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डेली न्यूज़

  • 23 Aug, 2019
  • 54 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

रुपए की कीमत में गिरावट

चर्चा में क्यों?

वैश्विक व घरेलू कारकों के परिणामस्वरूप रुपया 72 के स्तर को पार करते हुए विगत आठ महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • ज्ञातव्य है कि बीते वर्ष 2018 में भी रुपया 74 को पार कर अपने सबसे ऊँचे स्तर पर पहुँच गया था।
  • हालाँकि, 2019 की शुरुआत में रुपए के मज़बूत होने के संकेत मिले थे, लेकिन रुपए की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि एक बार फिर रुपया अपने रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच सकता है।
  • रुपए के अलावा भारत के लिये एक बुरी खबर यह भी है कि भारतीय शेयर बाज़ार भी काफी गिरावट का सामना कर रहा है।

रुपए में गिरावट के कारण

  • रुपए में गिरावट का सबसे प्रमुख कारण चीन की मुद्रा युआन (Yuan) में हुए अचानक मूल्यह्रास को माना जा रहा है। गौरतलब है कि चीनी मुद्रा युआन अमेरिका और चीन के मध्य चल रहे व्यापार युद्ध के कारण विगत 11 वर्षों में सबसे निचले स्तर पर आ गई है।
    • चीन की मुद्रा में मूल्यह्रास के कारण वैश्विक स्तर पर डॉलर की मांग बढ़ गई है और परिणामस्वरूप डॉलर अधिक मज़बूत हो गया है।
  • बीते दो महीनों में भारतीय बाज़ार से भारी मात्रा में निवेश का बहिर्गमन (Outflow) हुआ है, जिसका प्रभाव भारतीय रुपए पर स्पष्ट देखा जा सकता है।
    • बजट 2019 में सरकार द्वारा सुपर रिच (Super-Rich) पर अधिक कर लगाने के बाद बीते 2 महीनों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाज़ार से लगभग 3 बिलियन डॉलर वापस निकाल लिये हैं। लगातार बढ़ रहा बहिर्गमन भारतीय बाज़ार के लिये चिंता का बड़ा विषय बन गया है। विदेशी निवेश से संबंधी इस चिंता से निपटने हेतु हाल ही में SEBI ने कुछ नए मापदंड व नियम भी जारी किये हैं।
  • तेल की ऊँची कीमतों का असर भी रुपए पर देखने को मिल रहा है। वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल से भी ऊपर पहुँच गई हैं। ज्ञातव्य है कि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन OPEC के नेतृत्व वाली आपूर्ति कटौती के कारण ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें काफी ऊपर पहुँच गई हैं।

रुपया कमज़ोर या मज़बूत क्यों होता है?

  • विदेशी मुद्रा भंडार के घटने या बढ़ने का असर किसी भी देश की मुद्रा पर पड़ता है। चूँकि अमेरिकी डॉलर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा माना गया है जिसका अर्थ यह है कि निर्यात की जाने वाली सभी वस्तुओं की कीमत डॉलर में अदा की जाती है। अतः भारत की विदेशी मुद्रा में कमी का तात्पर्य यह है कि भारत द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं के आयात-मूल्य में वृद्धि तथा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं के निर्यात-मूल्य में कमी।
  • उदाहरण के लिये भारत को कच्चा तेल आदि खरीदने हेतु मूल्य डॉलर के रूप में चुकाना होता है, इस प्रकार भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से जितने डॉलर खर्च कर तेल का आयात किया उतना उसका विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ, इसके लिये भारत उतने ही डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात करे तो उसके विदेशी मुद्रा भंडार में हुई कमी को पूरा किया जा सकता है। लेकिन यदि भारत से किये जाने वाले निर्यात के मूल्य में कमी हो तथा आयात कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही हो तो ऐसी स्थिति में डॉलर खरीदने की ज़रूरत होती है तथा एक डॉलर खरीदने के लिये जितना अधिक रुपया खर्च होगा वह उतना ही कमज़ोर होगा।

विदेशी मुद्रा भंडार क्या है?

