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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

हाइड्रोकार्बन अन्वेषण एवं निष्कर्षण

  • 22 Apr 2024
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

हाइड्रोकार्बन, हाइड्रोकार्बन अन्वेषण, हाइड्रोकार्बन लाइसेंसिंग नीति, ओपन एकरेज लाइसेंसिंग प्रोग्राम (OALP)।

मेन्स के लिये:

हाइड्रोकार्बन निष्कर्षण की भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएँ, निष्कर्षण विधियाँ और पर्यावरणीय प्रभाव, नई अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (NELP) की कमियाँ, हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (HELP): कार्यविधि, चुनौतियाँ, लाभ।

चर्चा में क्यों?

मानव द्वारा की गई हाइड्रोकार्बन निष्कर्षण प्रक्रिया की खोज ने दो औद्योगिक क्रांतियों को जन्म दिया। ये हाइड्रोकार्बन बड़े इंजनों को संचालित करते थे, जिससे वायु, जल एवं वातावरण प्रदूषित हुआ और अंततः यह ग्लोबल वार्मिंग का कारण बना।

  • बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग को देखते हुए दुनिया के लिये हाइड्रोकार्बन के उपयोग के कम हानिकारक तरीकों पर विचार करना आवश्यक है।

हाइड्रोकार्बन एवं उनका भंडारण क्या है?

  • परिचय:
    • हाइड्रोकार्बन हाइड्रोजन एवं कार्बन से निर्मित कार्बनिक यौगिक होते हैं। जबकि कार्बन परमाणु यौगिक की रूपरेखा बनाते हैं, हाइड्रोजन परमाणु विभिन्न प्रकार के विभिन्न विन्यासों में उनसे जुड़ते हैं।
    • हाइड्रोकार्बन अन्वेषण भू-पर्पटी में पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस जैसे हाइड्रोकार्बन के भंडार की खोज है। इसे तेल एवं गैस अन्वेषण के नाम से भी जाना जाता है।
    • केरोजेन कार्बनिक पदार्थों की गाँठें हैं और वे भूमिगत चट्टानों में हाइड्रोकार्बन के प्राथमिक स्रोत हैं।
    • केरोजेन को तीन संभावित स्रोतों जैसे- झील (लैक्स्ट्रिन), एक बड़े समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, या स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र के अवशेष से जमा किया जा सकता है
    • केरोजेन के आसपास की चट्टानें समय के साथ गर्म हो सकती हैं, अधिक सघन हो सकती हैं, जिससे केरोजेन पर बल पड़ता है परिणामस्वरूप यह टूट जाता है।
    • लैक्स्ट्रिन केरोजेन से मोम जैसा तेल प्राप्त होता है, समुद्री केरोजेन, तेल एवं गैस तथा स्थलीय केरोजेन, हल्के तेल, गैस एवं कोयला।

Schematic_geology_of_natural_gas_resources

  • प्रकार: उनकी संरचना एवं बंधन के आधार पर हाइड्रोकार्बन को इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है:
    • एल्काइन्स (संतृप्त):
      • संरचना: कार्बन परमाणुओं के बीच एकल बंधन से मिलकर बनता है।
      • सामान्य सूत्र: Cn​H2n+2​। उदाहरण: मीथेन (CH4) तथा इथेन (C2H6)।
      • गुण: गैर-प्रतिक्रियाशील; मुख्य रूप से ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।
    • एल्काइन्स (असंतृप्त डबल बॉण्ड ):
      • संरचना: कार्बन परमाणुओं के बीच कम-से-कम एक दोहरा बंधन होता है।
      • सामान्य सूत्र: Cn​H2n​। उदाहरण: इथाइलीन (C2H4) और प्रोपलीन (C3H6)।
      • गुण: रासायनिक संश्लेषण में दोहरे बंधन के कारण एल्काइन्स की तुलना में अधिक प्रतिक्रियाशील एवं प्लास्टिक के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है।
    • एल्काइन्स ( असंतृप्त ट्रिपल बॉण्ड ):
      • संरचना: कार्बन परमाणुओं के बीच कम-से-कम एक त्रि-बंध होता है।
      • सामान्य सूत्र: Cn​H2n−2​​
      • उदाहरणः एसिटिलीन (C2H2).
      • गुण: अत्यंत प्रतिक्रियाशील; वेल्डिंग (ऑक्सी-एसिटिलीन टॉर्च) और रासायनिक बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में उपयोग किया जाता है।
    • एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (एरेनेस):
      • संरचना: इसमें बारी-बारी दोहरे बॉण्ड (एरोमैटिक के छल्ले) के साथ कार्बन परमाणुओं के छल्ले होते हैं।
      • उदाहरण: बेंज़ीन (C6H6) और टोल्यूनि (C7H8)।
      • गुण: अपने एरोमैटिक छल्लों के कारण स्थिर; रंग, डिटर्जेंट और विस्फोटकों के निर्माण में उपयोग किया जाता है।
  • निर्माण और भंडारण:
    • हाइड्रोकार्बन प्राकृतिक रूप से पौधों, पेड़ों और जीवाश्म ईंधन में पाए जाते हैं। ऐसे यौगिक पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस के प्राथमिक घटकों के रूप में कार्य करते हैं एवं इनका उपयोग ईंधन तथा प्लास्टिक के उत्पादन जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों की एक विस्तृत शृंखला में किया जा सकता है।
    • अवसादी शैलों के नीचे कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस पाई जाती है।
    • ये जलाशय तब बनते हैं जब अधिक प्रतिरोधी शैल एक कम प्रतिरोधी शैल पर चढ़ जाती है, जिससे वास्तव में एक आवरण का निर्माण हो जाता है जिससे उसके नीचे हाइड्रोकार्बन जमा हो जाते हैं।
    • इनका निर्माण लाखों वर्षों में होता है। इनके निर्माण की प्रक्रिया इस प्रकार है:
      1. मृत पौधे और जानवर भूमिगत दफन हो जाते हैं जिससे हाइड्रोकार्बन बनने के लिये कार्बन की मात्रा उपलब्ध हो जाती है।
      2. अंततः दबे हुए मलबे के ऊपर मृदा की एक परत जम जाती है और मृदा शैल में परिवर्तित हो जाती है।
      3. तीव्र गर्मी और दबाव परिवर्तन इस मलबे को जीवाश्म ईंधन यानी कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस में बदल देते हैं।
      4. इसके निर्माण के लिये ऑक्सीजन और वायु की अनुपलब्धता एक प्रमुख शर्त है।
      5. चट्टानों से रिसाव न होने की स्थिति में कच्चा तेल तलछटी चट्टान के नीचे एकत्रित रहता है।
      6. प्राकृतिक गैस कम सघन होने के कारण कच्चे तेल के ऊपर तैरती है।

