पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र में ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ को प्रोत्‍साहन

चर्चा में क्यों?

सरकार की ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ (ease of doing business) पहल की तर्ज पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री (Minister of Petroleum and Natural Gas) तथा वित्‍त मंत्री को सचिवों की अधिकार प्राप्‍त समिति (Empowered Committee of Secretaries - ECS) की सिफारिशों के आधार पर एक अहम निर्णय लिया है।

  • मंत्रिमंडल ने अंतर्राष्‍ट्रीय प्रतिस्‍पर्द्धात्‍मक बोली (International Competitive Bidding - ICB) के बाद हाइड्रोकार्बन अन्‍वेषण और लाइसेंसिंग नीति (Hydrocarbon Exploration and Licensing Policy - HELP) के अंतर्गत सफल बोलीकर्त्ताओं को ब्‍लॉक/ठेके के क्षेत्रों की स्‍वीकृति देने के लिये अधिकार प्रदान करने की मंज़ूरी दे दी है।
  • HELP के अंतर्गत एक वर्ष में दो बार ब्‍लॉक दिये जाएंगे। अत: अधिकार सौंपने से ब्‍लॉक देने के बारे में निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेज़ी आएगी और ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ की पहल को प्रोत्‍साहन मिलेगा।

इस निर्णय का प्रभाव

  • एनईएलपी नीति (New Exploration Licensing Policy - NELP) के अंतर्गत सचिवों की अधिकार प्राप्‍त समिति बोली मूल्‍यांकन मानदंड (Bid Evaluation Criteria - BEC) पर विचार करती है, जहाँ कहीं भी ज़रूरी हो बोलीकर्त्ताओं के साथ समझौता वार्ता करती है और ब्‍लॉक देने के बारे में सीसीईए को सिफारिश करती है।
  • सीसीईए (Cabinet Committee on Economic Affairs - CCEA) ब्‍लॉक देने की मंज़ूरी देती है।
  • मंत्रालय में विचार-विमर्श सहित समूची प्रक्रिया काफी लंबी है और इसमें काफी समय लगता है।
  • सरकार की ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ पहल के साथ सामंजस्‍य स्‍थापित करने के लिये यह ज़रूरी है कि ब्‍लॉक/ठेके के क्षेत्र देने के समय की अवधि में कमी लाई जाए।
  • नई हाइड्रोकार्बन अन्‍वेषण और लाइसेंसिंग नीति (New Hydrocarbon Exploration and Licensing Policy) के अंतर्गत प्रतिस्‍पर्द्धात्‍मक बोली जारी रहेगी और प्रत्‍येक वर्ष में दो बार ब्‍लॉक दिये जाएंगे।

पृष्‍ठभूमि

  • सरकार ने 2016 में हाइड्रोकार्बन अन्‍वेषण और लाइसेंसिंग नीति (Hydrocarbon Exploration and Licensing Policy - HELP) के नाम से अन्‍वेषण और उत्‍पादन (Exploration & Production - E&P) के लिये एक नई नीतिगत व्‍यवस्‍था शुरू की, जो पूर्व की नीतिगत व्‍यवस्‍था से हटकर आदर्श व्‍यवस्‍था है।
  • नई व्‍यवस्‍था की मुख्‍य विशेषताओं में राजस्‍व साझा करने का समझौता, अन्‍वेषण के लिये एकल लाइसेंस, परम्‍परागत और गैर-परम्‍परागत हाइड्रोकार्बन संसाधनों का उत्‍पादन, मार्केटिंग और मूल्‍य निर्धारित करने की आज़ादी शामिल है।
  • एचईएलपी के अंतर्गत खुला क्षेत्रफल लाइसेंसिंग नीति (Open Acreage Licensing Policy - OALP) प्रमुख नई व्‍यवस्‍था है, जिसमें निवेशक अपनी दिलचस्‍पी के ब्‍लॉक निकाल सकता है और पूरे वर्ष रुचि-प्रकटन दे सकता है। जिन क्षेत्रों के लिये रुचि-प्रकटन दिया गया है, वहाँ हर छह महीने में बोली लगाई जाएगी।
  • सरकार को ओएएलपी के पहले रुचि-प्रकटन चक्र में ज़बरदस्‍त प्रतिक्रिया प्राप्‍त हुई, जो 01 जुलाई, 2017 को आरंभ होकर 15 नवंबर, 2017 को समाप्‍त हुई। बोली की प्रक्रिया एक सुरक्षित और समर्पित ई-बोली पोर्टल के जरिये संपन्न की जाती है।

अन्य पक्ष

  • उत्‍पादित कच्‍चे तेल और प्राकृतिक गैस के लिये विपणन व मूल्‍य निर्धारण संबंधी आज़ादी द्वारा उपर्युक्‍त निर्णय से तेल एवं गैस का घरेलू उत्‍पादन बढ़ेगा, इस क्षेत्र में व्‍यापक निवेश आएगा और बड़ी संख्या में रोज़गार अवसर सृजित होंगे।
  • इस नीति का उद्देश्‍य पारदर्शिता बढ़ाना और प्रशासकीय विवेकाधिकार में कमी लाना भी है।
  • एक समान लाइसेंस से ठेकेदार के लिये एकल लाइसेंस के तहत परंपरागत के साथ-साथ गैर-परंपरागत तेल एवं गैस संसाधनों का भी उत्‍खनन करना संभव हो जाएगा, जिनमें सीबीएम, शेल गैस/तेल, टाइट गैस और गैस हाइड्रेट्स भी शामिल हैं।
  • खुली रकबा नीति की अवधारणा से अन्वेषण और उत्पादन कंपनियों (Exploration and Production Companies) के लिये नामित क्षेत्र से ब्‍लॉकों का चयन करना संभव हो जाएगा। 
  • निवेश गुणज और लागत वसूली/उत्‍पादन संबंधी भुगतान पर आधारित उत्‍पादन हिस्‍सेदारी वाली मौजूदा राजकोषीय प्रणाली का स्‍थान राजस्‍व हिस्‍सेदारी वाला ऐसा मॉडल लेगा, जिसका संचालन करना आसान होगा।