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डेली न्यूज़

  • 24 Apr, 2024
  • 30 min read
भारतीय समाज

भारत में स्वास्थ्य बीमा के लिये कोई आयु सीमा नहीं

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, स्वास्थ्य बीमा, विश्व स्वास्थ्य संगठन

मेन्स के लिये:

भारत में बुज़ुर्ग आबादी के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ, भारत की जनसांख्यिकी से संबंधित मुद्दे

स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India- IRDAI) ने चिकित्सा बीमा पॉलिसी (Medical Insurance Policy) खरीदने के लिये आयु सीमा हटा दी है, जिससे बीमा का दायरा बढ़ गया है और वरिष्ठ नागरिकों को बड़ी राहत मिली है।

  • इसके अलावा भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science - IISc) बंगलूरू ने 'लॉन्गविटी इंडिया' की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य उम्र बढ़ने से संबंधित स्वास्थ्य मुद्दों का अध्ययन करना और बुज़ुर्गों के बेहतर स्वास्थ्य के लिये हस्तक्षेप करना है।

स्वास्थ्य बीमा से संबंधित IRDAI के हालिया दिशा-निर्देश क्या हैं? 

  • IRDAI ने भारत में स्वास्थ्य बीमा के लिये आवेदन करने की बाधा को समाप्त कर दिया है, जो पहले केवल 65 वर्ष और उससे कम आयु के व्यक्तियों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करने की अनुमति देता था।
    • इसने बीमाकर्त्ताओं को वरिष्ठ नागरिकों, छात्रों, बच्चों और मातृत्व जैसी विभिन्न जनसांख्यिकी के लिये विशेष बीमा उत्पाद सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
  • इसमें इस बात पर भी बल दिया गया है कि बीमाकर्त्ताओं को सभी प्रकार की पूर्व-मौजूदा चिकित्सा स्थितियों वाले व्यक्तियों के लिये कवरेज सुविधा प्रदान करने का प्रयास करना चाहिये, जैसा कि भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशित "स्वास्थ्य बीमा उत्पादों पर लागू विशिष्ट प्रावधानों (Specific provisions applicable to health insurance products)" में उल्लिखित है।
    • कैंसर या ह्हृदयाघात जैसी पहले से मौजूद चिकित्सीय स्थितियों वाले व्यक्तियों के लिये भी अब बिना किसी प्रतिबंध के बीमा कवरेज सुविधा उपलब्ध है।
    • इससे भारत में बीमा घनत्व और बीमा की पैठ बढ़ सकती है।
  • बीमाकर्त्ताओं को पॉलिसीधारक की सुविधा के लिये प्रीमियम का भुगतान किस्तों में किये जाने की पेशकश करने की भी आवश्यकता होती है और यात्रा पॉलिसियों की पेशकश केवल सामान्य और स्वास्थ्य बीमाकर्त्ताओं द्वारा ही की जा सकती है। 
    • इसके अलावा आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी सहित आयुष उपचारों के लिये कवरेज की कोई सीमा नहीं है।

भारत में बुज़ुर्ग आबादी के सामने क्या प्रमुख चुनौतियाँ हैं?

