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डेली न्यूज़

  • 28 Dec, 2018
  • 29 min read
शासन व्यवस्था

आकांक्षी ज़िलों की दूसरी डेल्‍टा रैंकिंग

चर्चा में क्यों?


नीति आयोग (National Institution for Transforming India- NITI Aayog) ने जून से लेकर अक्तूबर, 2018 तक के महीनों के दौरान बेहतर प्रदर्शन के आधार पर आकांक्षी ज़िलों (Aspirational Districts) की दूसरी रैंकिंग जारी की है।

प्रमुख बिंदु

  • इस रैंकिंग में पहली बार ‘परिवारों के बीच कराए गए सर्वेक्षणों’ के सत्‍यापित आँकड़े शामिल किये गए हैं। ये सर्वेक्षण नीति आयोग के ज्ञान साझेदारों जैसे कि टाटा ट्रस्‍ट्स (TATA Trusts) और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill & Melinda Gates Foundation) द्वारा कराए गए हैं।
  • जून माह के दौरान सभी आकांक्षी ज़िलों में कराए गए इन सर्वेक्षणों के तहत 1,00,000 से भी अधिक परिवारों को कवर किया गया।
  • ज़िलों को श्रेणीबद्ध करने का काम चैंपियंस ऑफ चेंज (Champions of the Change) डैशबोर्ड के ज़रिये सार्वजनिक रूप से उपलब्‍ध आँकड़ों पर आधारित है, जिसमें वास्‍तविक समय के आधार पर ज़िला स्‍तर के आँकड़े शामिल किये गए हैं।

Ranking

जिन ज़िलों ने जून 2018 से अक्तूबर 2018 के बीच बड़ी पहल करते हुए अपनी रैंकिंग में गुणात्मक छलांग लगाई है उन्हें फास्ट मूवर्स (Fast Movers) की संज्ञा दी गई है, जो इस प्रकार है-

Ranking1डेल्टा रैंकिंग की शुरुआत

  • नीति आयोग ने आकांक्षी ज़िलों की पहली डेल्टा रैंकिंग जून 2018 में जारी की थी जिसमें 31 मार्च, 2018 से 31 मई, 2018 के बीच नीति आयोग द्वारा स्वयं दर्ज किये गए आँकड़ों के आधार पर रैंकिंग की गई थी।
  • यह रैंकिंग आकांक्षी ज़िलों में स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, वित्तीय समावेशन, कौशल विकास तथा बुनियादी अवसंरचना जैसे विकासात्मक क्षेत्रों में वृद्धिशील प्रगति दर्शाने के लिये शुरू की गई थी।

आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम

  • आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम की शुरूआत 5 जनवरी, 2018 को हुई थी।
  • इसका उद्देश्‍य उन ज़िलों में तेज़ी से बदलावा लाना है, जिन्‍होंने प्रमुख सामाजिक क्षेत्रों में तुलनात्‍मक रूप से कम प्रगति की है और वे अल्‍पविकसित ज़िलों के रूप में उभरकर सामने आए हैं, जिसके कारण वे संतुलित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करने की राह में चुनौती बने हुए हैं।

स्रोत : पी.आई.बी


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

वर्चुअल रियलिटी थ्रीडी मॉडल

चर्चा में क्यों?


हाल ही में ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने कैंसर से मुकाबले में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। वैज्ञानिकों ने कैंसर का वर्चुअल रियलिटी थ्रीडी मॉडल (Virtual Reality 3D model) तैयार किया है जिससे कैंसर के इलाज में मदद मिल सकेगी।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • मरीज़ से लिये गए ट्यूमर के नमूने के वर्चुअल रियलिटी थ्रीडी मॉडल का उपयोग करते हुए इसका विस्तृत अध्ययन किया जा सकेगा। इस मॉडल की सहायता से छोटी-से-छोटी कोशिका का भी चित्रण करना संभव हो सकेगा।
  • शोधकर्त्ताओं का कहना है कि यह मॉडल कैंसर के प्रति हमारी समझ को बढ़ाएगा और नए उपचारों की खोज में मददगार साबित होगा।