प्रत्येक देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिसका प्रयोग वस्तुओं के आयात-निर्यात में किया जाता है, इसे ही विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं। भारत में समय-समय पर इसके आँकड़े भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये जाते हैं।

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

सबका विश्वास योजना

चर्चा में क्यों?

बजट 2019 में वित्त मंत्री ने सबका विश्वास योजना (Sabka Vishwas Scheme) 2019 की घोषणा की थी। केंद्र की इस योजना का उद्देश्य बकाया कर राशि वाले लोगों को आंशिक छूट देना और कर विवाद मामलों का जल्द-से-जल्द निपटारा करना है।

योजना से जुड़ी मुख्य बातें:

  • यह योजना 1 सितंबर 2019 से 31 दिसंबर 2019 तक कार्यान्वित होगी।
  • सरकार को उम्मीद है कि बड़ी संख्या में करदाता सेवा कर और केंद्रीय उत्पाद कर से संबंधित अपने बकाया मामलो के समाधान के लिये इस योजना का लाभ उठाएंगे। गौरतलब है कि ये सभी मामले अब वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax) अर्थात् GST के अंतर्गत सम्मिलित हो चुके हैं और इनके समाधान के परिणामस्वरूप करदाता GST पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
  • इस योजना के दो प्रमुख भाग है:
    • विवाद समाधान
    • बकाया कर में माफी
  • विवाद समाधान का लक्ष्य अब GST में सम्मिलित केंद्रीय उत्पाद और सेवा कर के बकाया मामलों का समाधान करना है।
  • बकाया कर में माफी के तहत करदाता को कुछ निश्चित छूट के साथ बकाया कर देने का अवसर प्रदान किया जाएगा और करदाता कानून के अंतर्गत किसी भी अन्य प्रभाव से मुक्त रखा जाएगा।
    • योजना का सबसे आकर्षक प्रस्ताव सभी प्रकार के मामलो में बकाया कर से बड़ी राहत के साथ-साथ ब्याज़, जुर्माना और अर्थ दंड में भी पूर्ण राहत देना है।
    • इन सभी मामलो में किसी भी प्रकार का अन्य ब्याज़, ज़ुर्माना और अर्थ दंड नहीं लगाया जाएगा और इसके साथ ही अभियोजन (Prosecution) से भी पूरी छूट मिलेगी।
  • योजना के अंतर्गत न्यायिक या अपील में लंबित सभी मामलो में 50 लाख रुपए या इससे कम के मामले में 70 प्रतिशत और 50 लाख रुपए से अधिक के मामलो में 50 प्रतिशत की राहत मिलेगी।

स्रोत: पीआईबी


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

रोम में संकट

चर्चा में क्यों?