  • भारत में बुज़ुर्ग जनसंख्या की स्थिति: भारत हाल ही में चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक  जनसंख्या वाला देश बन गया है।
    • इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2050 तक देश में 60 वर्ष से अधिक आयु के 31 करोड़ से अधिक लोग होंगे।
  • चुनौतियाँ:
    • स्वास्थ्य देखभाल पहुँच का अभाव: भारत में बुज़ुर्गों के लिये उचित स्वास्थ्य देखभाल हेतु सामर्थ्य एक बड़ी बाधा है।
      • पुरानी बीमारियाँ सामान्य हैं, लेकिन वृद्धावस्था विशेषज्ञों और उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के प्रबंधन में प्रशिक्षित विशेषज्ञों तक सीमित पहुँच की वज़ह से उनकी स्थिति खराब हो जाती है।
    • बुज़ुर्गों के साथ दुर्व्यवहार और उपेक्षा: दुर्भाग्य से बुज़ुर्गों के साथ दुर्व्यवहार एक बढ़ती चिंता का विषय है। वे वित्तीय शोषण, शारीरिक या भावनात्मक शोषण और उपेक्षा के प्रति संवेदनशील होते हैं।
      • लॉन्गिट्यूडिनल एजिंग स्टडी इन इंडिया (LASI) के अनुसार, भारत की कम-से-कम 5% बुज़ुर्ग जनसंख्या (60 वर्ष और उससे अधिक आयु) ने बताया कि उन्हें वर्ष 2020 में दुर्व्यवहार का अनुभव हुआ।
    • डिजिटल विभाजन: कई सरकारी कार्यक्रम और सेवाएँ ऑनलाइन स्थानांतरित हो रही हैं, जिससे कुछ तकनीक-अकुशल बुज़ुर्ग नागरिकों को उन तक पहुँचने के लिये संघर्ष करना पड़ रहा है।
    • वित्तीय असुरक्षा: बुज़ुर्ग आबादी का एक बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे रहता है, उन्हें अपनी स्वास्थ्य देखभाल एवं दैनिक आवश्यकताओं हेतु पेंशन अथवा बचत के अभाव के कारण कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
    • सामाजिक अलगाव एवं अकेलापन: संयुक्त परिवारों के टूटने एवं युवा पीढ़ी के शहरों की ओर पलायन के कारण बुज़ुर्गों को सामाजिक अलगाव का सामना करना पड़ रहा है।
      • सामाजिक जुड़ाव की यह कमी अवसाद और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न करती हैं।

आगे की राह

  • उम्र के अनुकूल बुनियादी ढाँचा: रैंप, हैंडरेल्स, सुलभ परिवहन तथा वरिष्ठ नागरिकों के अनुकूल आवास निर्माण जैसी सुविधाओं के साथ उम्र के अनुकूल बुनियादी ढाँचों के साथ सार्वजनिक स्थानों का विकास करना बुज़ुर्गों के लिये गतिशीलता एवं उनकी स्वतंत्रता में वृद्धि कर सकता है।
  • बुज़ुर्गों के साथ दुर्व्यवहार को रोकने हेतु कानूनों को मज़बूत करना: बुज़ुर्गों से दुर्व्यवहार के विरुद्ध कठोर कानून लागू करना और साथ ही पीड़ितों के लिये सुलभ रिपोर्टिंग तंत्र निर्मित करना।
  • सिल्वरप्रेन्योरशिप हब:विशेषज्ञता एवं उद्यमशीलता की भावना वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिये विशेष रूप से निर्मित सह-कार्यस्थल स्थापित करना जो नए युग के स्टार्टअप को सलाह, व्यवसाय विकास सहायता प्रदान कर सकें ताकि उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने अथवा व्यवसाय वृद्धि करने में सहायता मिल सके।
  • वरिष्ठ प्रभावशाली नेटवर्क:सोशल मीडिया में मज़बूत संचार कौशल वाले तकनीक में कुशल वरिष्ठ नागरिकों की पहचान करना और साथ ही "वरिष्ठ प्रभावशाली लोगों" का एक नेटवर्क बनाना।
    • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उन नीतियों का समर्थन करते हैं, जिनसे उनकी पीढ़ी लाभान्वित हो, वे बुज़ुर्गों की देखभाल से संबंधित मिथकों को दूर करते हैं और स्वस्थ उम्र  के लिये प्रोत्साहित करते हैं। 

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) क्या है?

  • IRDAI भारत में बीमा क्षेत्र के समग्र पर्यवेक्षण एवं विकास के लिये बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 (IRDA अधिनियम, 1999) के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।
    • प्राधिकरण की शक्तियाँ और कार्य IRDA अधिनियम, 1999 तथा बीमा अधिनियम, 1938 के तहत निर्धारित हैं।
  • बीमा अधिनियम, 1938 भारत में बीमा क्षेत्र को नियंत्रित करने वाला प्रमुख अधिनियम है। यह IRDAI को नियम बनाने की शक्तियाँ प्रदान करता है, जो बीमा क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं की निगरानी हेतु नियामक ढाँचा तैयार करता है।

नोट: भारत में बीमा व्यापन (Penetration) (GDP के प्रतिशत के रूप में प्रीमियम) जो वर्ष 2001 में 2.7% और निरंतर बढ़ते हुए वर्ष 2020 में 4.2% हो गया तथा वर्ष 2021 में समान रहा।