Cancer

शोध का तरीका

  • कैंसर रिसर्च यूके कैंब्रिज इंस्टीट्यूट (CRUK) के शोधकर्त्ताओं ने इस अध्ययन में स्तन कैंसर से पीड़ित एक रोगी के ट्यूमर से 1 मिलीमीटर घनाकार नमूना लिया।
  • इस 1 मिलीमीटर घनाकार नमूने को पतले टुकड़ों में काटकर स्कैन करते हुए उन पर निशान लगाया गया, जिससे उनकी आण्विक संरचना और DNA गुणधर्मों को पहचाना जा सके।
  • तत्पश्चात् वर्चुअल रियलिटी का प्रयोग करते हुए इन नमूने का पुर्ननिर्माण किया गया। अब इस 3 डी ट्यूमर नमूने का किसी भी वर्चुअल रियलिटी प्रयोगशाला के भीतर विश्लेषण किया जा सकता है।
  • यह वर्चुअल रियलिटी प्रणाली दुनिया के किसी भी कोने से उपयोगकर्त्ताओं को ट्यूमर की जाँच करने की सुविधा प्रदान करती है।

स्रोत- बीबीसी (BBC)


भारतीय अर्थव्यवस्था

करेंसी बैन के बाद नेपाल ने खर्च सीमा भी निर्धारित की

चर्चा में क्यों?


नेपाल राष्ट्र बैंक ने भारत में अपने नागरिकों द्वारा खर्च की जाने वाली भारतीय मुद्रा की मात्रा सीमित कर दी है। अब नेपाल का कोई भी नागरिक भारत में प्रतिमाह एक लाख रुपए से अधिक खर्च नहीं कर सकेगा। भारत में वस्तुओं और सेवाओं के लिये भुगतान करते समय भी यह सीमा लागू होगी। नेपाल ने यह निर्णय अपने चालू खाता घाटे (Current Account Deficit) को कम करने के लिये लिया है। लेकिन अधिकांश अर्थशास्त्रियों के अनुसार, नेपाल ने यह अभूतपूर्व कदम भारतीय मुद्रा के साथ हाल के कटु अनुभवों के बाद उठाया है, जिसमें विमुद्रीकरण की प्रक्रिया भी शामिल थी।

  • व्यक्तिगत खर्च को सीमित करने का निर्णय नेपाल द्वारा 100 रुपए से अधिक मूल्य वर्ग वाली भारतीय करेंसी पर प्रतिबंध लगाने के दो सप्ताह बाद आया है।
  • नेपाली बैंकों के प्रीपेड, क्रेडिट और डेबिट कार्डों पर यह सीमा तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है।
  • भारत में अस्पतालों में इलाज और दवाओं पर आने वाले खर्च को इस सीमा से मुक्त रखा गया है।

विमुद्रीकरण से नेपाल भी हुआ था प्रभावित

  • भारत के विमुद्रीकरण से नेपाल भी बुरी तरह प्रभावित हुआ था और इसे लेकर वहाँ एक नकारात्मक भावना उत्पन्न हुई है।
  • इसके मद्देनज़र अपनी मुद्रा पर ज़ोर देते हुए नेपाल ने भविष्य में किसी भी ऐसे भारतीय कदम के खिलाफ खुद को सुरक्षित करने के लिये ऐसा किया है।
  • नेपाल द्वारा भारत से कोई सलाह-मशविरा किये बिना ऐसा करने से देशवासियों के बीच यह संदेश गया है कि वह अपनी मुद्रा को नियंत्रित करने में स्वयं सक्षम है।

