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डेली न्यूज़

  • 29 Dec, 2018
  • 40 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

पॉक्सो (POCSO) अधिनियम, 2012 में संशोधन की मंजूरी

चर्चा में क्यों


हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बच्चों के खिलाफ यौन अपराध संबंधी दंड को अधिक कठोर बनाने हेतु बाल यौन अपराध संरक्षण (Protection of Children from Sexual Offences-POCSO) अधिनियम, 2012 में संशोधन को मंज़ूरी दे दी।

पॉक्सो क्या है?

  • पॉक्सो, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (Protection of Children from Sexual Offences Act – POCSO) का संक्षिप्त नाम है।
  • संभवतः मानसिक आयु के आधार पर इस अधिनियम का वयस्क पीड़ितों तक विस्तार करने के लिये उनकी मानसिक क्षमता के निर्धारण की आवश्यकता होगी।
  • इसके लिये सांविधिक प्रावधानों और नियमों की भी आवश्यकता होगी, जिन्हें विधायिका अकेले ही लागू करने में सक्षम है।
  • पॉक्सो अधिनियम, 2012 को बच्चों के हित और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए बच्चों को यौन अपराध, यौन उत्‍पीड़न तथा पोर्नोग्राफी से संरक्षण प्रदान करने के लिये लागू किया गया था।
  • यह अधिनियम बच्‍चे को 18 वर्ष से कम आयु के व्‍यक्ति के रूप में परिभाषित करता है और बच्‍चे का शारीरिक, भावनात्‍मक, बौद्धिक और सामाजिक विकास सुनिश्चित करने के लिये हर चरण को ज्‍यादा महत्त्व देते हुए बच्‍चे के श्रेष्‍ठ हितों और कल्‍याण का सम्‍मान करता है। इस अधिनियम में लैंगिक भेदभाव (gender discrimination) नहीं है।

संशोधन

  • पॉक्सो अधिनियम, 2012 की धारा- 4, धारा- 5, धारा- 6, धारा- 9, धारा- 14, धारा- 15 और धारा- 42 में संशोधन बाल यौन अपराध के पहलुओं से उचित तरीके से निपटने के लिये किया गया है।
  • ये संशोधन देश में बाल यौन अपराध की बढ़ती हुई प्रवृति को रोकने के लिये कठोर उपाय करने की ज़रूरत के कारण किये जा रहे हैं।
  • बाल यौन अपराध (child sexual abuse) की प्रवृति को रोकने इस अधिनियम की धारा- 4, धारा- 5और धारा- 6 का संशोधन करने का प्रस्‍ताव किया गया है, ताकि बच्चों के साथ होने वाले आक्रामक यौन अपराधों के मामले में मृत्‍युदंड सहित कठोर दंड का विकल्‍प प्रदान किया जा सके।
  • प्राकृतिक संकटों और आपदाओं के समय बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण और आक्रामक यौन अपराध के उद्देश्‍य से बच्चों की जल्‍द यौन परिपक्‍वता (sexual maturity) के लिये बच्चों को किसी भी तरीके से हार्मोन या कोई रासायनिक पदार्थ खिलाने के मामले में इस अधिनियम की धारा- 9 में संशोधन करने का भी प्रस्‍ताव किया गया है।
  • बाल पोर्नोग्राफी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिये पॉक्सो अधिनियम, 2012 की धारा- 14 और धारा- 15 में भी संशोधन का प्रस्‍ताव किया गया है।
  • बच्चों की पोर्नोग्राफिक सामग्री (pornographic material) को नष्‍ट न करने/डिलिट न करने/ रिपोर्ट न करने पर ज़ुर्माना लगाने का प्रस्‍ताव किया गया है। ऐसे व्‍यक्ति को इस प्रकार की सामग्री का प्रसारण/प्रचार/किसी अन्‍य तरीके से प्रबंधन करने के मामले में जेल या ज़ुर्माना या दोनों सजाएँ देने का प्रस्‍ताव किया गया है।
  • न्‍यायालय द्वारा यथा निर्धारित आदेश के अनुसार ऐसी सामग्री को न्‍यायालय में सबूत के रूप में उपयोग करने के लिये रिपोर्टिंग की जा सकेगी।
  • व्‍यापारिक उद्देश्‍य से बच्चों से संबंधित पोर्नोग्राफिक सामग्री का भंडारण किसी भी रूप में करने पर दंड के प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है।

