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एशिया डेवलपमेंट आउटलुक रिपोर्ट 2024

  • 15 Apr 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

एशियाई विकास बैंक, भारत का सकल घरेलू उत्पाद, पूंजीगत व्यय, चालू खाता घाटा, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी, एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारा, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन

मेन्स के लिये:

एशिया के विकास को संचालित करने वाले क्षेत्र, एशिया के विकास में भारत का योगदान। 

स्रोत: ए.डी.बी

चर्चा में क्यों? 

एशियाई विकास बैंक (ADB) ने हाल ही में अप्रैल, 2024 में एशिया डेवलपमेंट आउटलुक रिपोर्ट जारी की तथा इस आशावादी दृष्टिकोण में योगदान देने वाले विभिन्न कारकों का हवाला देते हुए वित्तीय वर्ष 2024 और 2025 के लिये भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के विकास पूर्वानुमान को संशोधित किया।

एशिया डेवलपमेंट आउटलुक रिपोर्ट, 2024 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? 

  • एशिया का विकास आउटलुक: 
    • परिचय: अनिश्चित बाह्य संभावनाओं के बावजूद, एशिया में आने वाले वर्षों में विकास प्रक्रिया को लचीला बनाए रखने का अनुमान है।
      • अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दर में बढ़ोतरी के चक्र का समापन और विशेष रूप से सेमीकंडक्टर मांग में सुधार से प्रेरित माल निर्यात में निरंतर सुधार जैसे कारक, क्षेत्र के व्यापक सकारात्मक दृष्टिकोण में योगदान करते हैं।
    • GDP वृद्धि पूर्वानुमान: वर्ष 2024 के लिये एशिया की GDP वृद्धि का पूर्वानुमान 4.9% है, वर्ष 2025 के लिये भी इसी तरह का अनुमान रखा गया है।
      • यह स्थिर विकास पथ बाहरी चुनौतियों से निपटने और आर्थिक गति को बनाए रखने की क्षेत्र की क्षमता को दर्शाता है।
    • मुद्रास्फीति के रुझान: एशिया में मुद्रास्फीति कम होने की उम्मीद है, वर्ष 2024 के लिये 3.2% और वर्ष 2025 में 3.0% की कमी का अनुमान है।
      • यह प्रवृत्ति अपेक्षाकृत स्थिर मूल्य निर्धारण वातावरण का संकेत देती है, जो उपभोक्ता विश्वास और खर्च का समर्थन कर सकती है।
  • भारत की वृद्धि का पूर्वानुमान:
    • वृद्धि का पूर्वानुमान: भारत की निवेश-संचालित वृद्धि को देश को एशिया के भीतर एक प्रमुख आर्थिक इंजन के रूप में स्थापित करने में एक महत्त्वपूर्ण कारक के रूप में उजागर किया गया है।
      • ADB का अनुमान है कि भारत की जीडीपी वृद्धि वित्त वर्ष 2024 में 7% और वित्त वर्ष 2025 में 7.2% तक पहुँच जाएगी, जो वित्त वर्ष 2024 के लिये 6.7% के पिछले पूर्वानुमान से अधिक है।
    • वित्त वर्ष 2024 में विकास को बढ़ावा देने वाले कारक: 
      • केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा बुनियादी ढाँचे के विकास पर उच्च पूंजी व्यय विकास का एक प्रमुख चालक है।
      • स्थिर ब्याज दरों और उपभोक्ताओं के विश्वास में वृद्धि के कारण निजी कॉर्पोरेट निवेश बढ़ने का अनुमान है।
      • वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं सहित सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन आर्थिक विस्तार में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
    • वित्त वर्ष 2025 में विकास में वृद्धि:  वित्त वर्ष 2025 में बेहतर माल निर्यात, बढ़ी हुई विनिर्माण उत्पादकता और उच्च कृषि उत्पादन के कारण विकास की गति बढ़ने की उम्मीद है।
      • यह पूर्वानुमान मज़बूत घरेलू मांग और सहायक नीतियों से उत्साहित भारत की अर्थव्यवस्था के लिये सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
    • जोखिम और चुनौतियाँ: सकारात्मक पूर्वानुमान के बावजूद, कच्चे तेल के बाज़ारों में आपूर्ति में व्यवधान और कृषि पर मौसम संबंधी प्रभाव जैसे अप्रत्याशित वैश्विक संकट प्रमुख जोखिम बना हुआ है।
      • घरेलू मांग को पूरा करने के लिये बढ़ते आयात के कारण चालू खाता घाटा (CAD) मामूली रूप से बढ़ने का अनुमान है।
      • हालाँकि RBI के हालिया आँकड़ों के अनुसार, चालू खाता घाटा (CAD) तिमाही 2 FY24 में सकल घरेलू उत्पाद के 1.3% से क्रमिक रूप से घटकर तिमाही 3 FY24 में 1.2% हो गया।

एशियाई विकास बैंक क्या है?

  • परिचय: ADB एक क्षेत्रीय विकास बैंक है जिसकी स्थापना वर्ष 1966 में एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सामाजिक एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।
    • ADB सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये ऋण, तकनीकी सहायता, अनुदान एवं इक्विटी निवेश प्रदान करके अपने सदस्यों तथा भागीदारों की सहायता करता है।
  • मुख्यालय: मनीला, फिलीपींस
  • सदस्य: वर्तमान में इसके 68 सदस्य हैं जिनमें से 49 एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के भीतर और 19 अन्य क्षेत्रों से हैं।
  • ADB और भारत: भारत ADB का संस्थापक सदस्य और बैंक का चौथा सबसे बड़ा शेयरधारक है।
    • ADB की रणनीति 2030 और देश की साझेदारी रणनीति, 2023-2027 के अनुरूप मज़बूत, जलवायु लचीले एवं समावेशी विकास के लिये भारत की प्राथमिकताओं का समर्थन करता है।

एशिया के विकास को गति देने वाले क्षेत्र कौन-से हैं?