नेपाल लगा चुका है भारत की नई करेंसी पर बैन

currency

  • इसी महीने में नेपाल ने अपने यहाँ भारत की नई (विमुद्रीकरण के बाद जारी हुई) करेंसी के चलन पर रोक लगा दी। नेपाल सरकार ने 100 रुपये से अधिक मूल्य के भारतीय नोटों के लेन-देन पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी।
  • नेपाल सरकार ने लोगों से कहा है कि वे 100 रुपए से अधिक मूल्य यानी 200, 500 और 2000 रुपए के नोटों को न रखें।
  • केवल 100 रुपए के भारतीय नोट को ही नेपाल में कारोबार एवं अन्य चीजों के लिये स्वीकार किया जाएगा।
  • इससे पहले भारत में जारी हुए 200, 500 और 2000 रुपए के भारतीय नोटों को नेपाल सरकार ने मान्यता तो नहीं दी थी, लेकिन इसे गैर-कानूनी भी घोषित नहीं किया था।
  • अब भारतीयों को नेपाल में 100-50 या अन्य छोटे नोट ले जाने होंगे या बॉर्डर पर ही नए भारतीय नोटों को नेपाल की करेंसी से बदलना होगा।
  • नेपाल में भारतीय नोटों को आसानी से स्वीकार किया जाता है। नेपाली नागरिक भी अपनी बचत, लेन-देन और कारोबार के लिये भारतीय मुद्रा का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करते हैं।

क्या है नेपाल राष्ट्र बैंक का कहना?

  • नेपाल ने अपने यहाँ आर्थिक अपराधों और हवाला कारोबार पर रोक लगाने का उल्लेख करते हुए यह कार्रवाई की है।
  • नेपाल राष्‍ट्र बैंक के अनुसार, जब तक रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया फॉरेन एक्‍सचेंज मैनेजमेंट एक्‍ट के तहत नई अधिसूचना जारी नहीं करता, नए भारतीय नोट एक्‍सचेंज नहीं किये जा सकते।
  • रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ नेपाल राष्‍ट्र बैंक के वर्तमान समझौते के अनुसार, कोई नेपाली नागरिक 25 हज़ार रुपए तक 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों में रख सकता है।
  • नेपाल में बड़े पैमाने पर भारतीय करेंसी का इस्‍तेमाल होता है। ऐसे में बड़ी संख्या में नेपाल के लोगों को 500 व 1000 रुपए के पुराने नोट बदलवाने में अब भी परेशानी हो रही है।
  • नेपाल राष्‍ट्र बैंक ने भारतीय करेंसी के पुराने नोटों को एक्‍सचेंज करने के लिये दिशा-निर्देश तैयार करने हेतु एक टास्‍क फोर्स बनाई है।

विमुद्रीकरण का क्या हुआ था असर और खर्च की सीमाबंदी का क्या होगा असर?

  • भारत सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को 1000 और 500 रुपए के पुराने नोटों को प्रचलन से बाहर कर दिया था। उसके बाद 2000, 500 और 200 रुपए के नए नोट जारी किये गए। 
  • नोटबंदी से नेपाल और भूटान भी बड़े पैमाने पर प्रभावित हुए थे क्योंकि वहाँ भारतीय मुद्रा का इस्तेमाल आम है।
  • पुरानी भारतीय करेंसी को बदलने की समस्या से नेपाल आज भी जूझ रहा है। पहले नेपाल में 500 और 1000 रूपए की भारतीय करेंसी की अच्छी-खासी संख्या थी। नेपाल में लोगों को पुरानी भारतीय करेंसी बदलने का पर्याप्त मौका नहीं मिला। 
  • नेपाली नागरिकों के खर्च को सीमित करने की वज़ह से भारत में नेपाली उपभोक्ताओं और पर्यटकों के के पास खर्च करने के विकल्प सीमित हो जाएंगे।
  • इस वज़ह से भारत-नेपाल सीमा क्षेत्रों में होने वाला व्यापार भी प्रभावित होगा, जहाँ नेपाली व्यापारी आमतौर पर भारतीय करेंसी में भुगतान करते हैं।
  • अब भारतीयों को नेपाल में 100-50 रुपए या अन्य छोटे नोट ले जाने होंगे या सीमा पर ही नए भारतीय नोटों को नेपाल की करेंसी से बदलना होगा।
  • नेपाल में भारतीय नोटों को आसानी से स्वीकार किया जाता है। नेपाली नागरिक भी अपनी बचत, लेन-देन और कारोबार के लिये भारतीय मुद्रा का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करते हैं।