निष्कर्ष


पॉक्सो अधिनियम, 2012 में प्रस्तावित संशोधन बाल यौन अपराध की बढ़ती प्रवृति को रोकने में सहायता कर सकते हैं। हालाँकि, यौन अपराधों के लिये कठोर से कठोर दंड के प्रावधान मौजूद होने के बाद भी तेज़ी से बढ़ते इन अपराधों पर लगाम लगाने में असफल ही रहे हैं। बच्चों की पोर्नोग्राफिक सामग्री को नष्ट न करने/भंडारण करने/अपने पास रखने जैसे अपराधों के लिये दंड का प्रावधान निश्चित ही कारगर साबित हो सकता है। इस संशोधन का उद्देश्‍य यौन अपराध के विभिन्न पहलुओं और दंड के संबंध में स्‍पष्‍टता स्‍थापित करना है।


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

गगनयान कार्यक्रम को मंत्रिमंडल की स्वीकृति

चर्चा में क्यों?


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गगनयान कार्यक्रम (Gaganyaan Programme) को अपनी मंज़ूरी दे दी है।

प्रमुख बिंदु

  • इस कार्यक्रम के तहत भारत तीन सदस्यों वाले दल को कम-से-कम 7 दिनों के लिये अंतरिक्ष में भेजेगा।
  • यदि यह मिशन सफल हुआ तो भारत अंतरिक्ष में मानव को भेजने वाला दुनिया का चौथा देश होगा। इससे पहले यह काम करने वाले देश है- अमेरिका (USA), रूस (Russia) और चीन (China)।
  • इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना के लिये भारत रूस और फ्राँस के साथ पहले ही करार कर चुका है।
  • गगनयान को लॉन्च करने के लिये GSLVMK-3 (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark III) लॉन्च व्हिकल का उपयोग किया जाएगा, जो इस मिशन के लिये आवश्यक पेलोड क्षमता से परिपूर्ण है।
  • गगनयान कार्यक्रम एक राष्ट्रीय प्रयास है और इसमें उद्योग, शिक्षा जगत तथा देशभर में फैली राष्ट्रीय एजेंसियों की भागीदारी होगी।
  • इस अंतरिक्ष यान को 300-400 किलोमीटर की निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में रखा जाएगा।

व्यय

  • इस संपूर्ण कार्यक्रम की लागत 10,000 करोड़ रुपए से कम होगी। इसमें टेक्नोलॉजी विकास लागत, विमान हार्डवेयर प्राप्ति तथा आवश्यक ढाँचागत तत्त्व शामिल हैं।

लाभ:

  • गगनयान कार्यक्रम ISRO, शिक्षा जगत, उद्योग, राष्ट्रीय एजेंसियों तथा अन्य वैज्ञानिक संगठनों के बीच सहयोग के लिये व्यापक ढाँचा तैयार करेगा।
  • इस कार्यक्रम से विभिन्न प्रौद्योगिकी तथा औद्योगिक क्षमताओं को एकत्रित करके शोध अवसरों तथा टेक्नोलॉजी विकास में व्यापक भागीदारी को सक्षम बनाया जाएगा, जिससे बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं शोधकर्त्ता लाभान्वित होंगे।
  • यह औद्योगिक विकास में सुधार तथा युवाओं के लिये प्रेरणास्रोत साबित होगा।
  • इससे सामाजिक लाभ के कार्यों लिये प्रौद्योगिकी के विकास तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में सुधार होगा।
  • मानव अंतरिक्ष यान (Human Spaceflight) क्षमता भारत को दीर्घकालिक राष्ट्रीय लाभों के साथ-साथ भविष्य में वैश्विक अंतरिक्ष खोज कार्यक्रमों (Global space exploration initiatives) में सहयोगी के रूप में भागीदारी के लिये सक्षम बनाएगी।
  • इस कार्यक्रम से रोज़गार सृजन, मानव संसाधन विकास तथा वृद्धि सहित औद्योगिक क्षमताओं के संदर्भ में आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी।