  • आर्थिक महाशक्ति: एशिया दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से कई का घर है। चीन, जापान और भारत विश्व की शीर्ष 5 अर्थव्यवस्थाओं में हैं।
    • आर्थिक विकास से प्रेरित होकर, पूरे एशिया में एक बढ़ता हुआ मध्यम वर्ग उपभोक्ताओं का एक विशाल समूह तैयार कर रहा है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ रही है।
      • उदाहरण: वियतनाम को 2030 तक अपने मध्यम वर्ग में 36 मिलियन लोगों को जोड़ने की उम्मीद है।
  • मुख्य विनिर्माण केंद्र: दशकों से एशिया एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स में चीन के प्रभुत्व से लेकर वियतनाम के फुटवियर उत्पादन में वृद्धि तक, एशियाई देशों को कुशल श्रम बलों और कुशल बुनियादी ढाँचे से लाभ होता है, जो उन्हें लागत-प्रतिस्पर्धी एवं वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के लिये महत्त्वपूर्ण बनाता है।
  • बढ़ता व्यापार एवं निवेश:  एशियाई राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सक्रिय रूप से शामिल हैं। क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी ( Regional Comprehensive Economic Partnership - RCEP) जैसे क्षेत्रीय व्यापार समझौते महत्त्वपूर्ण व्यापार ब्लॉक बनाते हैं, जिससे अंतर-एशियाई व्यापार और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलता है।
  • उभरते वित्तीय केंद्र: टोक्यो, हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर जैसे एशियाई शहर प्रमुख वित्तीय केंद्रों के रूप में उभरे हैं, जो निवेश आकर्षित कर रहे हैं, उद्यमशीलता को बढ़ावा दे रहे हैं तथा सीमा पार पूंजी प्रवाह को सुविधाजनक बना रहे हैं।
    • एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (Asian Infrastructure Investment Bank - AIIB) जैसे एशियाई वित्तीय संस्थानों का बढ़ता प्रभाव वैश्विक आर्थिक नीतियों को आकार देने में क्षेत्र की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।

एशिया के विकास में भारत का क्या योगदान है? 

  • क्षेत्रीय कनेक्टिविटी: भारत अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारा जैसी पहलों के माध्यम से एशिया में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने में एक प्रमुख अभिकर्त्ता रहा है।
    • इन परियोजनाओं का उद्देश्य एशिया, अफ्रीका और यूरोप के बीच परिवहन नेटवर्क, व्यापार मार्गों और आर्थिक सहयोग में सुधार करना है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा: नवीकरणीय ऊर्जा पहल को बढ़ावा देते हुए एशिया में सतत् विकास में भारत की सक्रिय भूमिका रही है।
    • भारत और फ्राँस द्वारा शुरू किये गए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का उद्देश्य विश्व स्तर पर, विशेष रूप से एशिया एवं अफ्रीका जैसे देशों में सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देना है ताकि ऊर्जा सुरक्षा व जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान किया जा सके।
  • क्षमता निर्माण: भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम जैसी पहलों के माध्यम से भारत ने एशिया में क्षमता निर्माण के प्रयासों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
    • यह एशियाई देशों के पेशेवरों और छात्रों को प्रशिक्षण, शिक्षा एवं कौशल विकास के अवसर प्रदान करता है, साथ ही, मानव संसाधन विकास व सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।
  • एशिया को UPI के साथ एकीकृत करना: डिजिटल लेनदेन में प्रदान की जाने वाली सुविधाओं और दक्षता के कारण भारत की UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) सेवाएँ एशिया में तेज़ी से लोकप्रिय हो रही हैं।
    • श्रीलंका और मॉरीशस में UPI सेवाएँ पहले ही लॉन्च की जा चुकी हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. एशिया-प्रशांत देशों विशेषकर भारत में आर्थिक वृद्धि एवं विकास को बढ़ावा देने में एशियाई विकास बैंक (ADB) की भूमिका पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. पिछले दशक में भारत-श्रीलंका व्यापार के मूल्य में सतत् वृद्धि हुई है।
  2. भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले व्यापार में "कपड़े और कपड़े से बनी चीज़ों" का व्यापार प्रमुख है।
  3. पिछले पाँच वर्षों में, दक्षिण एशिया में भारत के व्यापार का सबसे बड़ा भागीदार नेपाल रहा है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित दक्षिण एशियाई देशों में से किस देश का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है? (2009)

(a) भारत
(b) नेपाल
(c) पाकिस्तान
(d) श्रीलंका 

उत्तर: (a)


प्रश्न. ‘रीज़नल कॉम्प्रिहेन्सिव इकॉनॉमिक पार्टनरशिप (Regional Comprehensive Economic Partnership)’ पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016)

(a) G20
(b) ASEAN
(c) SCO
(d) SAARC

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. शीतयुद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में, भारत की पूर्वोंमूखी नीति के आर्थिक और सामरिक आयामों का मूल्यांकन कीजिये। (2016)

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