इटली के प्रधानमंत्री गिउसेप कोंटे (Giuseppe Conte) के इस्तीफे के बाद इटली में राजनीतिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • इटली के प्रधानमंत्री गिउसेप कोंटे के साथ ही उनकी सहयोगी पार्टी से उनकी कैबिनेट में मंत्री माटेओ साल्विनी (Matteo Salvini) ने भी इस्तीफा दे दिया है।
  • इस प्रकार के राजनीतिक संकट हेतु विरोधी विचारधारा वाली पार्टियों के गठबंधन को जिम्मेदार माना जा रहा है।
  • 5-स्टार मूवमेंट पार्टी को नेतृत्व प्रदान करने वाले कॉमेडियन बेप्पे ग्रिलो (Beppe Grillo) और माटेओ साल्विनी की पार्टियों के बीच गठबंधन पिछले वर्ष के चुनावों में किसी भी पार्टी को बहुमत न मिलने की स्थिति में हुआ था। इस गठबंधन का उद्देश्य देश की राजनीति में नए राजनीतिक विकल्प उपलब्ध कराना था।
  • प्रधानमंत्री गिउसेप कोंटे किसी भी पार्टी के सदस्य नहीं थे, इसलिये उनके लिये गठबंधन शासन को संभालना ज़्यादा कठिन था।
  • जहाँ पर 5-स्टार मूवमेंट पार्टी किसी भी राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित नहीं है वहीं इसकी सहयोगी माटेओ साल्विनी की पार्टी इटली पहले (Italy First) की नीति के साथ प्रवासी और यूरोपीय संघ का विरोध करती है।
  • माटेओ साल्विनी ने मंत्री पद पर रहते हुए प्रवासी जहाज़ों पर प्रतिबंध लगाए, साथ ही यूरोपीय संघ की राजकोषीय नीतियों, जैसे- कर कटौती और खर्च में बढ़ोतरी की आलोचना भी की।
  • वर्तमान राजनीतिक संकट माटेओ साल्विनी के गठबंधन से समर्थन वापस लेने के निर्णय के बाद से शुरू हुआ था। माटेओ साल्विनी की पार्टी को उस समय के चुनाव में 34% वोट मिले थे, वर्तमान में कराए गए एक जनमत सर्वेक्षण के अनुसार अब उनको देश में 38% वोट मिल सकता है इसलिये वे नए चुनाव के माध्यम से प्रधानमंत्री बनना चाह रहे हैं।
  • 5-स्टार मूवमेंट पार्टी ने संकेत दिया है कि वह डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गठबंधन करने के लिये तैयार है। अगर ऐसा गठबंधन होता है तो यह माटेओ साल्विनी को कम से कम तीन वर्ष तक सत्ता से बाहर रखेगा।
  • 5-स्टार मूवमेंट पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी का गठबंधन भी विरोधी विचारधारा वाला गठबंधन होगा इसलिये इसके भी सफल होने की संभावना कम ही है।
  • माटेओ साल्विनी का उदय क्षेत्रीय नेता से एक लोकप्रिय कट्टर राष्ट्रवादी राजनीतिक व्यक्ति के रूप में हुआ है। वे संरचनात्मक आर्थिक मुद्दों पर मौन रहते हैं इसलिये उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भी इटली के आर्थिक संकट के किसी स्थायी समाधान की संभावना कम ही है।

वामदलों की कमज़ोरी, 5-स्टार मूवमेंट पार्टी में वैचारिक कार्यक्रम का अभाव और माटेओ साल्विनी के कठोर राष्ट्रवादी विचार, यूरोपीय संघ विरोधी राजनीति इटली के राजनीतिक संकट को और भी गंभीर कर देते हैं।

स्रोत: द हिंदू


भूगोल

महासागरीय ऊर्जा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा महासागरीय ऊर्जा को अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) घोषित करने के एक प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई। अब महासागरीय ऊर्जा के विभिन्न रूपों जैसे- ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा, थर्मल ऊर्जा आदि से उत्पादित ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा माना जाएगा और ये गैर-सौर नवीकरणीय क्रय बाध्यताओं (RPO) को पूरा करने के लिये पात्र होंगे।

प्रमुख बिंदु

  • महासागर धरती की सतह का 70 प्रतिशत भाग घेरे हुए हैं और ज्वार ऊर्जा, तरंग ऊर्जा, थर्मल ऊर्जा आदि रूप ऊर्जा की एक विशाल राशि का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारे समुद्र और महासागरों की ऊर्जा क्षमता हमारी वर्तमान ऊर्जा आवश्यकताओं से कहीं अधिक है।
  • वर्तमान में दुनिया भर में विभिन्न तकनीकों का विकास किया जा रहा है ताकि इस ऊर्जा को उसके सभी रूपों में विकसित किया जा सके। वर्तमान में यह सीमित है, लेकिन इस क्षेत्र में विकास से आर्थिक विकास, ईंधन की वृद्धि, कार्बन फुटप्रिंट (Carbon footprint) में कमी और रोज़गार में वृद्धि जैसे सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।
  • वर्ष 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के भारत सरकार के लक्ष्य में महासागरीय ऊर्जा अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी।