क्रियान्वयन

  • कर्मी प्रशिक्षण, मानव जीवन विज्ञान, प्रौद्योगिकी विकास पहलों के साथ-साथ डिजाइन की समीक्षा में राष्ट्रीय एजेंसियों, प्रयोगशालाओं और शिक्षा जगत की भागीदारी होगी।
  • स्वीकृति की तिथि से 40 महीनों के अंदर पहले मानव चालित विमान (human space flight) प्रदर्शन का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।
  • ISRO ने लॉन्च व्हीकल GSLV MK-III का विकास कार्य पूरा कर लिया है। इसमें पृथ्वी केंद्रित कक्षा (earth orbit) में तीन सदस्य मॉड्यूल लॉन्च करने की आवश्यक भार क्षमता निहित है।
  • ISRO ने प्रौद्योगिकी संपन्न क्रू स्केप सिस्टम (crew escape system) का भी परीक्षण किया है जो मानव अंतरिक्ष विमान के लिये बहुत आवश्यक है।
  • GSLV MK-IIIX मिशन विमान के भाग के रूप में  क्रू मॉड्यूल (Crew Module) का एयरोडायनेमिक चित्रण (aerodynamic characterization) तैयार हो गया है।

orbital vehicle

  • जीवन समर्थन प्रणाली (life support system) तथा अंतरिक्ष पोशाक (Space suit) विकसित करने की क्षमता हासिल कर ली है।
  • इसके अतिरिक्त स्पेस केपसूल रि-एंट्री एक्सपेरिमेंट (Space Capsule Re-entry experiment-SRE) मिशन में कक्षीय (Orbital) तथा पुनः प्रवेश (re-entry) मिशन और पुनःप्राप्ति संचालन (recovery operations) का प्रदर्शन किया जा चुका है।

स्रोत : पी.आई.बी.


शासन व्यवस्था

भारतीय चिकित्‍सा प्रणालियों के लिये राष्‍ट्रीय आयोग (NCIM) विधेयक, 2018

चर्चा में क्यों?


प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय चिकित्‍सा प्रणालियों के लिये राष्‍ट्रीय आयोग विधेयक, 2018 [National Commission for Indian Medical Systems (NCIM) Bill, 2018] के मसौदे को मंज़ूरी दे दी है।

उद्देश्य

  • मौजूदा नियामक भारतीय चिकित्‍सा केंद्रीय परिषद (Central Council for Indian Medicine-CCIM) के स्‍थान पर एक नए निकाय का गठन करना, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
  • एलोपैथी चिकित्‍सा प्रणाली के लिये प्रस्‍तावित राष्‍ट्रीय चिकित्‍सा आयोग (National Medical Commission) की तर्ज पर भारतीय चिकित्‍सा क्षेत्र की चिकित्‍सा शिक्षा में व्‍यापक सुधार लाना।

विशेषताएँ

  • विधेयक के मसौदे में चार स्‍वायत्‍त बोर्डों के साथ एक राष्‍ट्रीय आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। चारों स्वायत्त बोर्ड इस प्रकार होंगे-
  1. आयुर्वेद बोर्ड (Board of Ayurveda) : आयुर्वेद से जुड़ी समग्र शिक्षा के संचालन की जिम्‍मेदारी इस बोर्ड के पास होगी।
  2.  यूनानी, सिद्ध एवं सोवा-रिग्‍पा बोर्ड (Board of Unaini, Siddha and Sowarigpa) : इस बोर्ड के पास यूनानी, सिद्ध एवं सोवा रिग्‍पा से जुड़ी समग्र शिक्षा के संचालन की ज़िम्‍मेदारी होगी।
    ‘सोवा-रिग्पा’ जिसे आमतौर पर दवा की तिब्बती प्रणाली के रूप में जाना जाता है, दुनिया की सबसे प्राचीन, समकालीन और अच्छी तरह लिखित रूप में मौज़ूद चिकित्सा परंपराओं में से एक है।
  3. आकलन एवं रेटिंग बोर्ड (Board of assessment and rating): यह भारतीय चिकित्‍सा प्रणालियों के शैक्षणिक संस्थानों का आकलन करने के साथ-साथ उन्हें मंज़ूरी प्रदान करेगा।
  4. भारतीय चिकित्‍सा प्रणालियों के चिकित्‍सकों का पंजीकरण बोर्ड (Board of ethics and registration of practitioners of Indian systems of medicine) : यह भारतीय राष्ट्रीय चिकित्‍सा आयोग (National Commission for Indian Medicine) के अधीन प्रैक्टिस से जुड़े आचार नी‍ति मुद्दों के साथ-साथ राष्‍ट्रीय रजिस्‍टर (National Register) के रख-रखाव की ज़िम्‍मेदारी संभालेगा।
  • विधेयक के मसौदे में सामान्य प्रवेश परीक्षा और एक ‘एक्ज़िट एक्‍जाम’ (exit exam)का प्रस्‍ताव भी किया गया है जिसमें सभी स्‍नातकों को पास करना अनिवार्य होगा तभी उन्‍हें प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिलेगा।
  • विधेयक में शिक्षक अर्हता परीक्षा (teacher's eligibility test) आयोजित करने का भी प्रस्‍ताव किया गया है, ताकि नियुक्ति एवं पदोन्‍नति से पहले शिक्षकों के ज्ञान के स्‍तर (standard) का आकलन किया जा सके।

