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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 08 Apr, 2023
  • 20 min read
प्रारंभिक परीक्षा

अमेरिकी बाज़ार में इंडियन आई ड्रॉप्स पर संदूषण की चिंता

यूएस सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) और फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) ने कथित तौर पर भारत से आयातित आई ड्रॉप्स से जुड़े दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया स्ट्रेन पर चिंता व्यक्त की है, जो अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं को प्रभावित कर सकता है।

  • भारतीय औषधि महानियंत्रक (Drugs Controller General of India- DCGI) ने USFDA को पत्र लिखकर भारत से आयातित आई ड्रॉप्स के कथित संदूषण पर अपनी चिंताओं के बारे में विवरण मांगा है।

USFDA और भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा की गई कार्रवाई: 

  • USFDA ने घोषणा की है कि EzriCare आई ड्रॉप्स के निर्माता चेन्नई स्थित ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने संदूषण की रिपोर्ट के बाद अमेरिकी बाज़ार से 50,000 ट्यूब वापस मंगा लिये हैं। 
  • भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर को जाँच पूरी होने तक नेत्र संबंधी उत्पादों का उत्पादन बंद करने का निर्देश दिया गया है। 
  • एक प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनियों से लिये गए नमूने संदूषण मुक्त पाए गए हैं और संयुक्त राज्य अमेरिका में कथित संदूषण की रिपोर्ट खुली बोतलों पर आधारित है।

भारतीय फार्मास्यूटिकल क्षेत्र की स्थिति: 

  • भारतीय फार्मास्यूटिकल्स उद्योग की विश्व स्तर पर प्रमुख भूमिका है। मात्रा के हिसाब से उत्पादन के मामले में भारत विश्व में तीसरे और मूल्य के हिसाब से 14वें स्थान पर है।
  • भारत विश्व स्तर पर जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा प्रदाता है, मात्रा के हिसाब से वैश्विक आपूर्ति में इसकी हिस्सेदारी 20% की है तथा टीका विनिर्माण के मामले में भारत विश्व स्तर पर अग्रणी है।
  • भारत में 3,000 से अधिक फार्मा कंपनियाँ हैं जिसमें 10,500 से अधिक विनिर्माण केंद्रों के मज़बूत नेटवर्क और आवश्यक संसाधनों की पर्याप्तता है।

नोट:  

भारत का औषधि महानियंत्रक(DCGI): 

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

मन्नार द्वीप समूह की खाड़ी में आक्रामक प्रजातियाँ

हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि मन्नार की खाड़ी में देशी वनस्पति और जैव विविधता को एक विदेशी आक्रामक पौधे, प्रोसोपिस चिलेंसिस (Prosopis Chilensis) से खतरा है।  

  • इसके अलावा औद्योगिक उद्देश्यों हेतु गैर-कानूनी होने के बावजूद प्रवाल भित्तियों को कई स्थानों पर नष्ट कर दिया गया है तथा मानव बस्तियों ने कुछ द्वीपों को प्रभावित किया है।

आक्रामक प्रजातियाँ:

  • परिचय:  
    • आक्रामक प्रजाति एक ऐसा जीव है जो किसी विशेष क्षेत्र के लिये स्थानिक या देशी प्रजातियों को क्षति पहुँचाता है। 
      • वे प्रजातियाँ स्थानिक पादपों और जीवों को विलुप्त करने, जैव विविधता को कम करने, सीमित संसाधनों के लिये देशी जीवों के साथ प्रतिस्पर्धा करने और पर्यावास को परिवर्तित करने में सक्षम हैं।
    • इन्हें जहाज़ के गिट्टी जल उपचार, आकस्मिक उत्सर्जन और अक्सर लोगों द्वारा एक क्षेत्र में प्रयुक्त किया जा सकता है। 
  • प्रोसोपिस चिलेंसिस के विषय में:  
    • चिली मेसकाइट [प्रोसोपिस चिलेंसिस (मोलिना) स्टंटज़] एक छोटे से मध्यम आकार के फलीदार पौधा है जिसकी जड़ें उथली और फैली हुई होती है। 
      • यह एक सामान्य मलबे या कूड़े पर उगने वाला खरपतवार है, जो या तो अकेले या समूह में उगता है। 
    • यह सतह के नीचे 3 से 10 मीटर के भूजल के साथ शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है।
      • यह दक्षिण अमेरिकी देशों अर्थात् अर्जेंटीना, बोलीविया, चिली और पेरू में पाया जाने वाला एक सूखा प्रतिरोधी पौधा है।
  • आक्रामक प्रजातियों पर अंतर्राष्ट्रीय साधन और कार्यक्रम:
    • जैविक विविधता पर अभिसमय (CBD):
      • यह अभिसमय वर्ष 1992 में रियो डि ज़ेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन के दौरान अंगीकृत प्रमुख समझौतों में से एक है।
      • जैव विविधता पर रियो डी ज़ेनेरियो सम्मेलन (1992) में निवास स्थान के क्षरण के पीछे विदेशी/आक्रामक पौधों की प्रजातियों के जैविक आक्रमण को पर्यावरण के लिये दूसरे सबसे बुरे खतरे के रूप में स्वीकार किया गया था। 
    • प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (CMS) या बॉन अभिसमय (1979):
      • यह एक अंतर-सरकारी संधि है, जिसका उद्देश्य स्थलीय, समुद्री और एवियन प्रवासी प्रजातियों को उनकी सीमा में संरक्षित करना है।
      • इसका उद्देश्य पहले से मौजूद आक्रामक विदेशी प्रजातियों को नियंत्रित करना या खत्म करना भी है।
    • वन्यजीव और वनस्पति की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES):
      • यह वर्ष 1975 में अपनाया गया एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य वन्यजीवों और पौधों के प्रतिरूप को किसी भी प्रकार के खतरे से बचाना है तथा इनके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को रोकना है।
      • यह आक्रामक प्रजातियों से संबंधित उन समस्याओं पर भी विचार करता है जो जानवरों या पौधों के अस्तित्व के लिये खतरा उत्पन्न करती हैं।
    • रामसर अभिसमय, 1971:
      • यह अभिसमय अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के आर्द्रभूमि के संरक्षण और स्थायी उपयोग के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
      • यह अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर आर्द्रभूमि पर आक्रामक प्रजातियों के पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक प्रभाव को भी संबोधित करता है तथा उनसे निपटने के लिये नियंत्रण और समाधान के तरीकों को भी खोजता है।
  • मन्नार की खाड़ी: 
    • मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar) पूर्वी भारत और पश्चिमी श्रीलंका के बीच हिंद महासागर का एक प्रवेश-द्वार है।
    • यह उत्तर-पूर्व में रामेश्वरम द्वीप, एडम्स ब्रिज और मन्नार द्वीप से घिरी हुई है।
    • इसमें कई नदियाँ मिलती हैं जिसमें ताम्रपर्णी (भारत) और अरुवी (श्रीलंका) शामिल हैं।
    • यह खाड़ी मोतियों के भंडार और शंख के लिये प्रसिद्ध है। 
  • मन्नार की खाड़ी बायोस्फीयर रिज़र्व (GoMBR):  
    • GoMBR में कुल 21 द्वीप हैं जो आर्कटिक वृत्त तक पलायन करने वाले तटीय पक्षियों के आवास के रूप में काम करते हैं।
      • यह भारत का पहला समुद्री बायोस्फीयर रिज़र्व है। 
    • अधिकांश द्वीपों में समुद्र तट के किनारे रेत के टीले हैं, जिनमें लवण प्रधान पौधों की प्रजातियाँ प्रमुख हैं।
    • अधिकांश द्वीपों में लावन प्रधान पौधों की प्रजातियों के साथ रेत के टीले हैं। 
    • "प्रवाल, समुद्री घास और मैंग्रोव द्वीपों पर मौजूद तीन अद्वितीय पारिस्थितिक तंत्रों में से हैं

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स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

CBDT ने 95 अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौतों पर हस्ताक्षर किये

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes- CBDT) ने भारतीय करदाताओं के साथ वित्त वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड 95 अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौते (APAs) किये हैं। 

