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भारतीय अर्थव्यवस्था

मौद्रिक नीति समिति के निर्णय: RBI

  • 11 Oct 2023
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मौद्रिक नीति समिति के निर्णय, भारतीय रिज़र्व बैंक, रेपो दर, सकल घरेलू उत्पाद, मुद्रास्फीति, खुला बाज़ार परिचालन

मेन्स के लिये:

मौद्रिक नीति समिति के निर्णय: RBI, भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना निर्माण से संबंधित मुद्दे, संसाधन जुटाना, वृद्धि, विकास और रोज़गार, समावेशी विकास और इससे उत्पन्न होने वाले मुद्दे, सरकारी बजटिंग

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लगातार चौथी बार बेंचमार्क ब्याज दरों में बिना बदलाव किये हुए उसे बनाए रखा है।

  • मौद्रिक नीति समिति ने 6.50% रेपो दर को बरकरार रखा।

मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के प्रमुख बिंदु:

  • अपरिवर्तित रेपो रेट: 
    • RBI ने सर्वसम्मति से आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति नियंत्रण को संतुलित करने के लिये नीतिगत रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया।
  • सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि और मुद्रास्फीति: 
    • RBI ने वर्ष 2023-24 के लिये अपने वास्तविक GDP विकास पूर्वानुमान को 6.5% पर और चालू वित्त वर्ष 24 के लिये औसत CPI मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को 5.4% पर अपरिवर्तित रखा है।
      • हालाँकि MPC ने दूसरी तिमाही के लिये अपना मुख्य मुद्रास्फीति अनुमान बढ़ाकर 6.4% कर दिया है।
    • RBI गवर्नर ने 4% मुद्रास्फीति लक्ष्य के प्रति वचनबद्धता पर बल दिया तथा खाद्य और ईंधन की कीमतों में व्यवधान से उत्पन्न होने वाले अंतर्निहित मुद्रास्फीति के प्रभाव से बचने के लिये समय पर कार्रवाई करने हेतु तैयार रहने के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
  • तरलता प्रबंधन और वित्तीय स्थिरता:
    • बैंकिंग प्रणाली की तरलता को मौद्रिक नीति के रुख के अनुसार सक्रिय रूप से प्रबंधित किया जाएगा।
    • RBI आवश्यकतानुसार ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) का प्रयोग करेगा। मूल्य स्थिरता और विकास के लिये वित्तीय स्थिरता आवश्यक है।
  • बुलेट रिपेमेंट योजना के तहत गोल्ड लोन:
    • RBI ने शहरी सहकारी बैंकों के लिये बुलेट रिपेमेंट योजना (BRS) के तहत गोल्ड लोन की ऋण सीमा को दोगुना कर 4 लाख रुपए करने की घोषणा की।
    • यह निर्णय उन शहरी सहकारी बैंकों (UCB) से संबंधित है जिन्होंने 31 मार्च, 2023 तक प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (PSL) के तहत समग्र लक्ष्य और उप-लक्ष्य पूरा कर लिया है।
      • BRS ऐसी योजना जिसमें एक कर्ज़दार ऋण अवधि के दौरान ऋण अदायगी की चिंता किये बिना ऋण अवधि के अंत में ब्याज़ और मूल राशि का भुगतान करता है।
  • समायोजनकारी रुख:
    • भारतीय रिज़र्व बैंक ने सभी मुद्रास्फीति संबंधी खतरे टल जाने तक "समायोजन वापस लेने" की अपनी नीति पर ज़ोर दिया है।
      • समायोजनकारी रुख केंद्रीय बैंक द्वारा आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये मुद्रा पूर्ति का विस्तार करने की उसकी तत्परता को दर्शाता है। 
    • समायोजन को वापस लेने का अर्थ अर्थव्यवस्था तंत्र में मुद्रा पूर्ति को नियंत्रित करना है जिससे मुद्रास्फीति की रोक थाम में सहायता मिलेगी।

बेंचमार्क दरें अपरिवर्तित रखने के कारण: 

