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एडिटोरियल

  • 03 Apr, 2024
  • 27 min read
भारतीय राजनीति

PMLA, 2002 का पुनर्वलोकन

यह एडिटोरियल 02/04/2024 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “The PMLA — a law that has lost its way” लेख पर आधारित है। इसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल की गई है। इसमें इस गंभीर चिंता को भी उजागर किया गया है कि PMLA में ड्रग धन शोधन से निपटने के इसके प्राथमिक उद्देश्य से असंबंधित अपराध भी शामिल किये गए हैं।

प्रिलिम्स के लिये:

सर्वोच्च न्यायालय, मनी लॉन्ड्रिंग, मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002, प्रवर्तन निदेशालय, नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थों के अवैध यातायात के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (1988), विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999

मेन्स के लिये:

मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिये भारत में विधिक और नियामक ढाँचा, मनी-लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) और इसके उद्देश्य, अर्थव्यवस्था पर मनी लॉन्ड्रिंग का प्रभाव।

धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act- PMLA), 2002 को एक विशिष्ट उद्देश्य के साथ अधिनियमित किया गया था। अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ तस्करी के माध्यम से उत्पन्न भारी मात्रा में काले धन (black money) ने कई देशों की अर्थव्यवस्था के लिये गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। इस बात को व्यापक रूप से अनुभव किया गया कि मादक पदार्थों के फलते-फूलते व्यापार के माध्यम से उत्पन्न एवं वैध अर्थव्यवस्था में एकीकृत हो रहा काला धन विश्व अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने और राष्ट्रों की अखंडता एवं संप्रभुता को खतरे में डालने की संभावना रखता है। PMLA, 2002 के तहत कई राजनीतिक नेताओं की हाल में गिरफ़्तारी और सरकार की इस पर निर्भरता, इसके प्रावधानों की गहन जाँच की आवश्यकता को उजागर करती है।

धन शोधन या ‘मनी लॉन्ड्रिंग’:

  • परिचय:
    • मनी लॉन्ड्रिंग एक जटिल प्रक्रिया है जिसका उपयोग व्यक्तियों और संगठनों द्वारा अवैध रूप से प्राप्त धन के उद्गम/उत्पत्ति को छिपाने के लिये किया जाता है। इसमें लेन-देन की एक शृंखला के माध्यम से अवैध धन को वैध की तरह प्रकट करना शामिल है।
  • मनी लॉन्ड्रिंग के चरण:
    • धन का प्रवेश (Placement): यह प्रारंभिक चरण जहाँ अवैध धन को वित्तीय प्रणाली में प्रवेश कराया जाता है। इसमें बैंक खातों में धन जमा करना, मुद्रा विनिमय या मूल्यवान संपत्तियों की खरीद शामिल हो सकती है।
    • स्तरीकरण (Layering): यह जटिल वित्तीय लेनदेन की एक शृंखला के माध्यम से अवैध धन को उनके स्रोत से पृथक करने की प्रक्रिया है। इसमें प्रायः धन के उद्गम को अस्पष्ट करने के लिये विभिन्न खातों के बीच या सीमाओं के पार धनराशि स्थानांतरित करना शामिल होता है।
    • एकीकरण (Integration): यह मनी लॉन्ड्रिंग का अंतिम चरण है जहाँ शोधित धन को वैध धन के रूप में अर्थव्यवस्था में पुनः शामिल कराया जाता है। इसमें व्यवसायों में निवेश करना, अचल संपत्ति की खरीद करना या धन को वैध बनाने के अन्य साधन शामिल हो सकते हैं।
  • मनी लॉन्ड्रिंग के तरीके:
    • स्ट्रक्चरिंग या स्मर्फिंग (Structuring/Smurfing): यह नकदी की बड़ी मात्रा को छोटी और कम ध्यानाकर्षी राशि में तोड़ने की प्रक्रिया है, जिन्हें फिर बैंक खातों में जमा किया जाता है।
    • व्यापार-आधारित शोधन (Trade-Based Laundering): धन को सीमाओं के पार ले जाने और अवैध धन के स्रोत को छिपाने के लिये व्यापार लेनदेन का उपयोग करना।
    • शेल कंपनियाँ (Shell Companies): वैध प्रकट होने वाले लेनदेन के माध्यम से अवैध धन के प्रवाह के लिये ऐसी कंपनियों का निर्माण करना जो किसी वैध व्यावसायिक गतिविधियों से संलग्न नहीं होतीं।
    • अचल संपत्ति (Real Estate): अवैध धन से अचल संपत्ति खरीदना और फिर मूल्य को वैध संपत्ति में बदलने के लिये इसे बेच देना।