महासागरीय ऊर्जा की क्षमता

  • समुद्रों अथवा महासागरों के पृष्ठ का जल सूर्य द्वारा तप्त हो जाता है जबकि इनके गहराई वाले भाग का जल अपेक्षाकृत ठंडा होता है। ताप में इस अंतर का उपयोग सागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण विद्युत संयंत्र (Ocean Thermal Energy Conversion Plant या OTEC विद्युत संयंत्र) में ऊर्जा प्राप्त करने के लिये किया जाता है। OTEC विद्युत संयंत्र केवल तभी प्रचालित होते हैं जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 KM तक की गहराई पर जल के ताप में 20 डिग्री सेल्सियस का अंतर हो।
  • पृष्ठ के तप्त जल का उपयोग अमोनिया जैसे वाष्पशील द्रवों को उबालने में किया जाता है। इस प्रकार बनी द्रवों की वाष्प फिर जनित्र के टरबाइन को घुमाती है। महासागर की गहराइयों से ठंडे जल को पंपों से खींचकर वाष्प को ठंडा करके फिर से द्रव में संघनित किया जाता है।
  • महासागरों की ऊर्जा की क्षमता (ज्वारीय-ऊर्जा, तरंग-ऊर्जा तथा महासागरीय-तापीय ऊर्जा) अति विशाल है, परंतु इसके दक्षतापूर्ण व्यापारिक दोहन में कठिनाइयाँ हैं।
  • भारत के समुद्र तट की कुल लंबाई 7516.6 किलोमीटर है, जिससे लगभग 12455 मेगावाट ज्वारीय ऊर्जा, लगभग 40,000 मेगावाट तरंग ऊर्जा तथा लगभग 1,80,000 मेगावाट थर्मल ऊर्जा प्राप्त होने का अनुमान है।

ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy)

  • घूर्णन गति करती पृथ्वी पर मुख्य रूप से चंद्रमा के गुरुत्वीय खिंचाव के कारण सागरों में जल का स्तर चढ़ता व गिरता रहता है। चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) के कारण प्रत्येक 12 घंटे में एक ज्वारीय चक्र संपन्न होता है। इस परिघटना को ज्वार-भाटा कहते हैं।
  • ज्वार-भाटे में जल के स्तर के चढ़ने तथा गिरने से ज्वारीय ऊर्जा प्राप्त होती है। ज्वारीय ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध का निर्माण करके किया जाता है।
  • बाँध के द्वार पर स्थापित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित कर देती है।
  • पारंपरिक जल विद्युत के समान, ज्वार के पानी को उच्च ज्वार के दौरान एक बैराज में कैद किया जा सकता है तथा कम ज्वार के दौरान हाइड्रो-टरबाइन (Hydro Turbine) के माध्यम से दबाव दिया जाता है। हालाँकि ज्वारीय ऊर्जा वाले बिजली संयंत्रों की पूंजी लागत बहुत अधिक होती है। ज्वारीय ऊर्जा क्षमता से पर्याप्त शक्ति प्राप्त करने के लिये उच्च ज्वार की ऊँचाई निम्न ज्वार से कम-से-कम पाँच मीटर (16 फीट) अधिक होनी चाहिये। पश्चिमी तट पर कैम्बे की खाड़ी और गुजरात में कच्छ की खाड़ी में यह क्षमता विद्यमान है।

तरंग ऊर्जा (Wave Energy)

  • समुद्र तट के निकट विशाल तरंगों की गतिज ऊर्जा को भी विद्युत उत्पन्न करने के लिये ट्रेप किया जा सकता है। महासागरों के पृष्ठ पर आर-पार बहने वाली प्रबल पवन तरंगें उत्पन्न करती है।
  • तरंग ऊर्जा का वहीं पर व्यावहारिक उपयोग हो सकता है जहाँ तरंगें अत्यंत प्रबल हों। तरंग ऊर्जा को ट्रेप करने के लिये विविध युक्तियाँ विकसित की गई हैं ताकि टरबाइन को घुमाकर विद्युत उत्पन्न करने के लिये इनका उपयोग किया जा सकें।
  • तरंग ऊर्जा एक उपकरण की गति से उत्पन्न होती है जो या तो समुद्र की सतह पर बहती है या समुद्र तल तक जाती है। तरंग ऊर्जा को विद्युत शक्ति में परिवर्तित करने की कई विभिन्न तकनीकों का अध्ययन किया गया है।
  • तरंग रूपांतरण उपकरण जो सतह पर तैरते हैं, जोड़ों में एक साथ टिका होता है जो लहरों के साथ झुकता है। यह गतिज ऊर्जा टरबाइनों के माध्यम से द्रव को पंप करती है और विद्युत शक्ति बनाती है।