लाभ

  • प्रस्तावित नियामक ढाँचे या व्‍यवस्‍था से पारदर्शिता के साथ-साथ आम जनता के हितों के संरक्षण के लिये जवाबदेहिता सुनिश्चित होगी।
  • NCIM देश के सभी हिस्‍सों में किफायती स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की उपलब्‍धता को बढ़ावा देगा।

भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (Central Council for Indian Medicine-CCIM)


यह भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1970 के तहत गठित तथा आयुष मंत्रालय भारत सरकार के अधीन एक सांविधिक निकाय (Statutory body) है।

कार्य

  • भारतीय चिकित्सा पद्धति यथा आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी तिब्ब तथा सोवा रिग्पा में शिक्षा के लिये न्यूनतम मानक तैयार करना और उन्हें लागू करना।
  • भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परीक्षा अधिनियम 1970 के द्वितीय अनुसूची में/से चिकित्सीय अर्हताओं की मान्यता के समावेश/से मान्यता को वापस लिये जाने से संबंधित मामलो पर केंद्रीय सरकार को अनुशंसा भेजना।
  • भारतीय चिकित्सा की केंद्रीय पंजिका का रख-रखाव करना और समय-समय पर उसे परिशोधित करना।
  • भारतीय चिकित्सा के चिकित्साभ्यासियों द्वारा अनुपालन करने के लिये आचरण एवं शिष्टाचार तथा आचार संहिता के मानक तैयार कर उन्हें लागू करना।
  • भारतीय चिकित्सा पद्धति के नए महाविद्यालय स्थापित करने, स्नातकीय एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश क्षमता बढ़ाने एवं नए अथवा स्नातकोतर अतिरिक्त विषयों को प्रारंभ करने हेतु विभिन संस्थानों से प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करना व भारत सरकर को अनुशंसाएँ भेजना।

स्रोत: पी.आई.बी


जैव विविधता और पर्यावरण

तटीय नियमन ज़ोन (CRZ) अधिसूचना, 2018 को मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?


हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तटीय क्षेत्रों में आर्थिक एवं विकास गतिविधियों को पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप नियंत्रित करने हेतु तटीय नियमन ज़ोन (Coastal Regulation Zone-CRZ) अधिसूचना, 2018 को मंज़ूरी दे दी। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस अधिसूचना (Notification) की पिछली समीक्षा वर्ष 2011 में की गई थी और फिर उसी वर्ष इसे जारी भी किया गया था।

पृष्ठभूमि

  • तटीय क्षेत्रों के संरक्षण एवं सुरक्षा के उद्देश्‍य को ध्‍यान में रखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वर्ष 1991 में तटीय नियमन ज़ोन अधिसूचना जारी की थी, जिसे वर्ष 2011 में संशोधित किया गया था।
  • समय-समय पर तटीय नियमन ज़ोन (Coastal Regulation Zone-CRZ) अधिसूचना के अनुच्‍छेदों में संशोधन किये जाते रहे हैं।
  • 2011 के प्रावधानों, विशेष रूप से समुद्री एवं तटीय पारिस्थितिकी के प्रबंधन एवं संरक्षण, तटीय क्षेत्रों के विकास, पारिस्थितिकी पर्यटन, तटीय समुदायों की आजीविका से जुड़े विकल्‍प एवं सतत् विकास इत्‍यादि से संबंधित प्रावधानों की व्‍यापक समीक्षा के लिये पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को प्राप्‍त हुए अनेक ज्ञापनों पर विचार करते हुए CRZ अधिसूचना, 2018 जैसे कदम को उठाया गया है।

तटीय नियमन ज़ोन (CRZ)

  • CRZ को ‘पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986’ के तहत  पर्यावरण और वन मंत्रालय (जिसका नाम अब पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय कर दिया गया है) द्वारा फरवरी-1991 में अधिसूचित किया गया था।
  • इसका मुख्य उद्देश्य देश के संवेदनशील तटीय क्षेत्रों में गतिविधियों को नियमित करना है।
  • तटीय क्षेत्र का हाई टाइड लाइन (HTL) से 500 मीटर तक का क्षेत्र तथा साथ ही खाड़ी, एस्चूरिज,  बैकवॉटर और नदियों के किनारों को CRZ क्षेत्र माना गया है, लेकिन इसमें महासागर को शामिल नहीं किया गया है।
  • इसके अंतर्गत तटीय क्षेत्रों को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा गया है-