PMLA, 2002:

  • परिचय:
    • धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) भारत की संसद का एक अधिनियम है जिसे मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और मनी लॉन्ड्रिंग से प्राप्त संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान करने के लिये अधिनियमित किया गया है।
    • इसका उद्देश्य ड्रग टैफिकिंग, स्मगलिंगऔर आतंकवाद के वित्तपोषण जैसी अवैध गतिविधियों से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग से मुकाबला करना है।
  • PMLA के प्रमुख प्रावधान:
    • अपराध और दंड: PMLA मनी लॉन्ड्रिंग संबंधी अपराधों को परिभाषित करता है और ऐसी गतिविधियों के लिये दंड आरोपित करता है। इसमें अपराधियों के लिये कठोर कारावास और अर्थदंड शामिल है।
    • संपत्ति की कुर्की-जब्ती: अधिनियम मनी लॉन्ड्रिंग से संबद्ध संपत्ति की कुर्की-जब्ती की अनुमति देता है। यह इन कार्यवाहियों की निगरानी के लिये एक  न्याय निर्णय प्राधिकरण (Adjudicating Authority) की स्थापना का प्रावधान करता है।
    • रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ: PMLA बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों जैसी कुछ संस्थाओं को लेनदेन के रिकॉर्ड बनाए रखने और वित्तीय आसूचना इकाई (Financial Intelligence Unit- FIU) को संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्ट करने का आदेश देता है।
    • निर्दिष्ट प्राधिकरण और अपीलीय न्यायाधिकरण: अधिनियम मनी लॉन्ड्रिंग संबंधी अपराधों की जाँच एवं अभियोजन में सहायता के लिये एक निर्दिष्ट प्राधिकरण की स्थापना करता है। यह न्याय निर्णयन प्राधिकरण के आदेशों के विरुद्ध अपील सुनने के लिये एक अपीलीय न्यायाधिकरण (Appellate Tribunal) की स्थापना का भी प्रावधान करता है।
  • PMLA के उद्देश्य:
    • निवारण (Prevention): कड़े उपाय लागू कर और वित्तीय लेनदेन की निगरानी कर मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना।
    • पता लगाना (Detection): उचित प्रवर्तन और नियामक तंत्र के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों का पता लगाना और इसकी जाँच करना।
    • जब्ती (Confiscation): अपराधियों का भयादोहन कर उन्हें अपराध से रोकने और अवैध वित्तीय प्रवाह को बाधित करने के लिये मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों से प्राप्त संपत्तियों को जब्त करना।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (International Coorperation): मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण गतिविधियों से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सुविधाजनक बनाना।
  • वर्ष 2023 में PMLA, 2002 में संशोधन:
    • अपराध से प्राप्त आय या संपत्ति की स्थिति बारे में स्पष्टीकरण: अपराध से प्राप्त आय या संपत्ति (Proceeds of Crime) में न केवल अनुसूचित अपराध से प्राप्त संपत्ति शामिल है, बल्कि इसमें अनुसूचित अपराध से संबंधित या इसके समान किसी भी आपराधिक गतिविधि में संलग्नता से प्राप्त की गई कोई अन्य संपत्ति भी शामिल होगी।
    • मनी लॉन्ड्रिंग को पुनः परिभाषित किया गया: मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध नहीं था बल्कि यह किसी अन्य अपराध पर निर्भर था, जिसे विधेय अपराध या अनुसूचित अपराध के रूप में जाना जाता है। संशोधन का उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को स्वयं में एक अपराध घोषित करना है।

किन कारकों के कारण PMLA, 2002 को अपनाना आवश्यक हो गया?