करेंट ऊर्जा (Current Energy)

  • समुद्र के पानी का एक दिशा में बहना समुद्री धारा है। इस सागर की धारा को गल्फ स्ट्रीम (Guif Steam) के नाम से जाना जाता है। ज्वार दो दिशाओं में बहने वाली धाराएँ भी बनाते हैं। गतिज ऊर्जा को खाड़ी स्ट्रीम और जलमग्न टर्बाइनों के साथ अन्य ज्वारीय धाराओं से कैप्चर किया जा सकता है जो लघु पवन टर्बाइनों के समान हैं। पवन टरबाइनों के समान, समुद्री विद्युत प्रवाह उत्पन्न करने के लिये समुद्री प्रवाह की चाल रोटर ब्लेडों को स्थानांतरित करती है।

महासागर तापीय ऊर्जा रूपांतरण

(Ocean Thermal Energy Conversion -OTEC)

  • इस तकनीक के अंतर्गत समुद्र की सतह के गर्म जल की ऊष्मा का उपयोग कर विद्युत् उत्पादन किया जाता है। जब गर्म जल का प्रवाह OTEC गैस चेंबर में होता है तब गैस द्वारा समुद्री जल की ऊष्मा का अवशोषण किये जाने के कारण गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है, जिससे गतिज ऊर्जा के कारण टर्बाइन के चलने पर विद्युत ऊर्जा का उत्पादन होता है।
  • भारत में विषुवत रेखा के समीप वर्ष भर जल की सतह का तापमान अधिक होने के कारण समुद्री ऊर्जा का उपयोग किया जा सकेगा।

स्रोत : PIB


सामाजिक न्याय

सन-साधन हैकथॉन

चर्चा में क्यों?

जल शक्ति मंत्रालय और दिव्‍यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से अटल नवाचार मिशन, नीति आयोग, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और 91 स्प्रिंगबोर्ड के सहयोग से सन-साधन हैकथॉन (San-Sadhan hackathon) का आयोजन किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत एक नए कार्यक्रम सन-साधन हैकाथॅन के लिये सरकार ने आवेदन आमंत्रित किये है। इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य दिव्‍यांगजनों के जीवन को आसान बनाना है।
  • सन-साधन हैकथॉन के माध्यम से दिव्‍यांगजनों के अनुकूल, स्मार्ट, सुलभ और उपयोग में आसानी वाले शौचालय बनाएँ जाएंगे।
  • इस हैकाथॉन के माध्यम से सरकार का उद्देश्‍य शौचालयों के लिये नवोन्‍मेषी समाधान उपलब्ध करना है, जिनका उपयोग शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्तिगत और सामुदायिक स्‍तर पर किया जा सके।

अटल नवाचार मिशन

(Atal Innovation Mission- AIM):

  • अटल नवाचार मिशन (AIM) देश में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार द्वारा की गई एक प्रमुख पहल है।
  • AIM का उद्देश्य देश में नवाचार परिवेश पर नज़र रखना और नवाचार परिवेश में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिये एकछत्र या बृहद संरचना को सृजित करना है, ताकि विभिन्न कार्यक्रमों के ज़रिये समूचे नवाचार चक्र पर विशिष्ट छाप छोड़ी जा सके।
  • AIM, अटल टिंकरिंग लैबोरेटरीज़ अन्वेषकों और अटल इन्क्यूबेशन केंद्रों का सृजन करने के साथ-साथ पहले से ही स्थापित इन्क्यूबेशन केंद्रों को आवश्यक सहायता मुहैया कराता है, ताकि नवाचारों को बाज़ार में उपलब्ध कराना और इन नवाचारों से जुड़े उद्यमों की स्थापना करना सुनिश्चित हो सके।

स्रोत: PIB


जैव विविधता और पर्यावरण

माइक्रोप्लास्टिक पर WHO की रिपोर्ट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) ने पेयजल में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक (Microplastics) के कारण मानव स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों के संबंध में एक रिपोर्ट जारी की है।