1. CRZ - 1


यह कम और उच्च ज्वार लाइन के बीच का  पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र हैं, जो तट के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखता है।

2. CRZ - 2


यह क्षेत्र तट के किनारे तक फैला हुआ होता है।

3. CRZ – 3


इसके अंतर्गत CRZ 1 और 2 के बाहरी ग्रामीण और शहरी क्षेत्र आते हैं। इस क्षेत्र में कृषि से संबंधित कुछ खास गतिविधियों को करने की अनुमति दी गई है।

4. CRZ – 4


यह जलीय क्षेत्र में क्षेत्रीय सीमा (territorial limits) तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र में मत्स्य पालन जैसी गतिविधियों की अनुमति है।

  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने डॉ. शैलेश नायक (पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव) की अध्‍यक्षता में जून 2014 में एक समिति गठित की थी जिसे CRZ अधिसूचना, 2011 में उपयुक्‍त बदलावों की सिफारिश करने के लिये तटीय राज्‍यों/केंद्र शासित प्रदेशों और अन्‍य हितधारकों की चिंताओं के साथ-साथ विभिन्‍न मुद्दों पर भी गौर करने की ज़िम्‍मेदारी सौंपी गई थी।
  • शैलेश नायक समिति ने राज्‍य सरकारों एवं अन्‍य हितधारकों के साथ व्‍यापक सलाह-मशविरा करने के बाद वर्ष 2015 में अपनी सिफारिशें पेश कर दी थीं। अप्रैल, 2018 में एक मसौदा अधिसूचना जारी कर आम जनता से उनके सुझाव आमंत्रित किये गए थे।
  • तटीय क्षेत्रों के सतत् विकास (Sustainable Development) की अनिवार्यता और तटीय परिवेश के संरक्षण की आवश्‍यकता के आधार पर सरकार ने तटीय नियमन ज़ोन अधिसूचना 2018 को मंज़ूरी दी है, जिससे तटीय समुदायों की आकांक्षाएँ पूरी करने और समाज के गरीब एवं कमज़ोर तबकों का कल्‍याण सुनिश्चित करने में काफी मददगार साबित होने की आशा है।

CRZ अधिसूचना, 2018 के लाभ

  • प्रस्‍तावित CRZ अधिसूचना, 2018 से तटीय क्षेत्रों में गतिविधियाँ काफी बढ़ जाएंगी, जिसके परिणामस्‍वरूप आर्थिक विकास की रफ्तार भी तेज़ हो जाएगी।

coast cutter

  • इसके साथ ही तटीय क्षेत्रों के संरक्षण संबंधी सिद्धांतों को भी ध्‍यान में रखा जाएगा। इससे न केवल बड़ी संख्‍या में रोज़गारों का सृजन होगा, बल्कि बेहतर जीवन के साथ-साथ भारत की अर्थव्‍यवस्‍था में मूल्‍यवर्धन भी सुनिश्चित होगा। नई अधिसूचना से तटीय क्षेत्रों की अतिसंवेदनशीलता में कमी आने के साथ-साथ उनका जीर्णोद्धार भी होने की आशा है।

प्रमुख विशेषताएँ:

  1. CRZ क्षेत्रों में वर्तमान मानकों के अनुसार, फ्लोर स्‍पेस इंडेक्‍स (Floor space index-FSI) अथवा फर्श क्षेत्र अनुपात (Floor area ratio-FAR) को अनुमति प्राप्त होगी।
  2. घनी आबादी वाले क्षेत्रों के विकास के लिये ज़्यादा अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।
  3.  बुनियादी सुविधाओं के लिये पर्यटन से जुड़े बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा दिया जाएगा।
  4. CRZ मंज़ूरी की प्रक्रिया सुव्‍यवस्थित की गई है।
  5. सभी द्वीपों के लिये 20 मीटर का ‘कोई विकास नहीं’ ज़ोन (No Development Zone- NDZ)’ निर्दिष्‍ट किया गया है।
  6. पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील माने जाने वाले सभी क्ष्‍ोत्रों को विशेष अहमियत दी गई है।
  7. प्रदूषण में कमी करने पर विशेष रूप से फोकस किया गया है।
  8. रक्षा एवं रणनीतिक परियोजनाओं को आवश्‍यक छूट दी गई है।
  9. घनी आबादी वाले ग्रामीण क्षेत्रों के लिये दो नई श्रेणियाँ, CRZ-3 A और CRZ-3 B निर्धारित की गई हैं।

