रैपिड फायर
जीन-एडिटेडजापोनिका राइस
- 10 Jul 2025
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स्रोत: TH
भारतीय वैज्ञानिकों ने जापोनिका राइस (चावल) की किस्मों में फॉस्फेट (फास्फोरस) को अवशोषित करने की क्षमता बढ़ाने के लिये CRISPR-Cas9 तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है, जिससे उत्पादकता में क्रांतिकारी वृद्धि हो सकती है तथा उर्वरकों के उपयोग में कमी लाई जा सकती है।
- फॉस्फेट दक्षता: जापोनिका चावल की किस्मों में CRISPR-Cas9 जीन-एडिटिंग तकनीक के उपयोग से केवल 10% अनुशंसित फॉस्फेट उर्वरक मात्रा का प्रयोग कर 40% तक उपज में वृद्धि हुई है।
- CRISPR-Cas9 एक जीन-एडिटिंग उपकरण है, जो वैज्ञानिकों को Cas9 एंज़ाइम का उपयोग आणविक कैंची के रूप में करके जीनोम को सटीक रूप से संशोधित करने में सक्षम बनाता है, ताकि DNA को सटीक रूप से काटा जा सके और आनुवंशिक सामग्री को जोड़ा, हटाया या उसकी मरम्मत की जा सके।
- क्रियाविधि: इसमें OsPHO1;2 जीन की एडिटिंग की गई है, जो जड़ से टहनी तक फॉस्फेट स्थानांतरण के लिये ज़िम्मेदार था, इस जीन में संपादन करते समय, दमनकर्त्ता (Repressor) को पूरी तरह हटाने के बजाय, उसके बंधन स्थल (binding site) को हटाया गया है।
- महत्त्व: भारत 4.5 मिलियन टन से अधिक फॉस्फेट उर्वरकों का आयात करता है, जिससे कृषि स्थिरता और आत्मनिर्भरता के लिये यह जीन-एडिटिंग दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
भारतीय मृदा में पोषक तत्त्वों की कमी
- विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (CSE) द्वारा वर्ष 2022 में किये गए एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 85% मृदा के नमूने जैविक कार्बन की कमी से ग्रस्त हैं।
- भारतीय मृदा में पोषक तत्त्वों की स्थिति इस प्रकार है:
- 97% नाइट्रोजन की कमी है, जो फसलों की वृद्धि के लिये अत्यंत आवश्यक है।
- 83% फॉस्फोरस की कमी है, जो जड़ों और बीजों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- 71% पोटैशियम की कमी है, जो पौधों में पानी और पोषक तत्त्वों के प्रवाह को नियंत्रित करता है।
- इसके अतिरिक्त, भारतीय मृदा में बोरॉन (47%), ज़िंक (39%), आयरन (37%) और सल्फर (36%) की भी कमी पाई गई है।
- यह स्थिति पोषण सुरक्षा को प्रभावित करती है, क्योंकि ज़िंक की कमी वाले अनाज कुपोषण को और अधिक गंभीर बना सकते हैं।
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