प्रमुख बिंदु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, पेयजल में माइक्रोप्लास्टिक का वर्तमान स्तर मानव स्वास्थ्य के लिये हानिकारक नहीं है परंतु भविष्य में इसके संभावित खतरों पर और अधिक अनुसंधान (Research) करने की आवश्यकता है।
  • WHO के अनुसार, यदि वर्तमान संदर्भ में बात करें तो पेयजल में माइक्रोप्लास्टिक्स की उपस्थिति के आँकड़े काफी सीमित हैं जिनके आधार पर सटीक विश्लेषण करना मुश्किल है।

माइक्रोप्लास्टिक्स (Microplastics):

  • माइक्रोप्लास्टिक्स पाँच मिलीमीटर से भी छोटे आकर के प्लास्टिक के टुकड़ें होते हैं।
  • जल निकायों में इनका प्रवेश अन्य प्रदूषकों के वाहक के रूप में कार्य करता है। ये खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर कैंसरजन्य रासायनिक यौगिकों के वाहक बनते है।
  • प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर में उच्च स्तर के माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए हैं।
  • WHO ने प्लास्टिक प्रदुषण को नियंत्रित करने और माइक्रोप्लास्टिक तक मानव की पहुँच को कम करने पर बल दिया है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, नीति निर्माताओं और जनसामान्य द्वारा प्लास्टिक का बेहतर प्रबंधन करने और इसके उपयोग को कम करने के लिये उपाय किये जाने चाहिये।
  • ऐसी संभावना बहुत कम है कि मानव शरीर 150 माइक्रोमीटर से बड़े आकार के माइक्रोप्लास्टिक को अवशोषित नहीं कर सकें परंतु मानव शरीर सूक्ष्म आकार के प्लास्टिक सहित अति सूक्ष्म प्लास्टिक कणों को अवश्य अवशोषित कर सकता है। हालाँकि इस संदर्भ में भी बहुत सीमित आँकड़े ही उपलब्ध है।
  • स्पष्ट रूप से वर्तमान में प्लास्टिक प्रदूषण में जारी वृद्धि को रोकने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
  • यदि पर्यावरण में प्लास्टिक प्रसार की वर्तमान दर बनी रहती है तो अगली एक सदी में माइक्रोप्लास्टिक जलीय परितंत्र के लिये संकट उत्पन्न कर सकता है। जिस कारण मानव तक माइक्रोप्लास्टिक की पहुँच की संभावना में वृद्धि होने की संभावना है।
  • रिपोर्ट में अपशिष्ट जल उपचार (Wastewater Treatment) का सुझाव दिया गया है जो निस्पंदन (Filtration) का उपयोग कर पानी मैं मौजूद 90% से अधिक माइक्रोप्लास्टिक्स को हटा सके।
  • इन उपायों से दोहरा फायदा होगा क्योंकि यह डायरिया (Diarrhoeal Diseases) जैसे जल जनित रोगों के लिये उत्तरदायी सूक्ष्म रोगजनकों के साथ-साथ पानी से रसायनों को दूर कर दूषित पेयजल की समस्या का भी समाधान करेगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन

(World Health Organization-WHO)

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशेष एजेंसी है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) को बढ़ावा देना है।
  • इसकी स्थापना 7 अप्रैल, 1948 को हुई थी।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में अवस्थित है।
  • WHO संयुक्त राष्ट्र विकास समूह (United Nations Development Group) का सदस्य है। इसकी पूर्ववर्ती संस्था ‘स्वास्थ्य संगठन’ लीग ऑफ नेशंस की एजेंसी थी।
  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जो सदस्य देशों के स्वास्थ्य के मंत्रालयों के साथ मिलकर काम करता है।
  • WHO का मुख्य उद्देश्य, वैश्विक स्वास्थ्य मामलों पर नेतृत्व प्रदान करते हुए स्वास्थ्य अनुसंधान एजेंडा को आकार देना, मानदंड और मानक निर्धारण, देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करना और स्वास्थ्य रुझानों की निगरानी और मूल्यांकन करना है।
  • भारत 12 जनवरी 1949 को WHO का सदस्य बन गया।
  • दक्षिण पूर्व एशिया के लिये WHO का क्षेत्रीय कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