  • इसमें 63 APA (UAPA) और 32 द्विपक्षीय APA (BAPA) शामिल हैं।
    • यह किसी एक वित्तीय वर्ष में CBDT द्वारा अब तक किये गए सर्वाधिक BAPA हैं।
  • भारत के संधि भागीदारों फिनलैंड, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, डेनमार्क, सिंगापुर और जापान के साथ आपसी समझौतों के बाद BAPAs पर हस्ताक्षर किये गए।

अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौते (APA):  

  • परिचय:  
    • भारत में अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौते (APA) कार्यक्रम को वर्ष 2012 में वित्त अधिनियम, 2012 के माध्यम से आयकर अधिनियम, 1961 में धारा 92CC एवं 92CD को सम्मिलित करके शुरू किया गया था।
    • APA भविष्य के वर्षों के लिये करदाता के अंतर्राष्ट्रीय विनिमय के मूल्य निर्धारण के लिये हस्तांतरण मूल्य निर्धारण पद्धति का निर्धारण करने वाले करदाता और कर प्राधिकरण के बीच एक समझौता है।
      • एक बार APA मुहरबंद हो जाने के बाद, कुछ नियमों और शर्तों की पूर्ति के आधार पर कार्यप्रणाली को एक निश्चित अवधि के लिये कार्यान्वित किया जाना है। 
  • प्रकार:  
    • APA एकतरफा, द्विपक्षीय या बहुपक्षीय हो सकता है। 
      • एकपक्षीय APA: एक APA जिसमें केवल करदाता और उस देश का कर प्राधिकरण शामिल होता है जहाँ करदाता स्थित होता है।
      • द्विपक्षीय APA (BAPA): एक APA जिसमें करदाता, विदेश में करदाता का संबद्ध उद्यम (AE), उस देश का कर प्राधिकरण जहाँ करदाता स्थित है और विदेशी कर प्राधिकरण शामिल है। 
      • बहुपक्षीय APA (MAPA): एक APA जिसमें करदाता, विभिन्न विदेशी देशों में करदाता के दो या दो से अधिक AE, उस देश के कर प्राधिकरण जहाँ करदाता स्थित है और AE के कर प्राधिकरण शामिल हैं।
  • महत्त्व:  
    • APA कार्यक्रम का व्यापार करने में सुलभता (ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस) को बढ़ावा देने के भारत सरकार के मिशन में महत्त्वपूर्ण योगदान है।
    • यह कार्यक्रम का विशेष लाभ सीमा पार लेनदेन में होता है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड(Central Board of Direct Taxes- CBDT) 

  • यह केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963 के तहत कार्य करने वाला एक वैधानिक प्राधिकरण है।
  • यह वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग का एक अंग है।
  • यह भारत में प्रत्यक्ष करों की नीति और योजना के लिये इनपुट प्रदान करता है और आयकर विभाग के माध्यम से प्रत्यक्ष कर कानूनों के प्रशासन के लिये भी उत्तरदायी है।
  • प्रत्यक्ष करों के अंतर्गत आयकर, निगम कर आदि शामिल हैं।

स्रोत: पी.आई.बी


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 08 अप्रैल, 2023

बाबू जगजीवन राम 

Babu-Jagjeevan_ram

प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगजीवन राम को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्हें लोकप्रिय रूप से बाबूजी, राष्ट्रीय नेता, स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक न्याय के योद्धा, दलित वर्गों के चैंपियन और एक उत्कृष्ट सांसद के रूप में जाना जाता था। उनका जन्म 5 अप्रैल, 1908 को बिहार के चंदवा में एक दलित परिवार में हुआ था। वर्ष 1931 में वह भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (Indian National Congress- INC) के सदस्य बने। वर्ष 1935 में उन्होंने हिंदू महासभा के एक सत्र में प्रस्ताव दिया कि पीने के जल के कुएँ और मंदिर अछूतों हेतु खोले जाएं। वर्ष 1935 में वे राँची में हैमंड आयोग में उपस्थित हुए और पहली बार दलितों हेतु मतदान के अधिकार की मांग की। जब जवाहरलाल नेहरू ने अंतरिम सरकार बनाई तो जगजीवन राम इसके सबसे युवा मंत्री बने। 6 जुलाई, 1986 को नई दिल्ली में उनका निधन हो गया। उनके श्मशान स्थल पर उनके स्मारक का नाम समता स्थल (समानता का स्थान) है।

