम्मीद को दर्शाता है। OECD के अनुसार, एक बिज़नेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स उद्योग क्षेत्र में तैयार माल के उत्पादन, ऑर्डर और स्टॉक में विकास पर राय हेतु सर्वेक्षणों के आधार पर भविष्य के विकास की जानकारी प्रदान करता है। CII (भारतीय उद्योग परिसंघ) एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योगों का नेतृत्व करने वाला तथा उद्योग-प्रबंधित संगठन है। इसकी स्थापना 1895 में हुई थी एवं इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। 

और पढ़ें…भारतीय उद्योग परिसंघ

 आक्रामक वृक्ष प्रजातियाँ 

दिल्ली के राज्य EIA प्राधिकरण ने राज्य वन विभाग से 3 तेज़ी से बढ़ती आक्रामक वृक्ष प्रजातियों- विलायती कीकर (Prosopis Juliflora), सुबाबुल (River Tamarind) और यूकेलिप्टस को रोकने तथा नष्ट करने के लिये कदम उठाने हेतु कहा है क्योंकि वे स्थानीय पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। विलायती कीकर वर्ष 1930 के दशक में अंग्रेज़ों द्वारा लाई गई मैक्सिकन आक्रामक प्रजाति सबसे हानिकारक है। यह दिल्ली रिज़ पर दिखाई देने वाली वनस्पति का एकमात्र रूप है। ऑस्ट्रेलिया से आया यूकेलिप्टस प्रकृति में आक्रामक नहीं है, लेकिन बहुत अधिक जल का उपयोग करता है क्योंकि यह तेज़ी से बढ़ने वाला वृक्ष है। यह एलोपैथिक प्रभाव भी दिखाता है (यौगिकों को छोड़ता है जो आस-पास की अन्य देशी प्रजातियों की वृद्धि में बाधक बनते हैं)। सुबाबुल भी मेक्सिको से आया है और वन विभाग द्वारा ईंधन एवं चारे के लिये पेश किया गया था। तीनों प्रजातियाँ भूजल स्तर को कम कर रही हैं।

और पढ़ें… पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA), आक्रामक प्रजातियाँ


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