विश्व स्तर पर शीर्ष तेल उत्पादक एवं उपभोक्ता देश:

  • शीर्ष 5 तेल उत्पादक और कुल विश्व तेल उत्पादन में हिस्सेदारी

देश

विश्व का कुल हिस्सा

संयुक्त राज्य अमेरिका

22%

सऊदी अरब

11%

रूस

11%

कनाडा

  6%

चीन

  5%

  • शीर्ष 5 तेल उपभोक्ता और कुल विश्व तेल खपत का हिस्सा

देश

विश्व का कुल हिस्सा

संयुक्त राज्य अमेरिका

20%

चीन

15%

भारत

  5%

रूस

  4%

सऊदी अरब

  4%

हाइड्रोकार्बन तक पहुँच और कैसे बाहर निकाला जाता है?

  • हाइड्रोकार्बन तक पहुँच:
    • उत्पादन के लिये एक कुआँ बनाना: प्रारंभिक कार्य एक उत्पादन कुएँ को ड्रिल करना है। इस स्थान को जल निकासी की मात्रा को अधिकतम करने के लिये चुना जाता है।
      • कुआँ ड्रिलिंग मशीन से बनाया जाता है।
    • केसिंग और सीमेंटिंग: छेद से संकरी स्टील की केसिंग को कुएँ में उतारा जाता है और गुफाओं से बचाने तथा तरल पदार्थ के घुसपैठ को रोकने के लिये सीमेंट के घोल से घेर दिया जाता है।
      • ड्रिलिंग फ्लूइड, ड्रिल बिट के चारों ओर परिचालित होता है, जो ठंडा करने और रॉक कटिंग को हटाने में सहायता करता है।
    • विस्फोट की रोकथाम: जिस दबाव पर ड्रिलिंग द्रव वितरित किया जाता है उसे सावधानीपूर्वक नियंत्रित किया जाना चाहिये अन्यथा यह स्रोत चट्टान में हाइड्रोकार्बन को बाहर निकलने और तेल के ज्वालामुखी की तरह सतह पर फूटने के लिये मजबूर कर सकता है।
    • मड-लॉगिंग: यह चट्टान की कटाई को गहराई से रिकॉर्ड करने और उनके गुणों का अध्ययन करने की प्रक्रिया है।
    • ड्रिलिंग: यह ड्रिलिंग रिग द्वारा किया जाता है, जो ड्रिलिंग प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में बिजली आपूर्ति के लिये जनरेटर और बैटरी के साथ भी आता है।
      • पानी के स्तंभ के माध्यम से उनकी स्थिरता और सहायता निष्कर्षण को बढ़ावा देने के लिये इन रिगों को अपतटीय क्षेत्र में भी स्थापित किया जा सकता है।
  • हाइड्रोकार्बन निष्कर्षण:
    • समापन चरण: यह बोरहोल से ड्रिल स्ट्रिंग को हटाकर और आवरण में छोटे छेद करके हाइड्रोकार्बन को बाहर निकालने की प्रक्रिया है।
    • उत्पादन चरण: कुएँ के शीर्ष पर मौजूद सिस्टम वाल्वों का उपयोग करके हाइड्रोकार्बन के बहिर्वाह को नियंत्रित किया जाता है। पंप जैक का उपयोग कुएँ के नीचे से हाइड्रोकार्बन को ऊपर उठाने के लिये किया जाता है, जब हाइड्रोकार्बन को सतह पर लाने के लिये दबाव का अंतर बहुत कम होता है।
      • उत्पादन को बनाए रखने के लिये आवश्यक तरीकों के आधार पर इसे तीन चरणों: प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक में विभाजित किया जा सकता है। 
      • प्राथमिक चरण प्राकृतिक प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है, जैसे जलाशय और कुएँ के बीच दबाव अंतर।
      • द्वितीयक चरण में अंतर को बनाए रखने के लिये चट्टान में कृत्रिम दबाव उत्पन्न करना शामिल है।
      • तृतीयक चरण शेष हाइड्रोकार्बन को निकालने के लिये भाप इंजेक्शन जैसी उन्नत पुनर्प्राप्ति विधियों का उपयोग किया जाता है।
  • वेल प्लगिंग और डीकमीशनिंग: 
    • निष्कर्षण के लिये पूर्ण समाप्ति की आवश्यकता नहीं होती है, इसे तब रोक दिया जाता है जब यह लाभदायक नहीं रह जाता है। हाइड्रोकार्बन और गैस के निकास को रोकने के लिये परित्यक्त कुओं को बंद किया जाना चाहिये।
    • डीकमीशनिंग, एक कुएँ की स्थायी सीलिंग, महँगी होती है और अक्सर ऑपरेटरों के लिये वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं होती है।