और पढ़ें… बाबू जगजीवन राम 

सागर-सेतु एप  

केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री ने हाल ही में राष्ट्रीय लॉजिस्टिक  पोर्टल (समुद्री) - 'सागर-सेतु' का एप संस्करण लॉन्च किया। यह मोबाइल एप डेटा गतिशीलता सुनिश्चित करेगा ताकि बंदरगाह और मंत्रालय के कर्मियों के साथ-साथ हितधारकों के पास अनुमोदन और निगरानी के लिये तत्काल पहुँच की सुविधा उपलब्ध हो सके। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक पोर्टल (समुद्री) एक नेशनल मरीन सिंगल विंडो प्लेटफाॅर्म है जिसमें निर्यातकों, आयातकों और सेवा प्रदाताओं को दस्तावेज़ों को निर्बाध रूप से आदान-प्रदान करने तथा व्यापार करने में मदद करने हेतु संपूर्ण लॉजिस्टिक समाधान शामिल हैं। गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट (G2G), गवर्नमेंट-टू-बिज़नेस (G2B), और बिज़नेस-टू-बिज़नेस (B2B) मॉडल में विभिन्न हितधारकों की सुविधा के लिये NLP समुद्री योजना को पूरा किया जाना आवश्यक है।

कठुआ की 'बसोहली पेंटिंग' को GI टैग 

जम्मू-कश्मीर के कठुआ ज़िले से अपनी लघु कला शैली के लिये लोकप्रिय विश्व प्रसिद्ध 'बसोहली पेंटिंग' को राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) द्वारा अनुमोदन के बाद भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त हुआ है। यह पहली बार है कि जम्मू क्षेत्र को हस्तशिल्प के लिये GI टैग मिला है। 

केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उत्पादों को उन 33 उत्पादों की सूची में शामिल किया गया है जिन्हें हाल ही में GI टैग मिला है।  

GI बौद्धिक संपदा अधिकार का एक रूप है जो एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र के उत्पादित वस्तुओं तथा उस स्थान से जुड़ी विशिष्ट प्रकृति, गुणवत्ता एवं विशेषताओं की पहचान करता है। 

और पढ़ें…… भौगोलिक संकेतक (GI) टैग

संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग 

भारत को एक प्रतिस्पर्धी चुनाव में चार वर्ष की अवधि (1 जनवरी 2024 से शुरू) के लिये संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग के लिये चुना गया है। आयोग संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद् (ECOSOC) के तहत कार्य करता है।  

संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग, 1947 में स्थापित, वैश्विक सांख्यिकीय प्रणाली का सर्वोच्च निकाय है जो विश्वभर के सदस्य राष्ट्रों के मुख्य सांख्यिकीविदों को एक साथ लाता है। यह अंतर्राष्टीय सांख्यिकीय गतिविधियों के लिये सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है, जो सांख्यिकीय मानकों को स्थापित करने तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्टीय स्तर पर उनके कार्यान्वयन सहित अवधारणाओं तथा विधियों के विकास के लिये ज़िम्मेदार है।

आयोग में, संयुक्त राष्ट्र के निर्वाचित ECOSOC द्वारा समान भौगोलिक वितरण के आधार पर, 24 सदस्य देश शामिल हैं (पाँच सदस्य अफ्रीकी देशों से हैं, चार एशिया-प्रशांत देशों से, चार पूर्वी यूरोपीय देशों से, चार लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों से तथा सात सदस्य पश्चिमी यूरोपीय और अन्य राष्ट्रों से हैं)। भारत को वर्ष 2022-24 कार्यकाल के लिये संयुक्त राष्ट्र के छह मुख्य अंगों में से एक, आर्थिक और सामाजिक परिषद् के लिये चुना गया है।

और पढ़े: संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद् (ECOSOC)


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