स्रोत: The Hindu, The Indian Express


शासन व्यवस्था

केंद्र ने बढाई NRC को अपडेट करने की अवधि

चर्चा में क्यों?


असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens-NRC) के नवीनीकरण और सुधार कार्य को पूरा करने की अवधि को केंद्र सरकार ने और छह महीने के लिये बढ़ा दिया है। इसका तात्पर्य यह है कि असम में NRC को अपडेट करने की प्रक्रिया अब 30 जून, 2019 तक पूरी की जा सकेगी।

प्रमुख बिंदु

  • इससे पहले असम में NRC को अपडेट करने के की समयावधि 31 दिसंबर, 2018 तक थी लेकिन भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, निर्धारित समय-सीमा तक असम में निवास करने वाले भारतीय नागरिकों को सूचीबद्ध करने का कार्य पूरा करना संभव नहीं है इसलिये इस समयावधि को और 6 माह के लिये बढ़ाया गया है।
  • असम में NRC की प्रक्रिया को पूरा करने के लिये पहली अधिसूचना 6 दिसंबर, 2013 में जारी की गई थी जिसमें सरकार ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिये तीन साल का समय निर्धारित किया था। लेकिन तब से अब तक सरकार ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिये निर्धारित समयावधि में पाँच बार विस्तार किया है।
  • NRC का मसौदा 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित किया गया था जिसमें कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.9 करोड़ लोगों के नाम को शामिल किया गया था।

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens-NRC)

  • NRC वह रजिस्टर है जिसमें सभी भारतीय नागरिकों का विवरण शामिल है।
  • इसे 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था। रजिस्टर में उस जनगणना के दौरान गणना किये गए सभी व्यक्तियों के विवरण शामिल थे।
  • वर्तमान में इसे अपडेट करने का कार्य किया जा रहा है और इसमें केवल उन्हीं भारतीयों के नाम को शामिल किया जा रहा है जो कि 25 मार्च, 1971 के पहले से असम में रह रहे हैं। उसके बाद राज्य में पहुँचने वालों को बांग्लादेश वापस भेज दिया जाएगा।
  • NRC उन्हीं राज्यों में लागू होती है जहाँ से अन्य देश के नागरिक भारत में प्रवेश करते हैं। NRC की रिपोर्ट ही बताती है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं।

असम में NRC

  • 80 के दशक में अखिल असम छात्र संघ (All Assam Students Union-AASU) ने अवैध तरीके से असम में रहने वाले लोगों की पहचान करने तथा उन्हें वापस भेजने के लिये एक आंदोलन शुरू किया।
  • AASU के छह साल के संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1985 को AASU और दूसरे संगठनों तथा भारत सरकार के बीच एक समझौता हुआ जिसे असम समझौते के नाम से जाना जाता है।
  • इस समझौते के अनुसार, 25 मार्च, 1971 के बाद असम में प्रवेश करने वाले हिंदू- मुसलमानों की पहचान की जानी थी तथा उन्हें राज्य से बाहर किया जाना था।
  • नागरिकों के सत्यापन के लिये यह अनिवार्य किया गया कि केवल उन्हें ही भारतीय नागरिक माना जाएगा जिनके पूर्वजों के नाम 1951 के NRC में या 24 मार्च 1971 तक के किसी वोटर लिस्ट में मौजूद हों।
  • असम में NRC अपडेट को नियंत्रित करने वाले प्रावधान नागरिकता अधिनियम, 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 में दिये गए हैं।

स्रोत : द हिंदू


विविध

सेंट ऑगस्टीन के चर्च के खंडहर

चर्चा में क्यों?