चिंताएँ

  • इस अधिसूचना ने पर्यावरणीय मंज़ूरी की प्रक्रियाओं को सरल बना दिया है और नाजुक तटवर्ती अंतर्ज्वारिय क्षेत्रों को रियल एस्टेट एजेंटों के लिये खोल देगा।

निष्कर्ष


CRZ अधिसूचना में किये गए बदलावों से किफायती आवास के लिये अतिरिक्‍त अवसर उपलब्ध होंगे। यह अधिसूचना कुछ विशेष तरीके से तैयार की गई है। नई अधिसूचना अधिक गतिविधियों, अधिक बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं और इसके साथ ही पर्यटन के क्षेत्रों में रोजगार का सृजन करने जैसे क्षेत्रों में मददगार साबित होने की संभावना है।

स्रोत- पीआईबी (PIB)


भारतीय अर्थव्यवस्था

केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों (CPSEs) को शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध करने की मंज़ूरी

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs) ने 7 केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों को IPO/FPO के माध्यम से शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध करने के लिये अपनी मंज़ूरी दे दी है।

समिति ने जिन उद्यमों का शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध करने के लिये मंज़ूरी दी है वे हैं-

  1. टेलीकम्युनिकेशन कंसलटेंट्स (इंडिया) लिमिटेड [Telecommunication Consultants (India) Ltd-TCIL]- IPO
  2. रेलटेल कार्पोरेशन इंडिया लिमिटेड (RailTel Corporation India Ltd.) – IPO
  3. नेशनल सीड कार्पोरेशन इंडिया लिमिटेड (National Seed Corporation India Ltd.-NSC) – IPO
  4. टिहरी हाइड्रो डवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (Tehri Hydro Development Corporation Limited-THDC) – IPO
  5. वाटर एंड पावर कंसल्टेंसी सर्विसेस (इंडिया) लिमिटेड [Water & Power Consultancy Services (India) Limited- WAPCOS Ltd.]– IPO   
  6. एफसीआई अरावली जिप्सम एंड मिनिरल्स (इंडिया) लिमिटेड [FCI Aravali Gypsum and Minerals (India) Limited-FAGMIL] -IPO
  7. कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड (Kudremukh Iron Ore Company Limited-KIOCL) – FPO

IPO

लाभ


शेयर बाज़ार की सूची में इऩ केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों के शामिल होने से इनका मूल्य बढ़ेगा और इनमें निवेशकों की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।

अन्य फैसले

  • सूचीबद्ध केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों (भविष्य में सूचीबद्ध किये जाने वाले केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों सहित) की सीमा, निवेश के तरीके, मूल्य निर्धारण, समय आदि के बारे में निर्णय लेने के लिये वित्त मंत्री, सड़क परिवहन एवं नौवहन मंत्री और संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय के मंत्री को शामिल करते हुए एक वैकल्पिक प्रणाली के रूप में अधिकृत किया गया है।
  • केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों को सूची में शामिल करने के लिये पात्रता शर्तों का दायरा बढ़ाया गया है।
  • सकारात्मक सकल संपदा (net asset) और पिछले किसी तीन वित्त वर्षों में सकल मुनाफा अर्जित करने वाला केंद्रीय सार्वजनिक उद्यम शेयर बाज़ार की सूची में शामिल होने के लिये पात्र होगा।

स्रोत : पी.आई.बी


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (29-30 December)

