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बिहार कैबिनेट ने प्रमुख योजनाओं को मंज़ूरी प्रदान की
चर्चा में क्यों?
युवाओं की रोज़गार क्षमता में सुधार, सांस्कृतिक संरक्षण और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में बिहार मंत्रिमंडल ने कई प्रमुख पहलों को मंज़ूरी प्रदान की।
- इन पहलों में युवा इंटर्नशिप के लिये वित्तीय सहायता, कलाकारों के लिये पेंशन योजना और पुनौरा धाम के लिये 882 करोड़ रुपए की विकास योजना शामिल है, जो इस क्षेत्र को एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्र में बदल देगी।
मुख्य बिंदु
- मुख्यमंत्री प्रतिज्ञा योजना:
- 18-28 वर्ष की आयु के युवा पात्र हैं, यदि उन्होंने कौशल प्रशिक्षण पूरा कर लिया है या कक्षा 12 से स्नातकोत्तर स्तर तक की योग्यता रखते हैं।
- इंटर्नशिप के दौरान मासिक वजीफा:
- 12वीं पास के लिये 4,000 रुपए
- आईटीआई या डिप्लोमा धारकों के लिये 5,000 रुपए
- स्नातक और स्नातकोत्तर के लिये 6,000 रुपए
- अपने ज़िले से बाहर काम करने पर प्रशिक्षुओं को 2,000 रुपए प्रति माह तथा बिहार से बाहर काम करने पर 5,000 रुपए प्रति माह अतिरिक्त मिलेंगे।
- यह अतिरिक्त सहायता अधिकतम 3 माह के लिये प्रदान की जाएगी।
- सभी वित्तीय सहायता प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से जमा की जाएगी।
- यह योजना वित्त वर्ष 2025-26 में 5,000 युवाओं को सहायता प्रदान करेगी।
- इसका लक्ष्य 2026-27 से आगे पाँच वर्षों में एक लाख युवाओं को लाभान्वित करना है।
- मुख्यमंत्री कलाकार पेंशन योजना:
- मंत्रिमंडल ने कम से कम 10 वर्षों से शास्त्रीय, दृश्य या प्रदर्शन कला में संलग्न कलाकारों के लिये एक नई पेंशन योजना को मंज़ूरी दी।
- 50 वर्ष से अधिक आयु के पात्र कलाकारों, जिनकी वार्षिक आय 1.2 लाख रुपए से कम है, को 3,000 रुपए मासिक पेंशन मिलेगी।
- इस योजना का उद्देश्य बिहार की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है।
- पुनौरा धाम विकास:
- कैबिनेट ने सीतामढ़ी के पुनौरा धाम स्थित माँ जानकी मंदिर के समेकित विकास के लिये 882.87 करोड़ रुपए की मंज़ूरी दी।
- माना जाता है कि यह देवी सीता का जन्म स्थल है, इस स्थल को मिथिला की समृद्ध संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करने और प्रोत्साहन प्रदान करने के लिये अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
- बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम इस परियोजना का क्रियान्वयन करेगा।
- कारखाना/फैक्ट्री रोज़गार नियम संशोधित:
- मंत्रिमंडल ने बिहार कारखाना नियमावली, 1950 में संशोधन को भी मंज़ूरी दी।
- गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को छोड़कर महिलाएँ अब खतरनाक श्रेणी में वर्गीकृत कारखानों में काम कर सकती हैं।
- इस कदम का उद्देश्य महिलाओं के लिये औद्योगिक रोज़गार के अवसरों को व्यापक बनाना है।
मिथिला
- भौगोलिक सीमाएँ:
- मिथिला, जिसे तिरहुत या तिरभुक्ति के नाम से भी जाना जाता है, एक विशिष्ट भूवैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षेत्र है।
- यह पूर्व में महानंदा नदी, दक्षिण में गंगा, पश्चिम में गंडकी नदी और उत्तर में हिमालय की तराई से घिरा है।
- भारत में, इसमें दरभंगा, मधुबनी, मुज़फ्फरपुर, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, वैशाली जैसे ज़िले और चंपारण, भागलपुर और मुंगेर के कुछ हिस्से शामिल हैं।
- भाषा और पहचान:
- यहाँ की मूल भाषा मैथिली है, जो मैथिल लोगों द्वारा बोली जाती है।
- ऐसा माना जाता है कि मिथिला नाम पौराणिक राजा मिति से लिया गया है, जो "मृदा (मिट्टी)" का प्रतीक है।
- मिथिला की प्राचीन राजधानी जनकपुर थी, जो नेपाल के धनुसा ज़िले में स्थित थी।
- जैन धर्म और बौद्ध धर्म से संबंध:
- दक्षिणी मिथिला में स्थित वैशाली, जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर (599 ईसा पूर्व) का जन्मस्थान है।
- ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध ने अपने जीवन का कुछ हिस्सा मिथिला क्षेत्र में बिताया था, जहाँ उन्होंने उपदेश दिये और विद्वानों से संवाद किया था।
- समृद्ध सांस्कृतिक विरासत:
- मिथिला संस्कृति अपनी भाषा (मैथिली), पाग (पारंपरिक टोपी/हेडगेअर), लोक नृत्य और त्योहारों और व्यंजनों के लिये प्रसिद्ध है।
- मधुबनी पेंटिंग:
- मधुबनी कला, एक जीवंत लोक चित्रकला परंपरा है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं (विशेष रूप से रामायण) के दृश्यों को दर्शाती है।
- प्रकृति, पशु और सामाजिक जीवन
- इसमें प्राकृतिक रंगों और ज्यामितीय पैटर्न का उपयोग किया गया है
- इसकी सांस्कृतिक विशिष्टता के लिये इसे GI (भौगोलिक संकेत) का दर्ज़ा प्राप्त है।
- कृषि विशेषता- मिथिला मखाना:
- मखाना, जिसे फॉक्स नट के नाम से भी जाना जाता है, मिथिला की एक प्रमुख जलीय फसल है।
- बिहार और नेपाल के आर्द्रभूमियों में, विशेषकर मिथिला क्षेत्र में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
- मिथिला मखाना को GI टैग भी मिला है, जो इसके आर्थिक और सांस्कृतिक महत्त्व को दर्शाता है।

