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मन्नार की खाड़ी
- 20 Aug 2025
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तमिलनाडु की मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar - GoM), जो जलवायु परिवर्तन और प्रवाल विरंजन (coral bleaching) से गंभीर रूप से प्रभावित हुई है, ने कृत्रिम प्रवाल भित्ति (Artificial Reef) पुनर्स्थापन की प्रक्रिया अपनाई है। इस योजना के तहत, त्रिकोणीय और छिद्रित ट्रेपेज़ॉइडल (समलंबाकार) संरचनाओं को गोताखोरों के माध्यम से समुद्र के भीतर स्थापित किया गया है, ताकि समुद्री जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित किया जा सके।
- कंक्रीट फ्रेमों ने विभिन्न प्रवाल प्रजातियों को सफलतापूर्वक आश्रय प्रदान किया, जिससे प्रवाल आवरण, जीवित रहने की दर और मछलियों की घनता में वृद्धि हुई। इससे विरंजन (Bleaching) के प्रभावों में कमी आई, साथ ही स्थानीय समुदायों की जागरूकता, क्षमता तथा आजीविका में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ।
मन्नार की खाड़ी
- मन्नार की खाड़ी हिंद महासागर में लक्षद्वीप सागर का एक हिस्सा है, जिसमें 21 द्वीप हैं। यह श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट और भारत के दक्षिण-पूर्वी तट के बीच विस्तृत है।
- इसकी सीमा रामेश्वरम, रामसेतु पुल (जिसे एडम ब्रिज भी कहा जाता है) और मन्नार द्वीप (श्रीलंका) से लगती है। इसमें ताम्रपर्णी (भारत) और अरुवी (श्रीलंका) जैसी नदियाँ बहती हैं।
- इस खाड़ी में तूतीकोरिन बंदरगाह भी स्थित है। यह खाड़ी अपने मोती उत्पादन क्षेत्रों (Pearl banks) और पवित्र शंख (गैस्ट्रोपॉड मोलस्क) के लिये भी प्रसिद्ध है।
मन्नार की खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान और बायोस्फीयर रिज़र्व:
- समुद्री राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1982 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत की गई थी। इस राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्रफल लगभग 162.89 वर्ग कि.मी. है। उपलब्ध प्रमुख पारिस्थितिक तंत्र में प्रवाल भित्तियाँ, मैंग्रोव, मडफ्लैट्स, खाड़ियाँ, समुद्री घास, समुद्री शैवाल, ज्वारनदमुख, रेतीले समुद्र तट, खारे घास के मैदान, दलदली क्षेत्र और चट्टानी किनारे शामिल हैं।
- यहाँ 117 प्रवाल प्रजातियाँ, 450 से अधिक मछली प्रजातियाँ, तथा विश्व स्तरीय संकटापन्न प्रजातियाँ जैसे डुगोंग, व्हेल शार्क और समुद्री कछुए पाए जाते हैं।
- वर्ष 1989 में स्थापित और वर्ष 2001 में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त मन्नार की खाड़ी बायोस्फीयर रिज़र्व (10,500 वर्ग किमी) में 21 द्वीप और आसपास के तटीय क्षेत्र शामिल हैं।
- इसमें समुद्री राष्ट्रीय उद्यान शामिल है और यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया का पहला समुद्री बायोस्फीयर रिज़र्व है, जो समुद्री जैव विविधता के महत्त्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करता है।
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