  • इसके अतिरिक्त भारत में बीमा घनत्व (जनसंख्या/प्रति व्यक्ति प्रीमियम) में तीव्र वृद्धि हुई है। संपूर्ण जीवन बीमा घनत्व वर्ष 2001-02 के 9.1 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 69 अमेरिकी डॉलर हो गया।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

भारत में बुज़ुर्ग आबादी के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये, नई रणनीतियों का सुझाव दीजिये, जिन्हें देश में बुज़ुर्गों के जीवन की गुणवत्ता और कल्याण में सुधार के लिये लागू किया जा सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. सुभेद्य वर्गों के लिये क्रियान्वित की जाने वाली कल्याण योजनाओं का निष्पादन उनके बारे में जागरुकता न होने, नीति प्रक्रम की सभी अवस्थाओं पर उनके सक्रिय तौर पर सम्मिलित न होने के कारण प्रभावी नहीं होता है, चर्चा कीजिये। (2019)


भारतीय अर्थव्यवस्था

बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार

प्रिलिम्स के लिये:

बहुपक्षीय विकास बैंक (MDB, द्वितीय विश्व युद्ध, विश्व बैंक समूह, एशियाई विकास बैंक, अफ्रीकी विकास बैंक, एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक

मेन्स के लिये:

MDB तथा सुधारों से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सितंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान होने वाले इस वर्ष के शिखर सम्मेलन में बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDB) में सुधार एक प्रमुख बिंदु होगा।

बहुपक्षीय विकास बैंक (MDB) क्या हैं?

  • परिचय: MDB अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान हैं जो विकासशील देशों में आर्थिक एवं सामाजिक विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण के साथ-साथ पेशेवर परामर्श भी प्रदान करते हैं।
    • इनका गठन तथा पूंजीकरण कई देशों द्वारा एकत्रित संसाधनों एवं उनके बोर्डों के साझा प्रतिनिधित्व के माध्यम से किया जाता है।
    • इनकी उत्पत्ति द्वितीय विश्व युद्ध के बाद युद्ध से क्षतिग्रस्त देशों के पुनर्निर्माण एवं वैश्विक वित्तीय प्रणाली को स्थिरता प्रदान करने के लिये की गई थी।
  • उद्देश्य: वाणिज्यिक बैंकों के विपरीत MDB अपने शेयरधारकों के लिये अधिकतम लाभ अर्जित की कोशिश नहीं करते हैं।
  • इसके स्थान पर वे विकास के लक्ष्यों को प्राथमिकता देते हैं, जैसे अत्यधिक गरीबी को समाप्त करना एवं आर्थिक असमानता को कम करना।
    • वे प्राय: कम अथवा बिना ब्याज पर ऋण प्रदान करते हैं अथवा बुनियादी ढाँचे, ऊर्जा, शिक्षा, पर्यावरणीय स्थिरता एवं विकास को बढ़ावा देने वाले अन्य क्षेत्रों की परियोजनाओं हेतु अनुदान प्रदान करते हैं।
  • प्रमुख  MDB: विश्व बैंक समूह, एशियाई विकास बैंक, अफ्रीकी विकास बैंक, यूरोपीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक एवं  इंटर-अमेरिकन डेवलपमेंट बैंक