  • केंद्र सरकार ने देश के पहले मानव मिशन ‘गगनयान’ को दी मंज़ूरी; 2022 में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को एक सप्ताह के लिये अंतरिक्ष में भेजने का लिया फैसला; परियोजना के लिये स्वीकृत किये गए 10 हज़ार करोड़ रुपए; GSLV Mk3 से लॉन्च किये जाएंगे रॉकेट, इनमें से दो मानव रहित और एक मानवयुक्त होगा; 2008 में बनी गगनयान योजना पर अब तक कई कारणों से नहीं हो पा रहा था अमल
  • केंद्र सरकार ने POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) कानून, 2012 में संशोधन को दी मंज़ूरी; अब 12 वर्ष तक के बालक के साथ दुष्कर्म का दोषी पाए जाने पर हो सकती है फाँसी तक की सज़ा; 12 वर्ष तक की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के दोषियों के लिये पहले ही से है यह प्रावधान; संशोधित कानून में POCSO कानून की धारा 4, 5, 6, 9,14,15 और 42 में संशोधन करने का प्रस्ताव है
  • भारत-भूटान के राजनयिक संबंधों के स्वर्ण जयंती वर्ष में भूटान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग आए भारत दौरे पर; भारत ने भूटान की पंचवर्षीय योजना के लिये 4500 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने का किया ऐलान; जल्दी ही  RuPay Cards लॉन्च करेगा भूटान; South Asian Satellite से लाभ उठाने के लिये ISRO द्वारा भूटान में बनाया जा रहा Ground-Station भी होने वाला है तैयार; भूटान के प्रधानमंत्री की यह पहली विदेश यात्रा है
  • अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के तीन द्वीपों को मिलेंगे नए नाम; रॉस द्वीप अब कहलाएगा नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, नील द्वीप को मिलेगा शहीद द्वीप का नाम और हैवलॉक द्वीप को अब स्वराज द्वीप के नाम से जाना जाएगा; नेताजी की स्मृति डाक टिकट, सिक्का और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा भारत की धरती पर तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगाँठ पर फर्स्ट डे कवर प्रधानमंत्री जारी करेंगे; सुनामी स्मारक और वाल ऑफ लॉस्ट सोल्स पर भी जाएंगे प्रधानमंत्री
  • केंद्र सरकार ने जारी की तटीय नियमन जोन (Coastal regulation Zone) अधिसूचना, 2018; इससे तटीय क्षेत्रों की गतिविधियों में होगी बढ़ोतरी और आर्थिक विकास को मिलेगी रफ्तार; बड़ी संख्या में रोजगारों का होगा सृजन; बेहतर जीवन के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था में भी होगा Value Addition; तटीय क्षेत्रों की अतिसंवेदनशीलता में कमी आएगी और उनका विकास हो सकेगा; इससे पहले 2011 में की गई थी समीक्षा और जारी हुई थी अधिसूचना
  • भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने शीर्ष अधिकारियों के लिये बनाया कूलिंग ऑफ पीरियड; इन अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद किसी कंपनी में चेयरमैन या चीफ एग्ज़ीक्यूटिव के पद पर तैनात होने के लिये 3 साल करना होगा इंतज़ार; इस निर्णय के पीछे रिज़र्व बैंक ने विश्वभर में प्रचलित सर्वश्रेष्ठ परंपराओं का दिया हवाला; किसी कंपनी में डायरेक्टर का पद संभालने के लिये कूलिंग ऑफ पीरियड एक साल का रहेगा
  • IIT रुड़की के Department of Earthquake Engineering के वैज्ञानिकों ने भूकंप की सूचना देने के लिये बनाया ‘अर्ली वार्निंग सिस्टम’; वैज्ञानिकों ने तैयार किये हैं विशेष प्रकार के सेंसर; उत्तराखंड के चमोली से उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ से धारचूला तक लगाए गए हैं ये सेंसर; सेंसर लगे इलाकों में यदि भूकंप आने की आशंका होती है तो देहरादून में 15 सेकंड, रुड़की में 20 सेकंड और दिल्ली में लगभग 60 सेकंड पहले चेतावनी जारी की जा सकती है
  • ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में 26वीं बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन; ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने किया इसका उद्घाटन; ‘स्वच्छ, हरित व स्वस्थ राष्ट्र के लिये विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष’ अर्थात Science, Technology & Innovation for a Clean, Green & Healthy Nation है इस वर्ष की थीम; 1993 में हुई थी बाल विज्ञान कांग्रेस की शुरुआत
  • नई दिल्ली के विज्ञान भवन में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने वितरित किये चैंपियंस ऑफ चेंज पुरस्कार; विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान करने वाले मंत्री, सांसद, IAS-IPS, सामाजिक कार्यकर्त्ताओं व उद्यमियों को दिया जाता है यह पुरस्कार; पूरे देश से 35 लोगों को दिया गया यह अवार्ड
  • प्रख्यात सितारवादक मंजू मेहता को वर्ष 2018 के लिये मिला मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दिया जाने वाला राष्ट्रीय तानसेन सम्मान; मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में हर वर्ष दिया जाता है यह सम्मान; वर्ष 2010-11 में हुई थी तानसेन पुरस्कार देने की शुरुआत; इसके अलावा संगीत धरोहर को सहेजकर सुरक्षित रखने के लिये वाराणसी के श्री संकट मोचन प्रतिष्ठान को वर्ष 2017 का राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान दिया गया
  • नासा ने ‘कर्मशल क्रू प्रोग्राम 2019 चिल्ड्रन आर्ट वर्क कैलेंडर’ लॉन्च किया; इसके कवर पर है नोएडा की 9 वर्षीय दीपशिखा की बनाई पेंटिंग; इसके अलावा महाराष्ट्र के 10 साल के इंद्रयुद्ध और 8 साल के श्रीहन तथा तमिलनाडु के थेमुकिलिमन का आर्ट वर्क भी कैंलेंडर में शामिल; इंद्रयुद्ध और श्रीहन के बनाए आर्ट वर्क की थीम ‘लिविंग एंड वर्किंग इन स्पेस’ है, जबकि थेमुकिलिमन की थीम ‘स्पेस फूड’ है; इस कैलेंडर में साल के 12 महीनों के लिये बच्चों द्वारा तैयार आर्ट वर्क का इस्तेमाल किया गया है