  • स्थिति स्थापक आर्थिक गतिविधि:
    • भारतीय अर्थव्यवस्था ने विभिन्न कारकों से उत्पन्न अनिश्चितताओं और चुनौतियों के बावजूद अपने स्थिति स्थापन का प्रदर्शन किया है।
    • इसके चलते बेंचमार्क दरों को बनाए रखने का निर्णय लिया गया, जो अर्थव्यवस्था द्वारा संभावित जोखिम का सामना करने की इसकी क्षमता को दर्शाता है।
  • पिछली नीतिगत रेपो दर में बढ़ोतरी:
    • MPC ने पिछली नीतिगत रेपो दर में कुल 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की।
    • इन दरों में बढ़ोतरी के प्रभावों से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये समिति ने वर्तमान बैठक में दरों को स्थिर रखने का विकल्प चुना
      • MPC ने स्वीकार किया कि पिछली नीतिगत रेपो दर में बढ़ोतरी अभी भी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने की प्रक्रिया में है। 
  • मुद्रास्फीति जोखिम प्रबंधन:
    • MPC संधारणीय आधार पर मुद्रास्फीति को 4% लक्ष्य के साथ बनाए रखने के लिये प्रतिबद्ध है।
    • इसके अतिरिक्त, दरों को तुरंत समायोजित किये बिना इस लक्ष्य को पूरा करने के लिये, वर्तमान नीतिगत रुख की आवश्यकता है।
    • MPC ने हेडलाइन इन्फ्लेशन को प्रभावित करने वाले खाद्य मूल्य के जोखिमों की संभावित पुनरावृत्ति के बारे में चिंता व्यक्त की।
      • दरों को अपरिवर्तित रखना इस स्थिति पर बारीकी से नज़र रखने और मुद्रास्फीति दबाव बढ़ने की स्थिति में तुरंत कार्रवाई करने के लिये तत्पर रहने हेतु एक एहतियाती उपाय हो सकता है।

MPC बैठक में RBI द्वारा व्यक्त चिंताएँ:

  • उच्च मुद्रास्फीति:
    • RBI, उच्च मुद्रास्फीति को व्यापक आर्थिक स्थिरता और सतत् विकास दोनों के लिये एक बड़ा जोखिम मानता है।
    • मुख्य मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन घटकों को छोड़कर) में गिरावट के बावजूद, अनिश्चितताओं ने समग्र मुद्रास्फीति दृष्टिकोण को धूमिल कर दिया है।
    • आवश्यक फसलों के लिये खरीफ फसलों की बुआई में कमी, जलाशय स्तर में गिरावट और वैश्विक खाद्य तथा ऊर्जा की कीमतों में उतार-चढ़ाव जैसे कारक इस अनिश्चितता में योगदान करते हैं।
  • भू-राजनीतिक और आर्थिक जोखिम:
    • RBI ने भू-राजनीतिक तनाव, भू-आर्थिक विखंडन, वैश्विक वित्तीय बाज़ारों में अस्थिरता और वैश्विक आर्थिक मंदी सहित विभिन्न प्रतिकूलताओं को चिह्नित किया।
    • ये बाह्य कारक आर्थिक दृष्टिकोण के लिये जोखिम उत्पन्न करते हैं, इन पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।
  • वित्तीय स्थिरता और निगरानी:
    • RBI ने वित्तीय स्थिरता के महत्त्व को रेखांकित करते हुए इसे मूल्य स्थिरता और विकास के लिये मौलिक बताया। वित्तीय क्षेत्र की मज़बूत बैलेंस शीट को स्वीकार किया गया, लेकिन विशेष रूप से व्यक्तिगत ऋणों में वृद्धि के संबंध में सतर्कता तथा मज़बूत आंतरिक निगरानी तंत्र स्थापित करने की सलाह दी गई।

नोट:

  • CRR: नकद आरक्षित अनुपात, शुद्ध मांग और सावधि देनदारियों का एक प्रतिशत, बैंकों को तरलता को नियंत्रित करने के लिये केंद्रीय बैंक (RBI) के पास रखना चाहिये।
    • वृद्धिशील CRR: अतिरिक्त तरलता का प्रबंधन एवं अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिये RBI द्वारा बैंकों की CRR को अधिक करने आवश्यकता है।
  • रेपो दर: यह वाणिज्यिक बैंकों हेतु अल्पकालिक ऋण के लिये RBI द्वारा निर्धारित ब्याज दर है। यह मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने एवं आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिये प्रयोग किया जाने वाला एक उपकरण है।
  • मुद्रास्फीति: यह एक समयावधि में किसी अर्थव्यवस्था में वस्तुओं एवं सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर में निरंतर वृद्धि को संदर्भित करता है, जिससे रुपए की क्रय शक्ति में कमी आती है।
    • हेडलाइन मुद्रास्फीति: यह उस अवधि के लिये कुल मुद्रास्फीति है, जिसमें वस्तुओं की एक टोकरी शामिल होती है।
      • खाद्य और ईंधन मुद्रास्फीति भारत में हेडलाइन मुद्रास्फीति के घटकों में से एक है।
    • कोर मुद्रास्फीति: हेडलाइन मुद्रास्फीति उस अवधि के लिये कुल मुद्रास्फीति है, जिसमें वस्तुओं का एक बास्केट शामिल है। इन अस्थिर वस्तुओं में मुख्य रूप से भोजन और पेय पदार्थ (सब्जियों सहित) तथा ईंधन एवं प्रकाश (कच्चा तेल) सम्मिलित हैं।
      • कोर मुद्रास्फीति = हेडलाइन मुद्रास्फीति - (खाद्य और ईंधन) मुद्रास्फीति।
  •  मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण: यह एक मौद्रिक नीति संरचना है जिसका उद्देश्य मुद्रास्फीति के लिये एक विशिष्ट लक्ष्य सीमा बनाए रखना है।
    • उर्जित पटेल समिति ने मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के उपाय के रूप में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) की सिफारिश की।
      • वर्तमान मुद्रास्फीति लक्ष्य भी 4% की लक्ष्य मुद्रास्फीति दर स्थापित करने की समिति की सिफारिश के साथ संरेखित है, जिसमें विचलन की स्वीकार्य सीमा ± 2% है।
      • केंद्र सरकार, RBI के परामर्श से खुदरा मुद्रास्फीति के लिये मुद्रास्फीति लक्ष्य तथा उच्च और निम्न छूट का स्तर निर्धारित करती है।
  • तरलता से तात्पर्य उस सुविधा से है जिसके साथ किसी परिसंपत्ति या सिक्योरिटी को उसकी कीमत पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाले बिना बाज़ार में सरलता से खरीदा या बेचा जा सकता है।
    • यह वित्तीय दायित्वों को पूरा करने अथवा निवेश करने के लिये रोकड़ या तरल संपत्ति की उपलब्धता को दर्शाता है। सरल शब्दों में तरलता का अर्थ है- जब भी आपको ज़रूरत हो अपना पैसा प्राप्त करना।

मौद्रिक नीति समिति (MPC): सरलीकृत

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न.  मौद्रिक नीति समिति (मोनेटरी पालिसी कमिटी/MPC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2017)

1. यह RBI की मानक (बेंचमार्क) ब्याज दरों का निर्धारण करती है।
2. यह एक 12 सदस्यीय निकाय है जिसमें RBI का गवर्नर शामिल है तथा प्रत्येक वर्ष इसका पुनर्गठन किया जाता है।
3. यह केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में कार्य करती है।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2 
(c) केवल 3
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (a)


प्रश्न. यदि आर.बी.आई. प्रसारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण करने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)

1. वैधानिक तरलता अनुपात को घटाकर उसे अनुकूलित करना 
2. सीमांत स्थायी सुविधा दर को बढ़ाना 
3. बैंक दर को घटाना और रेपो दर को भी घटाना

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. क्या आप इस मत से सहमत हैं कि सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की स्थायी संवृद्धि तथा निम्न मुद्रास्फीति के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण दीजिये। (2019)

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