  • वैश्विक स्तर पर मादक पदार्थों का फलता-फूलता व्यापार:
  • वित्तीय कार्रवाई कार्यबल का गठन:
    • सात प्रमुख औद्योगिक देशों ने वर्ष 1989 में पेरिस में एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया और मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या की जाँच करने और इस खतरे से निपटने के उपायों की सिफ़ारिश करने के लिये वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (Financial Action Task Force- FATF) का गठन किया।
    • इसके बाद, वर्ष 1990 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने ‘राजनीतिक घोषणा और वैश्विक कार्ययोजना’ (Political Declaration and Global Programme of Action) शीर्षक संकल्प/प्रस्ताव को अंगीकृत किया, जहाँ सभी सदस्य देशों से मादक पदार्थों से प्राप्त धन के शोधन को प्रभावी ढंग से रोकने के लिये उपयुक्त कानून बनाने का आह्वान किया गया।
  • भारतीय संसद द्वारा अंगीकरण:
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा के इस प्रस्ताव के अनुसरण में भारत सरकार ने ड्रग मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिये एक कानून बनाने हेतु FATF की सिफ़ारिशों का उपयोग किया।
    • चूँकि मादक पदार्थों की तस्करी एक सीमा-पारीय कार्रवाई है, संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1998 में ‘वैश्विक मादक पदार्थ समस्या का मिलकर मुकाबला करना’ (Countering World Drug Problem Togethe) शीर्षक थीम के साथ एक विशेष सत्र का आयोजन किया और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने की तत्काल आवश्यकता पर एक और घोषणा जारी की।
      • तदनुसार, भारतीय संसद ने वर्ष 2002 में धन शोधन निवारण अधिनियम बनाया जो 2005 में लागू किया गया।
  • नरसिम्हम समिति की सिफ़ारिशें:
    • वर्ष 1998 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा गठित बैंकिंग क्षेत्र सुधारों पर नरसिम्हम समिति ने भारतीय वित्तीय प्रणाली के भीतर मनी लॉन्ड्रिंग संबंधी चिंताओं को संबोधित करने के महत्त्व को रेखांकित किया। इन सिफ़ारिशों ने विधायी कार्रवाई को प्रेरित किया।
  • पूर्ववर्ती विधानों के प्रावधानों का पालन:
    • कानून का मुख्य ध्यान मादक पदार्थों से संबंधित धन के शोधन से निपटने पर है। तदनुसार, वर्ष 2002 के अधिनियम में भारतीय दंड संहिता (IPC) तथा ‘स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985’ में सूचीबद्ध कुछ अपराध शामिल किये गए।
    • संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव और FATF की सिफ़ारिशें, सभी मादक दवाओं की लॉन्ड्रिंग से होने वाले धन की रोकथाम पर केंद्रित हैं। हालाँकि, भारत के PMLA ने समय-समय पर संशोधनों के माध्यम से एक अलग चरित्र प्राप्त कर लिया।
  • नोट:
    • PMLA को भारत की संसद द्वारा अनुच्छेद 253 के तहत अधिनियमित किया गया था जो इसे अंतर्राष्ट्रीय अभिसमयों को लागू करने के लिये कानून बनाने का अधिकार देता है।
    • यह अनुच्छेद इंगित करता है कि किसी अंतर्राष्ट्रीय निकाय के किसी भी निर्णय को लागू करने के लिये संसद जो कानून बनाएगी वह उस निर्णय की विषय वस्तु तक ही सीमित होगी।
    • संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची में मद 13 इस बिंदु पर स्पष्ट है।

PMLA, 2002 के संबंध में विभिन्न चिंताएँ:

  • ‘अपराध की आय’ की अत्यंत व्यापक परिभाषा:
    • PMLA के संदर्भ में ‘अपराध की आय’ (proceeds of crime) पद की व्याख्या के संबंध में बहस छिड़ गई है। कुछ लोगों का तर्क है कि परिभाषा अत्यधिक व्यापक है और इसमें वैध वित्तीय लेनदेन को भी संलग्न कर लेने की क्षमता है, जिससे इसके दुरुपयोग की स्थिति बन सकती है।
    • मनी लॉन्ड्रिंग पर कानून अपराध से प्राप्त उस आय के इर्द-गिर्द घूमता है जिसका शोधन किया जाता है। न केवल अपराध और अपराध से आय के सृजन में सीधे तौर पर शामिल व्यक्ति, बल्कि ऐसे व्यक्ति भी, जिनका अपराध से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन बाद के चरण में उनकी लॉन्ड्रिंग प्रक्रिया में कुछ भागीदारी रही, इस कानून के तहत दोषी हैं।
  • अपराधों की बड़ी संख्या:
    • PMLA का सबसे गंभीर पहलू यह है कि इसमें बड़ी संख्या में ऐसे अपराध शामिल किये गए हैं जिनका इस कानून के मूल उद्देश्य, यानी ड्रग मनी की लॉन्ड्रिंग से मुकाबला करना, से कोई लेना-देना नहीं है।
    • संयुक्त राष्ट्र के जिस प्रस्ताव के आधार पर भारत में लॉन्ड्रिंग पर कानून बनाया गया था, उसमें केवल ड्रग मनी की लॉन्ड्रिंग के अपराध के बारे में बात की गई थी। इसे सबसे गंभीर आर्थिक अपराध माना गया था, जिसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने और राष्ट्रों की संप्रभुता को खतरे में डालने की क्षमता थी।
  • साक्ष्य का भार अभियुक्त पर:
    • साक्ष्य के भार (Burden of Proof) के संबंध में आलोचकों का कहना है कि यह PMLA के तहत अभियुक्तों के लिये अनुचित रूप से बोझिल है। साक्ष्य का भार अभियुक्त पर डालने से कई बार निष्पक्ष विचारण (fair trial) सुनिश्चित करने में चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • अधिकारियों का अतिरेक या अत्यधिक हस्तक्षेप:
    • तर्क दिया गया है कि यह विधान अधिकारियों को अत्यधिक शक्तियाँ प्रदान कर सकता है, जिससे संभावित रूप से इसके दुरुपयोग और अतिरेक (overreach) की स्थिति बन सकती है। कानून प्रवर्तन को सशक्त बनाने और व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा करने के बीच संतुलन रखना एक सूक्ष्म चुनौती प्रस्तुत करता है।
  • जमानत की कठोर शर्तें:
    • भारत में PMLA मनी लॉन्ड्रिंग अपराधों के आरोपी व्यक्तियों पर कठोर जमानत शर्तें लागू करने की अनुमति देता है।
    • एंग्लो-सैक्सन न्यायशास्त्र का एक बुनियादी सिद्धांत यह है कि किसी व्यक्ति को दोषी साबित होने तक निर्दोष माना जाए। PMLA इस सिद्धांत को पूरी तरह पलट देता है।
    • किसी आरोपी को अदालतों के पूरे पदानुक्रम द्वारा जमानत से वंचित कर दिया जाएगा क्योंकि PMLA की धारा 45 में निहित जमानत प्रावधान कहता है कि एक न्यायाधीश केवल तभी जमानत दे सकता है जब वह संतुष्ट हो कि आरोपी निर्दोष है।
  • गिरफ़्तारी के आधार की लिखित सूचना के बिना व्यक्ति की गिरफ़्तारी:
    • संविधान के अनुच्छेद 22(1) और PMLA की धारा 19(1) का उल्लंघन करते हुए गिरफ़्तारी के लिये केवल मौखिक संचार पर निर्भर रहना अपर्याप्त माना जाता है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों ने एक उल्लेखनीय अवधि के लिये लगातार इन प्रावधानों का उल्लंघन किया है।

PMLA, 2002 में सुधार के लिये किन सुझावों को लागू करने की आवश्यकता है?