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 29 दिसंबर, 2018

कश्मीरी हंगुल

  • कश्मीरी बारहसिंगे को कश्मीर में स्थानीय रूप से हंगुल भी कहा जाता है जो भारत में यूरोपीय लाल हिरणों की एकमात्र उप-प्रजाति है। हंगुल जम्मू-कश्मीर का राजकीय पशु भी है।

Hangul in Dachigam

  • पहली बार 1844 में अल्फर्ड वैगनर द्वारा चिह्नित इस प्रजाति के बारे में कहा जाता है कि इसने मध्य एशिया के बुखारा से कश्मीर तक यात्रा की है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) ने इसे गंभीर रूप से विलुप्तप्राय पशु घोषित किया है।
  • श्रीनगर के पास दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान (Dachigam National Park) को हंगुल का आखिरी अविवादित आवास माना जाता है।
  • हंगुल के सामने आने वाली चुनौतियों में अवैध शिकार, उग्रवाद से खतरा और भारत एवं पाकिस्तान के बीच सीमा संघर्ष शामिल हैं।

राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (NCH) विधेयक, 2018 (National Commission for Homoeopathy (NCH) Bill, 2018)


प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (National Commission for Homoeopathy-NCH) विधेयक, 2018 की स्थापना के मसौदे को मंज़ूरी दी है।

  • यह विधेयक वर्तमान की नियामक संस्था, केंद्रीय होम्योपैथी परिषद (Central Council for Homoeopathy-CCH) के स्थान पर पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक नई संस्था का गठन करेगा।
  • विधेयक के मसौदे में राष्ट्रीय आयोग के गठन का उल्लेख है जिसके अंतर्गत तीन स्वायत्त परिषदें (autonomous boards) होंगी। होम्योपैथी शिक्षा परिषद द्वारा दी जाने वाली होम्योपैथी शिक्षा के संचालन की ज़िम्मेदारी इन स्वायत्त परिषदों पर होंगी।
  • मूल्यांकन और योग्यता निर्धारण परिषद (Board of assessment and rating) होम्योपैथी के शैक्षिक संस्थाओं का मूल्यांकन करने और उन्हें मंज़ूरी प्रदान करने का काम करेगा।
  • नीति और पंजीयन परिषद (Board of ethics and registration) होम्योपैथी के चिकित्सकों का पंजीयन करेगा और एक राष्ट्रीय रजिस्टर (National Register) बनाएगा। इसके अतिरिक्त इलाज से संबंधित नीतिगत मामले राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के अधिकार क्षेत्र में आएंगे।
  • मसौदे में प्रवेश तथा एक्जिट परीक्षा का प्रस्ताव दिया गया है। चिकित्सकीय अभ्यास के इच्छुक सभी स्नातकों को इन परीक्षाओं में उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा।
  • इसके अतिरिक्त शिक्षकों की योग्यता परीक्षा का भी प्रस्ताव है। इस परीक्षा से शिक्षकों की नियुक्ति और पदोन्नति के पूर्व उनकी योग्यता का मूल्यांकन किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने एलोपैथी औषधि प्रणाली की स्थापना का प्रस्ताव दिया है। इसी प्रारूप के तहत होम्योपैथी की चिकित्सा शिक्षा में सुधार करना इस मसौदे का लक्ष्य है।
  • एक अध्यादेश (Ordinance) के जरिए तथा इसके पश्चात अधिनियम में किये गए संशोधन के माध्यम से पूर्व में CCH को निदेशक मंडल (Board of Governors) के अधिकार क्षेत्र में ला दिया गया था।

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