ध्यान दें:



प्रिलिम्स फैक्ट्स

रैपिड फायर

भारत का पहला बाँस-आधारित इथेनॉल संयंत्र

स्रोत: द हिंदू 

प्रधानमंत्री ने असम के गोलाघाट में भारत के पहले बाँस-आधारित बायोएथेनॉल संयंत्र का उद्घाटन किया, जो ऊर्जा आत्मनिर्भरता और हरित ऊर्जा संवर्द्धन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। 

  • आर्थिक प्रभाव: यह बायोएथेनॉल संयंत्र प्रतिवर्ष असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों से 5 लाख टन बाँस की खरीद करेगा। यह परियोजना स्थानीय किसानों तथा जनजातीय समुदायों को लाभ पहुँचाएगी तथा असम की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लगभग 200 करोड़ रुपए का प्रोत्साहन प्रदान करेगी। 
    • भारतीय वन अधिनियम, 1927 में संशोधन के बाद, बाँस को अब वृक्ष की श्रेणी में नहीं रखा गया है, जिससे इसके कटान पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया है। यह बदलाव वन क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों और निजी स्तर पर बाँस उगाने वालों की आजीविका को समर्थन प्रदान करता है। 
    • यह भारत के विकसित भारत दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और हरित ऊर्जा पहलों पर ध्यान केंद्रित करता है तथा इसका उद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना है। 
  • बायोएथेनॉल: यह एक उच्च-ऑक्टेन जैव ईंधन (C2H5OH) है जो मक्का, गन्ना, अनाज, बाँस और सब्जी के अवशेषों जैसे बायोमास से जैविक रूप से उत्पादित किया जाता है। 
    • इसका उपयोग मुख्य रूप से गैसोलीन में योजक के रूप में किया जाता है तथा अब इंजन शुद्ध इथेनॉल को जलाने में सक्षम हैं। 
    • प्रमुख उत्पादन चरणों में शर्करा का किण्वन, स्टार्च या सेल्यूलोज़ का पूर्व-प्रसंस्करण, आसवन, और ईंधन गुणवत्ता वाले एथेनॉल के लिये निर्जलीकरण शामिल हैं।

Ethanol

और पढ़ें: भारत ने हासिल किया पेट्रोल में 20% इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य 

रैपिड फायर

गुरुग्राम में INS अरावली का कमीशन

स्रोत: PIB 

INS अरावली, भारतीय नौसेना का नवीनतम नौसैनिक बेस, गुरुग्राम में कमीशन किया गया ताकि समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA) क्षमता को सशक्त किया जा सके। 

INS अरावली 

  • INS अरावली, अपने नाम की प्रेरणा अडिग अरावली पर्वतमाला से प्राप्त करता है। 
  • यह नौसेना की सूचना और संचार अवसंरचना को दृढ़ करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। यह केवल तकनीकी केंद्र ही नहीं बल्कि महासागर (MAHASAGAR) के सहयोगी दृष्टिकोण का भी केंद्र होगा। 
  • नौसेना बेस का आदर्श वाक्य है: ‘सामुद्रिकसुरक्षायाः सहयोगं’ या 'सहयोग के माध्यम से समुद्री सुरक्षा’ (Maritime Security through Collaboration)। 
  • यह भारतीय नौसेना के विभिन्न सूचना और संचार केंद्रों की सहायता करेगा तथा भारत के कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन एवं समुद्री डोमेन जागरूकता (Maritime Domain Awareness- MDA) ढाँचे को सुदृढ़ बनाएगा। 
  • साथ ही यह भारत की स्थिति को भारतीय महासागर क्षेत्र में प्रमुख सुरक्षा साझेदार के रूप में सुदृढ़ करेगा।
और पढ़ें: समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देगा सूचना संलयन केंद्र 

चर्चित स्थान

स्कारबोरो शोल

स्रोत: इकनोमिक टाइम्स

फिलीपींस ने दक्षिण चीन सागर में विवादित स्कारबोरो शोल पर चीन द्वारा प्राकृतिक रिज़र्व स्थापित करने की घोषणा का कड़ा विरोध किया है, जो लंबे समय से दोनों देशों के बीच तनाव और गतिरोध की स्थितियों का केंद्र रहा है। 

स्कारबोरो शोल 

  • परिचय: यह एक त्रिकोणीय एटोल है, जो फिलीपींस तट से 200 किमी. दूर स्थित है और सामुद्रिक कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS), 1982 के अंतर्गत इसके अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में आता है। 
    • यह व्यापक दक्षिण चीन सागर विवादों (स्प्रैटली, पैरासेल्स, नाइन-डैश लाइन) का हिस्सा है, जहाँ चीन की नाइन-डैश लाइन वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और इंडोनेशिया के EEZ से ओवरलैप होती है। 
  • महत्त्व: यह क्षेत्र मछली भंडार से समृद्ध है और जहाज़ों के लिये प्राकृतिक आश्रय प्रदान करता है। 
    • यह रणनीतिक रूप से उन नौवहन मार्गों के समीप स्थित है, जिनसे प्रतिवर्ष लगभग 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का वैश्विक व्यापार होता है। 
    • इस पर नियंत्रण सबसे व्यस्त जलमार्गों में से एक में भू-राजनीतिक और सैन्य बढ़त प्रदान करता है। 
  • वर्ष 2016 में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के निर्णय ने दक्षिण चीन सागर पर चीन के व्यापक दावों और शोल की नाकेबंदी को अस्वीकार कर दिया, किंतु संप्रभुता का मुद्दा अनसुलझा छोड़ दिया, जिससे तनाव लगातार बना हुआ है। 

South_China_Sea

और पढ़ें: दक्षिण चीन सागर 

रैपिड फायर

भारत की हरित वित्त योजना

स्रोत: लाइव मिंट 

भारत वर्ष 2030 तक अपने 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य के लिये लगभग 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की हरित वित्त जुटाने हेतु कॉन्ट्रैक्ट्स फॉर डिफरेंस (CfD) को एक केंद्रीय तंत्र के रूप में अपना रहा है। 

  • CfD, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादकों और सरकार के बीच राजस्व स्थिरीकरण हेतु एक वित्तीय समझौता है। यदि बाज़ार मूल्य सहमत स्ट्राइक मूल्य से नीचे गिर जाते हैं, तो सरकार उत्पादक को अंतर का भुगतान करती है और यदि मूल्य इससे ऊपर बढ़ जाते हैं, तो उत्पादक अधिशेष राशि वापस कर देता है। 
    • CfD जोखिम को कम करते हैं और यूरोप में नवीकरणीय परियोजनाओं के लिये व्यापक रूप से उपयोग किये जाते हैं। 
  • हरित वित्त में पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये डिज़ाइन किये गए वित्तीय उत्पाद और सेवाएँ शामिल हैं। पेरिस समझौते के अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिये, भारत को वर्ष 2030 तक 2.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है। 
  • भारत को विकास के लिये आवश्यक हरित वित्त पर ध्यान केंद्रित करते हुए, अपने नेट ज़ीरो लक्ष्य के लिये वर्ष 2070 तक 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है। 
  • भारत में हरित वित्त पहलें: भारत कोयला उपकर द्वारा वित्तपोषित राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा एवं पर्यावरण कोष (NCEEF) के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा का वित्तपोषण करता है। 

Climate_Finance

और पढ़ें: राष्ट्रीय हरित वित्तपोषण संस्थान 

close
Share Page
images-2
images-2