स्रोत: द हिंदू


सामाजिक न्याय

मुख्यमंत्री-निःशुल्क-दवा-योजना

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission-NHM) द्वारा जारी मासिक रैंकिंग में राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना (Mukhyamantri Nishulk Dava Yojana) को 16 राज्यों में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।

मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना

(Mukhyamantri Nishulk Dava Yojana)

  • 2 अक्तूबर, 2011 को राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा इस योजना की शुरुआत की गई।
  • इस योजना के मुख्यतः दो घटक हैं:
    • नि: शुल्क दवाइयाँ (Free Medicines)- सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में आने वाले रोगियों को सामान्य तौर पर उपयोग की जाने वाली आवश्यक दवाइयों को नि:शुल्क उपलब्ध कराना।
    • नि: शुल्क परीक्षण (Free Tests)- सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में आने वाले रोगियों का नि: शुल्क परीक्षण सुनिश्चित करना।
  • इस योजना के सफल कार्यान्वयन हेतु राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम लिमिटेड (Rajasthan Medical Services Corporation Limited-RMSCL) को पब्लिक लिमिटेड कंपनी (Public Limited Company) के रूप में समाविष्ट/निगमित (Incorporated) किया गया।
  • वर्ष 2011 से अभी तक इस योजना से तकरीबन 67 करोड़ रोगी लाभान्वित हुए हैं, साथ ही इस योजना में 712 दवाओं को शामिल किया गया हैं जो स्वयं में एक रिकॉर्ड संख्या है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रैंकिंग संबंधी मुख्य बिंदु

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने अपनी नि:शुल्क दवा सेवा पहल (Free Drug Service Initiative) के तहत राज्यों को इस उद्देश्य से रैंकिंग देनी शुरू की थी कि उन्हें अपने-अपने राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ देने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके।
  • NHM द्वारा राज्यों के प्रदर्शन का आकलन 10 मापदंडों के आधार पर किया गया। इनमें से दो प्रकार हैं:
    • दवाओं का भंडार
    • दवा वितरण प्रणाली
  • NHM की नि:शुल्क दवा सेवा पहल का मुख्य उद्देश्य कैंसर, हृदय और गुर्दे से संबंधित बीमारियों एवं अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित रोगियों के स्वास्थ्य खर्च को कम करना है।
  • NHM की यह पहल स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health & Family Welfare) द्वारा राज्यों को समर्थन देने के लिये लागू की गई है।

आगे की राह

  • NHM द्वारा राज्यों को पुरस्कृत किये जाने की यह पहल समाज के दलित और गरीब वर्गों तक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की समावेशी पहुँच को सुनिश्चित करने के लिये एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी।
  • इससे सहकारी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद की भावना को भी बढ़ावा मिलेगा और देश के अन्य राज्य भी इस तरह की योजना शुरू करने के लिये प्रोत्साहित होंगे।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन

National Health Mission (NHM)

  • राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन राज्‍य सरकारों को वित्‍तपोषण उपलब्‍ध कराकर ग्रामीण और शहरी स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र को पुर्नजीवित करने का सरकार का एक महत्त्‍वपूर्ण कार्यक्रम है।
  • राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन में निम्नलिखित चार घटकों को शामिल किया गया है- राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य मिशन, राष्‍ट्रीय शहरी स्‍वास्‍थ्‍य मिशन, तृतीयक देखभाल कार्यक्रम, स्‍वास्‍थ्‍य एवं चिकित्‍सा शिक्षा के लिये मानव संसाधन।
  • इसके तहत संक्रामक और गैर-संक्रामक बीमारियों के दोहरे बोझ से निपटने के साथ ही ज़िला और उप-ज़िला स्‍तर पर बुनियादी ढाँचा सुविधाओं में सुधार किया गया है।
  • राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन में स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण के दो विभागों को राष्‍ट्रीय स्‍तर पर एकीकृत किया गया है। इस एकीकरण के परिणामस्वरूप देश की ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली को पुर्नजीवित करने के लिये स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में आवंटन बढ़ाने और कार्यक्रम कार्यान्‍वयन में महत्त्‍वपूर्ण समन्‍वय देखा गया है। इसी प्रकार का एकीकरण राज्‍य स्‍तर पर भी किया गया।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


