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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

डॉप्लर वेदर रडार

  • 18 Jan 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने दस में से दो स्वदेश निर्मित ‘एक्स-बैंड डॉप्लर वेदर रडार्स’ (Doppler Weather Radars- DWR) का ऑनलाइन उद्घाटन किया जो हिमालय पर मौसम के बदलावों की बारीकी से निगरानी करेंगे।

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सहयोग से विकसित एक ‘बहु-मिशन मौसम संबंधी डेटा प्रसंस्करण प्रणाली’ भी लॉन्च की गई।

प्रमुख बिंदु:

  • DWR की डिज़ाइनिंग और विकास का कार्य ISRO द्वारा किया गया है और इसका निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), बंगलूरू द्वारा किया गया है।

महत्त्व:

  • मध्य और पश्चिमी हिमालय को कवर करते हुए ये द्विध्रुवीकृत रडार वायुमंडलीय बदलाव संबंधी डेटा एकत्रित करेंगे और चरम मौसमी घटनाओं के संकेत देंगे।
  • उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बादल फटने, भूस्खलन, भारी बारिश और बर्फबारी का खतरा बना रहता है। मौसम का पूर्वानुमान और चेतावनी सरकारों को समय रहते अग्रिम योजना बनाने और बचाव के उपाय करने में सहायक होगी।

रडार (Radio Detection and Ranging):

  • यह एक ऐसा उपकरण है जो स्थान (गति और दिशा), ऊँचाई और तीव्रता, गतिमान एवं गैर-गतिमान वस्तुओं की आवाजाही का पता लगाने के लिये सूक्ष्म तरंगीय क्षेत्र में विद्युत चुंबकीय तरंगों का उपयोग करता है।  
  • डॉप्लर रडार:
    • यह एक विशेष रडार है जो एक दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित वस्तुओं के वेग से संबंधित आँकड़ों को एकत्रित करने के लिये डॉप्लर प्रभाव का उपयोग करता है।
  • डॉप्लर प्रभाव:
    • जब स्रोत और संकेत एक-दूसरे के सापेक्ष गति करते हैं तो पर्यवेक्षक द्वारा देखी जाने वाली आवृत्ति में परिवर्तन होता है। यदि वे एक-दूसरे की तरफ बढ़ रहे होते हैं तो आवृत्ति बढ़ जाती है और दूर जाते हैं तो आवृत्ति घट जाती है।

Doppler-Effect

  • यह एक वांछित लक्ष्य (वस्तु) को माइक्रोवेव सिग्नल के माध्यम से लक्षित करता है और विश्लेषण करता है कि लक्षित वस्तु की गति ने वापस आने वाले सिग्नलों की आवृत्ति को कैसे बदल दिया है।

डॉप्लर वेदर रडार

  • डॉप्लर सिद्धांत के आधार पर रडार को एक ‘पैराबॉलिक डिश एंटीना’ (Parabolic Dish Antenna) और एक फोम सैंडविच स्फेरिकल रेडोम (Foam Sandwich Spherical Radome) का उपयोग कर मौसम पूर्वानुमान एवं निगरानी की सटीकता में सुधार करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • DWR में वर्षा की तीव्रता, वायु प्रवणता और वेग को मापने के उपकरण लगे होते हैं जो  चक्रवात के केंद्र और धूल के बवंडर की दिशा  के बारे में सूचित करते हैं।

Electro-Megnetic-Waves

डॉप्लर रडार के प्रकार:  डॉप्लर रडार को तरंगदैर्ध्य के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे- एल( L), एस(S), सी(C), एक्स(X), के(K)।

Frequency-Bands

X-बैंड रडार: ये 2.5-4 सेमी. की तरंगदैर्ध्य और 8-12 गीगाहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर कार्य करते हैं। छोटे तरंगदैर्ध्य के कारण X-बैंड रडार अत्यधिक संवेदनशील होते हैं जो सूक्ष्म कणों का पता लगाने में सक्षम होते हैं।

अनुप्रयोग

  • रडार का उपयोग बादलों की विकास प्रक्रिया (Cloud Development) का अध्ययन करने हेतु किया जाता है क्योंकि रडार जल के छोटे-छोटे कणों तथा हिम वर्षा (हल्के हिमकणों)  का पता लगाने में सक्षम होते हैं।
  • X-बैंड रडार की तरंगदैर्ध्य काफी छोटी होती है (कम प्रभावी), इसलिये उनका उपयोग लघुकालिक मौसम अवलोकन का अध्ययन करने हेतु किया जाता है।
  • रडार के छोटे आकार के कारण यह डॉप्लर ऑन व्हील्स (Doppler on Wheels- DOW) की तरह एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में सुवाह्य/पोर्टेबल  हो सकता है। अधिकांशत: हवाई जहाज़ों में एक्स बैंड रडार का प्रयोग किया जाता है ताकि अशांत और अन्य मौसमी घटनाओं का अवलोकन किया जा सके।
  • इस बैंड को कुछ पुलिस स्पीड रडार्स (Police Speed Radars) और कुछ स्पेस रडार्स (Space Radars) से भी साझा किया गया है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

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