  • ‘अपराध की आय’ की परिभाषा का परिशोधन:
    • वित्तीय संचालन को बाधित कर सकने वाली संभावित अस्पष्टता को कम करने के लिये PMLA में ‘अपराध की आय’ की अधिक सटीक परिभाषा प्रस्तुत की जाए।
    • अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप एक स्पष्ट, व्यापक परिभाषा का मसौदा तैयार करने के लिये कानूनी विशेषज्ञों, वित्तीय संस्थानों और संबंधित हितधारकों से इनपुट ग्रहण किये जाएँ।
  • साक्ष्य के भार का पुनर्मूल्यांकन करना:
    • अभियुक्त पर साक्ष्य के भार का मूल्यांकन किया जाए, विशेष रूप से अन्य अभियुक्तों या व्यक्तियों के बयानों पर निर्भरता के संबंध में।
    • साक्ष्य का एक उचित भार सुनिश्चित करने पर विचार करें जो संविधान द्वारा गारंटीकृत मूल अधिकारों की सुरक्षा करते हुए निष्पक्ष विचारण की आवश्यकता को संतुलित करे।
    • अभियोजन पक्ष और अभियुक्त के बीच साक्ष्य के भार के अधिक न्यायसंगत वितरण के लिये आवश्यक संशोधनों पर विचार करें।
  • अधिकारियों के अतिरेक के विरुद्ध सुरक्षा उपाय:
    • अधिकारियों द्वारा संभावित अतिरेक को रोकने के लिये, विशेष रूप से राजनीतिक विरोधियों से जुड़े मामलों में, अतिरिक्त नियंत्रण एवं संतुलन लागू करें।
    • व्यक्तिगत अधिकारों और निजता की रक्षा के लिये जाँच के तरीकों के बारे में स्पष्ट दिशानिर्देश और प्रोटोकॉल स्थापित करें; कानूनी रूप से उचित संपत्ति जब्ती और उचित प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करें।
    • मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में कानून प्रवर्तन अधिकारियों के कार्यों की समीक्षा एवं निगरानी के लिये एक स्वतंत्र निरीक्षण तंत्र स्थापित करें।
  • जमानत की कठोर शर्तों की समीक्षा करना:
    • जमानत की कठोर शर्तों की आवश्यकता और आरोपी व्यक्तियों पर इसके प्रभाव का आकलन करने के लिये, विशेष रूप से PMLA की धारा 45 के तहत, इसकी व्यापक समीक्षा करें।
    • कथित पूर्वाग्रह या अनुचित कठिनाई को दूर करते हुए, मनी लॉन्ड्रिंग मामलों के लिये जमानत प्रक्रियाओं को अन्य वित्तीय अपराधों पर लागू होने वाली प्रक्रियाओं के साथ संरेखित करने पर विचार करें।
    • जाँच की सत्यनिष्ठा से समझौता किये बिना जमानत निर्णय प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के विकल्पों की तलाश करें।
  • PMLA की आवधिक समीक्षा और संशोधन:
    • PMLA की प्रभावशीलता और प्रासंगिकता का आकलन करने, उभरती चुनौतियों का समाधान करने और अंतर्राष्ट्रीय मानकों को विकसित करने के लिये एक आवधिक समीक्षा तंत्र स्थापित करें।
    • कानूनी विशेषज्ञों, विधि निर्माताओं और वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए PMLA में संभावित संशोधनों पर संसदीय चर्चा एवं बहस को प्रोत्साहित करें।
  • ED की स्वतंत्रता और पारदर्शिता में वृद्धि करना:
    • प्रवर्तन निदेशालय (ED) की स्वतंत्रता को सुदृढ़ किया जाए, जहाँ सुनिश्चित किया जाए कि उसकी कार्रवाइयाँ राजनीतिक प्रभाव से मुक्त हों।
    • ED के कार्यकरण में (नियमित रिपोर्टिंग एवं प्रबंधित मामलों का खुलासा करने, दोषसिद्धि सुनिश्चित करने और कार्रवाई करने सहित) पारदर्शिता बढ़ाने के उपाय पेश करें।
  • जन जागरूकता और शिक्षा:
    • PMLA के उद्देश्य, प्रक्रियाओं और निहितार्थों के बारे में नागरिकों को शिक्षित करने के लिये जन जागरूकता अभियान चलाये जाएँ।
    • व्यक्तिगत अधिकारों एवं कानूनी सुरक्षा उपायों की समझ को बढ़ावा दिया जाए; कानून प्रवर्तन एजेंसियों एवं जनता के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया जाए।
  • परामर्शी दृष्टिकोण:
    • नीति निर्माण प्रक्रिया में परामर्शात्मक एवं समावेशी दृष्टिकोण अपनाया जाए, जहाँ कानून विशेषज्ञों, नागरिक समाज संगठनों, वित्तीय संस्थानों और आम लोगों से इनपुट ग्रहण किया जाए।
    • चिंताओं को संबोधित करने और प्रस्तावित सुधारों पर विविध दृष्टिकोण प्राप्त करने के लिये खुले संवाद एवं परामर्श में संलग्न हों। सुधारों के कार्यान्वयन की सतत निगरानी एवं मूल्यांकन के लिये तंत्र स्थापित किये जाएँ।
    • वैश्विक मानकों पर अद्यतन बने रहने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय रूप से भागीदारी करें और मनी लॉन्ड्रिंग के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को आकार देने में योगदान करें।

निष्कर्ष:

PMLA के अधीन मामलों में जमानत के लिये वर्तमान न्यायिक दृष्टिकोण अत्यधिक तकनीकी प्रतीत होता है। न्यायमूर्ति वी.आर. कृष्णा अय्यर ने वर्ष 1978 में गुडिकंती नरसिम्हुलु मामले में व्यक्तिगत स्वतंत्रता के महत्त्व पर बल दिया था और कहा था कि जमानत से इनकार करना अनुच्छेद 21 के तहत एक गंभीर न्यायिक उत्तरदायित्व है, जिसके लिये व्यक्ति और समाज पर इसके प्रभाव पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। समय के साथ विभिन्न संशोधनों ने ड्रग मनी लॉन्ड्रिंग से परे के अपराधों को शामिल करने के लिये PMLA के दायरे का विस्तार किया है, जिससे इसके मूल इरादे के बारे में चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं। PMLA का विकास मनी लॉन्ड्रिंग को संबोधित करने में जारी चुनौतियों को रेखांकित करता है और वित्तीय अपराध से निपटने तथा कानूनी प्रणालियों के भीतर निष्पक्षता एवं न्याय के सिद्धांतों की सुरक्षा करने के बीच संतुलन पाने के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।

अभ्यास प्रश्न: हाल के संशोधनों और चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने में विधायी ढाँचे की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइए। (2021)


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