 MDB से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • संसाधन संबंधी बाधाएँ: MDB के लिये विशेष रूप से बढ़ती आवश्यकताओं के आलोक में प्राय: ऋण देने हेतु पूंजी उपलब्धता एक चुनौती हो सकती है। परिणामस्वरूप महत्त्वपूर्ण विकास पहलों में वित्तपोषित करने की उनकी क्षमता बाधित हो सकती है।
  • वैश्विक चुनौतियों के साथ तालमेल बनाए रखना: विश्व को जलवायु परिवर्तन, महामारी और तकनीकी व्यवधान जैसी नई और जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 
    • MDB ने इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिये अपनी रणनीतियों और दृष्टिकोण में इन बढ़ती चुनौतियों को पूरी तरह से अनुकूलित नहीं किया है।
  • निर्णय निर्माण: कुछ MDB में वर्तमान मतदान संरचना विकसित देशों को अधिक शक्ति प्रदान करती है।
    • विकासशील देश अपनी आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिये निर्णय लेने में अधिक भूमिका निभाने पर ज़ोर दे रहे हैं।
    • MDB में निर्णय लेने की प्रक्रियाओं की पारदर्शिता के साथ ही भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को रोकने के लिये मज़बूत जवाबदेही तंत्र की आवश्यकता है।
    • उदाहरण के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका के पास विश्व बैंक में 15.85% वोटिंग शक्ति है, जो उसे संस्था के निर्णयों पर पर्याप्त प्रभाव प्रदान करती है।
  • एकीकृत दृष्टिकोण: बहुपक्षीय विकास बैंक से सभी के लिये उपयुक्त ऋण, जैसे समान ब्याज दर या पुनर्भुगतान कार्यक्रम, उनकी विविध आर्थिक संरचनाओं और वित्तीय क्षमताओं के कारण वैश्विक दक्षिण के देशों के लिये चुनौतीपूर्ण हैं।

बहुपक्षीय विकास हेतु बैंकों में क्या सुधार आवश्यक हैं? 

  • जलवायु से संबंधित वित्तपोषण: MDB विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन परियोजनाओं के लिये संसाधन जुटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
    • इसमें समर्पित जलवायु वित्त सुविधाएँ, हरित बॉण्ड की पेशकश करना और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिये नवीन जोखिम-साझाकरण उपकरण विकसित करना शामिल हो सकता है।
  • ज्ञान साझा करना और दक्षिण-दक्षिण सहयोग: विकासशील देशों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिये MDB को प्रोत्साहित करना।
    • इसमें समान चुनौतियों का सामना करने वाले देशों को जोड़ना और सफल विकास रणनीतियों पर सहयोग को बढ़ावा देना शामिल हो सकता है।
  • परवर्ती स्तर की रणनीतियाँ: मध्यम-आय वाले देशों के लिये पारदर्शी चैनल स्थापित करना, जैसे-जैसे वे बढ़ते हैं, निजी स्रोतों से रियायती ऋणों से बाज़ार-दर पर वित्तपोषण प्राप्त करते हैं।
    • इससे कम आय वाले देशों के लिये MDB संसाधन मुक्त हो जाते हैं जिन्हें अभी भी महत्त्वपूर्ण  समर्थन की आवश्यकता है।
  • सामाजिक और पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय: यह सुनिश्चित करने के लिये सुरक्षा उपायों को बढ़ाना कि MDB द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं का पर्यावरण या समाज पर हानिकारक प्रभाव न पड़े और समावेशी सतत् विकास सुनिश्चित हो

भारत के प्रमुख बहुपक्षीय विकास बैंक से संबद्धता:

  • विश्व बैंक समूह: भारत विश्व बैंक समूह के पाँच घटकों में से चार का सदस्य है, अर्थात् अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (International Bank for Reconstruction and Development- IBRD), अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (International Development Association- IDA), अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (International Finance Corporation- IFC) और बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (Multilateral Investment Guarantee Agency- MIGA)।
    • भारत ICSID (इंटरनेशनल सेंटर फॉर सेटलमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट डिस्प्यूट्स) का सदस्य नहीं है।
    • भारत हेतु विश्व बैंक की सहायता 1948 में शुरू हुई जब कृषि मशीनरी परियोजना के लिये वित्तपोषण को मंज़ूरी दी गई।
  • एशियाई विकास बैंक (ADB): भारत ADB का संस्थापक सदस्य और बैंक का चौथा सबसे बड़ा शेयरधारक है।
    • 1986 में परिचालन शुरू करने के बाद से ADB ने देश में अपने परिचालन को सरकार की विकासशील प्राथमिकताओं के साथ जोड़ दिया है।
    • इस दृष्टिकोण को देशों की आगामी रणनीति साझेदारी, 2023-2027 के माध्यम से अपनाया जाएगा।
  • एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB): भारत, चीन के बाद दूसरे सबसे ज़्यादा वोटिंग शेयर के साथ एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) का संस्थापक सदस्य है।
    • इसका मुख्यालय बीजिंग में है।
  • न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB): भारत, NDB का संस्थापक सदस्य है, चीन के बाद 7.5 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के साथ NDB का दूसरा सबसे बड़ा वित्तीय सहायता प्राप्तकर्त्ता है।
    • इसकी स्थापना 2015 में BRICS देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) द्वारा की गई थी।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. वैश्विक स्तर पर सतत् और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDB) की भूमिका पर चर्चा कीजिये। MDB बढ़ती जलवायु चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कैसे कर सकते हैं? 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. एशियाई आधारिक-संरचना निवेश बैंक [एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB)] के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. AIIB के 80 से अधिक सदस्य राष्ट्र हैं।
  2. AIIB में भारत सबसे बड़ा शेयरधारक है।
  3. AIIB में एशिया के बाहर का कोई सदस्य नहीं है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. भारत ने हाल ही में न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर बैंक (AIIB) का संस्थापक सदस्य बनने के लिये हस्ताक्षर किये हैं। इन दोनों बैंकों की भूमिका किस प्रकार भिन्न होगी? भारत के लिये इन दोनों बैंकों के रणनीतिक महत्त्व पर चर्चा कीजिये। (2012)