सेंट ऑगस्टीन के आदेश द्वारा 1597 और 1602 के बीच बनाया गया यह चर्च लेडी ऑफ ग्रेस को समर्पित है। 1830 के दशक में पुर्तगाली सरकार की दमनकारी नीतियों के कारण इस चर्च परित्याग कर दिया गया था। इस चर्च के हिस्से लगातार ढहते गए इसलिए अब यह काफी हद तक खंडहर में तब्‍दील हो चुका है। हालाँकि इसके बचे हुए अवशेष अब भी इसकी भव्‍यता की कहानी सुनाते हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • गोवा के पुराने नगर में बना लगभग 46 मीटर ऊँचा सेंट आगस्टीन चर्च अपने आप में बेहद अनोखा हुआ करता था।
  • 1842 में चर्च का मुख्य गुंबद ढह गया, जिसके बाद पूरा ढाँचा धीरे-धीरे में ढह गया।
  • 1931 में आगे के हिस्से के साथ-साथ आधा टॉवर ढह गया, जिसके बचे हुए हिस्से को जिसे आज भी देखा जा सकता है।

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  • 1986 में यूनेस्को ने इस खंडहर को विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया।

चर्च की वास्तु-कला

  • मूल रूप से लेटराइट से बने चार मीनारों और विशाल गुंबद वाला यह भवन पुनर्जागरण युग के महान शाही कैथेड्रल (गिरिजाघर) से मिलते-जुलते हैं।
  • इस चर्च की वेदी में सुंदर बहुरंगी इतालवी टाइलें और लाल तथा नीले चित्रों के अवशेष हैं।

स्रोत- द हिंदू


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (28 December)

  • भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग (Lotay Tshering) भारत के तीन दिवसीय दौरे पर; प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भूटान की पंचवर्षीय विकास योजना सहित अन्य मुद्दों पर हुई चर्चा; द्विपक्षीय संबंधों, लोगों के बीच संपर्क, आर्थिक विकास और जलविद्युत पर सहयोग को लेकर भी हुई बातचीत; पिछले महीने पद संभालने के बाद लोटे शेरिंग की यह पहली विदेश यात्रा
  • केंद्रीय गृह मंत्रालय ने खालिस्तान लिबरेशन फोर्स को आतंकी संगठन घोषित करते हुए उस पर लगाई पाबंदी; NIA की रिपोर्ट के आधार पर गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत लगाया गया यह प्रतिबंध; इससे पहले बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान कमांडो फोर्स, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन किये जा चुके हैं प्रतिबंधित
  • भारतीय रेल यात्रियों का सफर सुरक्षित बनाने के लिये ‘उस्ताद’ (USTAD) नामक रोबोट की मदद लेगा; इसका पूरा नाम Undergear Surveillance Through Artificial Intelligence Assisted Droid है; आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस आधारित यह रोबोट नागपुर रेल मंडल द्वारा बनाया गया है, जो पटरी पर खड़ी ट्रेनों के निचले हिस्से में आई खराबी का पता लगाकर सटीक जानकारी मुहैया कराएगा; इस रोबोट में विशेष प्रकार के इंटेलिजेंस कैमरों का इस्तेमाल किया गया है
  • केंद्र सरकार में सेवारत एकल पिता (Single Father) को भी अब दो बच्चों के देखभाल के लिये दो-दो साल तक की छुट्टी मिल सकेगी; अब तक केवल महिला कर्मचारियों के लिये ही चाइल्ड केयर लीव का प्रावधान था; सातवें वेतन आयोग ने अपनी सिफारिशों में एकल पिता को भी दो साल तक छुट्टी देने के अनुशंसा के थी
  • दूरसंचार नियामक TRAI ने नए केबल टीवी नियमों को 31 जनवरी तक स्थगित किया; TRAI द्वारा DTH ऑपरेटर्स और केबल टीवी के लिये 29 दिसंबर से लागू होना था नया टैरिफ; 130 रुपए+GST का भुगतान करने पर मिलने थे 100 फ्री-टू-एयर चैनल; मनपसंद चैनल चुनने की मिलने वाली थी आज़ादी; किसी भी DTH ऑपरेटर द्वारा एक चैनल के लिये अलग-अलग चार्ज लेने पर लगाई गई थी रोक; एक सांविधिक (Statutory) संस्था है Telecom Regulatory Authority of India यानी TRAI; 20 फरवरी 1997 को हुआ था इसका गठन
  • 27 से 29 दिसंबर तक कर्नाटक के मैसूरु में हो रहा 44वीं राष्ट्रीय समाजशास्त्रीय कॉन्फ्रेंस (National Sociological Conference) का आयोजन; Reconstructing Sociological Discourse in India: Perspectives from the Margins है तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस की थीम
  • देश का पहला स्पाइडर इंटरप्रिटेशन सेंटर अरेकनेरियम जबलपुर में शुरू हुआ; यहाँ मकड़ियों की 150 से अधिक प्रजातियाँ संरक्षित की गई हैं; जबलपुर स्थित ट्रॉपिकल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुमित चक्रवर्ती ने 20 साल की मेहनत से देश के अलग-अलग हिस्सों से इन प्रजातियों को जुटाया; तीन साल के शोध के बाद सेंटर में इनका प्रजनन और सरंक्षण संभव हो पाया है
  • महाराष्ट्र के नंदुरबार ज़िले के सारंगखेड़ा में हुआ चेतक फेस्टिवल का आयोजन; यह देश में घोड़ों के सबसे पुराने मेलों में से एक है; सारंगखेड़ा चेतक फेस्टिवल का यह तीसरा संस्करण है; सारंगखेड़ा कमेटी के साथ मिलकर महाराष्ट्र टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन है करता है इसका आयोजन; पश्चिम भारत की प्रमुख नदी तापी के किनारे लगता है यह मेला
  • अमेरिका के कोलिन ओ’ब्रेडी अंटार्कटिका महाद्वीप को अकेले और बिना किसी की मदद के पार करने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बने; उन्होंने उत्तर से दक्षिण अंटार्कटिका तक 1600 किमी. की दूरी 54 दिन में पार की;  इससे पहले ऐसा प्रयास करने वाले लोग या तो असफल रहे अथवा जीवित लौट कर नहीं आए
  • डेल स्टेन बने दक्षिण अफ्रीका के सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़; तेज़ गेंदबाज़ डेल स्टेन ने पाकिस्तान के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में फखर जमां का विकेट लेने के साथ ही शॉन पोलाक के 421 विकेटों का रिकॉर्ड तोड़ा; अब तक डेल स्टेन ने 89 टेस्ट मैचों में 422 विकेट लिये हैं; चोट के कारण तीन साल तक 27 टेस्ट मैचों में नहीं खेल पाए थे स्टेन

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 28 दिसंबर, 2018

पोक्काली धान (Pokkali Paddy)


जब अगस्त में विनाशकारी बाढ़ ने पूरे केरल (Kerala) में खेतों को जलमग्न कर दिया था उस समय पोक्काली धान की किस्म जो 2 मीटर तक की ऊँचाई तक बढ़ती है, इस जल वृद्धि से अप्रभावित रही।