भारत में अवसादी बेसिन:

  • भारत में 26 अवसादी बेसिन हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 3.4 मिलियन वर्ग किलोमीटर है।
  • कुल अवसादी क्षेत्र का 49% भूमि पर, 12% उथले जल में और 39% गहरे जल क्षेत्र में स्थित है।
  • हाइड्रोकार्बन संसाधनों की परिपक्वता के आधार पर इन बेसिनों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
    • श्रेणी-I: बेसिन, जहाँ हाइड्रोकार्बन भंडार मौजूद है और इनका पहले से ही उत्पादन हो रहा है।
    • श्रेणी- II: वे बेसिन, जिनमें वाणिज्यिक उत्पादन के लिये संभावित संसाधन उपलब्ध हैं।
    • श्रेणी-III बेसिन, जिनमें संभावित संसाधन की खोज की जानी है।

भारत में हाइड्रोकार्बन निष्कर्षण से संबंधित नीतियाँ:

  • हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (HELP) को सरकार द्वारा एक अन्वेषण और उत्पादन नीति के रूप में अनुमोदित किया गया था, जिसने नवीन अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (NELP) का स्थान ले लिया।
    • इस नीति का उद्देश्य अन्वेषण गतिविधि और निवेश को तेज़ करके घरेलू तेल और गैस उत्पादन को बढ़ाना है।
    • नवीन नीति सरल नियमों, कर छूट, मूल्य निर्धारण और विपणन स्वतंत्रता का वादा करती है, जो वर्ष 2022-23 तक तेल तथा गैस उत्पादन को दोगुना करने की सरकारी रणनीति का हिस्सा है।
    • इस नीति का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाने के साथ-साथ प्रशासनिक विवेकाधिकार को कम करना भी है।
    • HELP भारत में अपस्ट्रीम E&P के लिये सरकारी नियंत्रण के समय से सरकारी समर्थन तक के सबसे बड़े बदलाव का प्रतीक है। ओपन एकरेज लाइसेंसिंग प्रोग्राम (OLAP) कंपनियों को अपनी पसंद के क्षेत्रों का पता लगाने के लिये डेटा प्रदान कर अन्वेषण पर प्रतिबंध हटा देता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. हाइड्रोकार्बन किसी देश की ऊर्जा सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन ऊर्जा आयात पर अत्यधिक निर्भरता भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिये एक चुनौती हो सकती है। इस संदर्भ में कच्चे तेल के आयात में कटौती के लिये की गई पहलों पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में पाया जाने वाला पद 'वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट' निम्नलिखित में से किस एक पदार्थ की श्रेणी से संबंधित है: (2020)

(a) कच्चे तेल 
(b) बहुमूल्य धातु 
(c) दुर्लभ मृदा तत्त्व 
(d) यूरेनियम 

उत्तर: (a)


प्रश्न. भारत की जैव ईंधन की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किनका उपयोग कच्चे माल के रूप में हो सकता है? (2020)

  1. कसावा 
  2. क्षतिग्रस्त गेहूंँ के दाने 
  3. मूंँगफली के बीज 
  4. कुलथी  
  5. सड़ा आलू 
  6. चुकंदर

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 5 और 6
(b) केवल 1, 3, 4 और 6
(c) केवल 2, 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4, 5 और 6

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. वहनीय (अफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य हैं। भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018)

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