भूगोल

मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग

प्रिलिम्स के लिये:

मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग, प्रवाल विरंजन, ग्लोबल वार्मिंग, ग्रेट बैरियर रीफ, जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल

मेन्स के लिये:

मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग की विधि और संबंधित चुनौतियाँ एवं जोखिम, पर्यावरण प्रदूषण तथा क्षरण, संरक्षण

स्रोत: सीएटल टाइम्स

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग नामक जियोइंजीनियरिंग तकनीक का परीक्षण किया गया।

  • इस विधि में समुद्री स्ट्रैटोक्यूम्यलस बादलों में सूक्ष्म लवणीय जल के कणों को डालने के लिये मशीनों का उपयोग करना शामिल है, जिसका उद्देश्य उनकी परावर्तनशीलता को बढ़ाना और पृथ्वी को ठंडा करना है।

Coastal_Study

मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग क्या है?

  • परिचय:
    • मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग एक वैज्ञानिक पहल है जिससे यह पता चलता है कि बदलते वायुमंडलीय कण (एरोसोल) बादल की परावर्तनशीलता को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
    • वायुमंडल में छोटे एयरोसोल कणों को उत्पन्न करके शोधकर्त्ताओं का लक्ष्य बादलों की चमक को बढ़ाना है, जिससे सूर्य के प्रकाश का प्रतिबिंब बढ़ सके।
    • उचित आकार और सघनता वाले एरोसोल विशिष्ट प्रकार के बादलों की परावर्तन क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ा सकते हैं।
    • यह घटना जहाज़ से उत्सर्जन या शिप एमिसन (जिसे "जहाज ट्रैक" के रूप में जाना जाता है) के चलते  चमकते बादलों की उपग्रह छवियों में दिखाई देती है।

Principle_Behind_MCB

  • मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग कार्यक्रम के लक्ष्य:
    • बादलों पर एरोसोल प्रदूषण के वर्तमान प्रभावों को कम करने की बेहतर समझ विकसित करना।
    • यह जाँच करना कि क्या समुद्री नमक से बने एयरोसोल कणों का उपयोग ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिये किया जा सकता है जबकि ग्रीनहाउस गैस सांद्रता को सुरक्षित स्तर पर लाया जा सकता है।
    • मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग के विभिन्न कार्यान्वयनों के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिये एरोसोल उपयोग के लाभ, जोखिम एवं प्रभावकारिता को समझना

एयरोसोल एवं जलवायु प्रभाव:

  • वायु गुणवत्ता नियमों के विस्तार के कारण एरोसोल सांद्रता में गिरावट आ रही है, जिससे वायुमंडल में कण कम हो रहे हैं।
  • अधिकांश एयरोसोल कणों के कारण जलवायु पर शीतलन प्रभाव पड़ता है, इसलिये उनकी कमी से ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि होती है।
  • वैज्ञानिकों का अनुमान है कि मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्सर्जन से निकलने वाले एरोसोल ग्लोबल वार्मिंग के 0.5 डिग्री सेल्सियस की भरपाई कर रहे हैं, लेकिन वास्तविक शीतलन प्रभाव 0.2 डिग्री सेल्सियस से 1.0 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है।
  • बादलों पर एयरोसोल के प्रभावों के बारे में अनिश्चितता भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग के अनुमानों को लेकरअनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न कर सकती है।

MCB से संबद्ध चुनौतियाँ एवं जोखिम क्या हैं?