  • केरल की इस धान की किस्म को GI टैग प्राप्त है।
  • इसकी खेती अलाप्पुझा (Alappuzha), एर्नाकुलम (Ernakulam) और त्रिशूर (Thrissur) ज़िलों के तटीय क्षेत्रों में की जाती है।
  • एकल मौसम वाले इस धान की खेती जून से नवंबर के बीच खारे पानी के खेतों में की जाती है और उसके बाद इन्हीं खेतों में मछली पालन किया जाता है।
  • फसल कटने के बाद खेतों में बचे धान के अवशेष झींगा तथा अन्य छोटी मछलियों के लिए भोजन और आश्रय का काम करते हैं।
  • मछली के मलोत्सर्ग (excreta) और शल्क (Scales) के साथ-साथ धान के विघटित अवशेष अगले सीज़न में पोक्काली धान की खेती के लिये बेहतर प्राकृतिक खाद का काम करते हैं।
  • स्थानीय लोगों का मानना है कि धान की यह किस्म औषधीय गुणों से युक्त है इसलिये कुछ स्थानीय सोसायटियों, सहकारी बैंकों और मनरेगा समूहों ने चावल की इस किस्म की रक्षा के लिये कदम बढ़ाया है।

पावाकूथू कठपुतली कला (Pavakoothu Puppetry)

      • केरल में पारंपरिक पुतली नाटकों को पावाकूथू कहा जाता है।
      • इसका प्रार्दुभाव 18वीं शताब्‍दी में वहाँ के प्रसिद्ध शास्‍त्रीय नृत्‍य-नाटक कथकली के पुतली-नाटकों पर पड़ने वाले प्रभाव के कारण हुआ।
      • पावाकूथू में पुतली की लंबाई एक से दो फीट के बीच होती है। मस्‍तक तथा दोनों हाथ लकड़ी से बना कर एक मोटे कपड़े से जोड़े जाते हैं फिर एक छोटे से थैले के रूप में सिल दिये जाते हैं।
      • परिचालक उस थैली में अपना हाथ डालकर पुतली के मस्‍तक और दोनों भुजाओं का संचालन करता है।
      • पुतली के चेहरे के अंकरण में रंग, चमकीले टीन के टुकड़े तथा मोरपंखों का उपयोग किया जाता है।
      • इस प्रस्‍तुति के समय चेंडा, चेनगिल, इलाथलम वाद्य-यंत्रों तथा शंख का उपयोग किया जाता है।
      • केरल के ये पुतली-नाटक रामायण तथा महाभारत की कथाओं पर आ‍धारित होते हैं।

काजीरंगा में जलपक्षी का बेसलाइन सर्वे (Baseline Survey of Waterfowl in Kaziranga)

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        • हाल ही में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों, विशेष रूप से जलपक्षी (waterfowl) का सर्वेक्षण किया गया।
        • काजीरंगा में विशेष रूप से गेंडा, हाथी, बंगाल टाइगर और एशियाटिक वॉटर बफेलो (Asiatic water buffalo) पर ध्यान दिया जाता रहा है।
        • किसी भी क्षेत्र में पक्षियों की संख्या उस क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति को प्रतिबिंबित करती है। यह बेसलाइन सर्वेक्षण इस क्षेत्र में जलपक्षियों की जनसंख्या की प्रवृत्ति को समझने में मदद करेगा।

सुंदरबन में रिवर डॉल्फिन पर खतरा

          • भारतीय सुंदरबन के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में जल की लवणता में वृद्धि के परिणामस्वरूप गंगा रिवर डॉल्फिन (गंगा सूंस) की आबादी में कमी आई है।
          • यह प्रजाति सुंदरबन के केवल पश्चिमी भाग में बहुत कम संख्या में पाई जाती हैं, जहाँ जल की लवणता कम है।

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          • लवणता में वृद्धि के कारण:

♦ सुंदरबन ऊपरी इलाकों से आने वाले ताज़े जल की अनुपस्थिति
♦ जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री जल-स्तर में वृद्धि

        • सुंदरबन में ताज़े पानी का प्रवाह इन प्रजातियों के निर्वाह के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि उच्च लवणता वाले जल में डूबे रहना डॉल्फिन के लिये मुश्किल हो जाता है।

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