  • तकनीकी व्यवहार्यता: MCB में अत्यधिक ऊँचाई पर वायुमंडल में समुद्री जल का बड़े पैमाने पर छिड़काव शामिल है, जो छिड़काव हेतु उपकरणों के निर्माण, लागत, रखरखाव एवं संचालन के संदर्भ में अभियांत्रिकी जटिलताओं को प्रस्तुत करता है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: MCB के कारण बादलों के प्रारूप और वर्षा क्षेत्रीय जलवायु एवं जल विज्ञान चक्रों को प्रभावित कर सकती है, जिससे संभावित रूप से शुष्कता या बाढ़ जैसे अनपेक्षित परिणाम हो देखे जा सकते हैं।
    • व्यापक क्षेत्रों में बादलों में होने वाला परिवर्तन वायुमंडल, मौसम और वर्षा के परिसंचरण को प्रभावित करता है।
    • मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग (MCB) और प्रदूषण एरोसोल दोनों ही बादलों के प्रारूप को परिवर्तित कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ब्राइटनिंग वाले स्थान के नज़दीक और दूरस्थ दोनों क्षेत्र प्रभावित होते हैं।
  • नैतिक मुद्दे: MCB प्राकृतिक प्रक्रियाओं में मानवीय हस्तक्षेप और इसके कार्यान्वयन एवं निर्णय लेने की प्रक्रियाओं के बारे में नैतिक दुविधाओं को जन्म देता है।
  • नैतिक संकट: MCB नीति निर्माताओं और सामान्य जन के बीच आत्मसंतुष्टि (Complacency) की भावना उत्पन्न कर सकता है, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन की उनकी प्रतिबद्धता कम हो सकती है।

Geo_Engineering_Techniques

निष्कर्ष:

  • मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग (MCB), वर्तमान में जलवायु अंतःक्षेप (Climate Intervention) के साथ-साथ अपने प्रारंभिक अनुसंधान एवं विकास अवस्था में है। हालाँकि वैज्ञानिक इसकी व्यवहार्यता, प्रभावकारिता और संभावित प्रभावों की खोज कर रहे हैं।
  • ग्लोबल वार्मिंग को कम करने, संबंधित जोखिमों और अनिश्चितताओं को स्वीकार करने के साथ जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये विभिन्न भू-अभियांत्रिकी तरीकों के बीच सतत् मानव अनुकूलन को एकमात्र नया दृष्टिकोण माना जाता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. जलवायु परिवर्तन और वैश्विक जलवायु प्रणालियों पर उनके संभावित प्रभावों को कम करने के लिये प्रस्तावित विभिन्न जियोइंजीनियरिंग तकनीकों पर चर्चा कीजिये। इस संदर्भ में स्थायी मानव अनुकूलन एक अद्वितीय दृष्टिकोण के रूप में कैसे सामने आता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समतापमंडल में सल्फेट वायुविलय अंत:क्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं? (2019)

(a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये
(b) उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बारंबारता और तीव्रता को कम करने के लिये
(c) पृथ्वी पर सौर पवनों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिये
(d) भूमंडलीय तापन को कम करने के लिये

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2012)

क्लोरोफ्लोरोकार्बन, जिसे ओज़ोन-ह्रासक पदार्थों के रूप में जाना जाता है, उनका प्रयोग:

  1.  सुघट्य फोम के निर्माण में होता है   
  2.  ट्यूबलेस टायरों के निर्माण में होता है   
  3.  कुछ विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक अवयवों की सफाई में होता है   
  4.  एयरोसोल कैन में दाबकारी एजेंट के रूप में होता है  

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. भारतीय उप-महाद्वीप में घटती हुई हिमालयी हिमनदियों (ग्लेसियर्स) और जलवायु परिवर्तन के लक्षणों के बीच संबंध उजागर कीजिये। (2014)


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