आपदा प्रबंधन

आपदा राहत में बिग डेटा का प्रयोग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र एशिया-प्रशांत सामाजिक एजेंसी (UN‘s Asia-Pacific Social Agency-UNESCAP) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, तकनीकी नवाचार जैसे बिग डेटा (Big data) के प्रयोग से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आपदाओं का बेहतर पूर्वानुमान लगाने और इनके प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।

प्रमुख बिंदु

  • बढ़ते वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन ने इस क्षेत्र में बाढ़, चक्रवात और सूखे की आवृत्ति एवं तीव्रता में वृद्धि की है।
  • एशिया और प्रशांत क्षेत्र में आने वाली आपदाओं का इसकी GDP के कुल प्रतिशत के रूप में आकलन करने पर यह हानि विश्व के अन्य भागों की तुलना में कहीं अधिक है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, बिग डेटा के उपयोग से जोखिम में फंसे लोगों की पहचान करने व उनका पता लगाने, आपदा से पूर्व लोगों को चेतावनी जारी करने और आपदा के तुरंत बाद राहत कार्य करने, आदि में सहायता मिलेगी।
  • इस डेटा को कई स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है जिसमें सैटेलाइट इमेज, ड्रोन वीडियो, सिमुलेशन (Simulations), क्राउडसोर्सिंग (Crowdsourcing), सोशल मीडिया (Social Media) और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (Global Positioning Systems-GPS), आदि शामिल हैं।

आपदा जोखिम न्यूनीकरण में बिग डाटा का अनुप्रयोग:

  • बिग डेटा-संचालित सेंसर नेटवर्क निम्नलिखित तरीकों से आपदा को कम करने में मदद कर सकता है:
    • बाढ़ और चक्रवात का पूर्वानुमान अब कंप्यूटर सिमुलेशन से करने के साथ ही मशीन लर्निंग (Machine Learning) से बाढ़ की स्थिति और गंभीरता का अनुमान लगाया जा सकता है।'
    • उपग्रहों और ड्रोन के माध्यम से रिमोट सेंसिंग (Remote Sensing) का प्रयोग कर आपदा क्षति एवं प्रभावित लोगों का त्वरित आकलन करना ताकि आपदा प्रतिक्रिया को प्राथमिकता दी जा सके।
    • सेंसर वेब और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of Things) का कुशल संयोजन भूकंप से पूर्व चेतावनी प्रणाली को विकसित करने में सहायता कर सकता हैं।
    • भारत के डिजिटल ID सिस्टम (आधार) जैसे सार्वजनिक डेटा सूखे व आपदा से प्रभावित छोटे और सीमांत किसानों को लक्षित सहायता देने में मदद कर सकते हैं।

बिग डेटा

(Big Data)

  • बिग डेटा बड़े और विशेष प्रकार के डेटा का समूह होते हैं जिन्हें पारंपरिक डेटा भंडारण एवं प्रसंस्करण विधियों द्वारा संग्रहीत तथा विश्लेषण नहीं किया जा सकता है।
  • बिग डाटा, ऑनलाइन डेटाओं का एक संग्रहण है, जिसका उपयोग वाणिज्यिक कंपनी द्वारा अपने उपभोक्ताओं के व्यवहार को समझने के लिये किया जाता है। ये अपने उत्पादों एवं सेवाओं द्वारा उपयोगकर्त्ताओं के विषय में डाटा एकत्र करते हैं।
  • बिग डेटा को इसकी परिमाण (Volume), गति (Velocity), विविधता (Variety) के आधार पर सामान्य डेटा से अलग किया जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र एशिया-प्रशांत सामाजिक एजेंसी

(UN‘s Asia-Pacific Social Agency-UNESCAP)

  • UNESCAP, संयुक्त राष्ट्र के क्षेत्रीय कार्यालय के रूप में कार्य करता है जो समावेशी और सतत् विकास (Inclusive and Sustainable Development) के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • 53 देश इसके सदस्य है जबकि 9 इसके सहयोगी देश है।
  • इसका रणनीतिक उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्यों SDG के लिये एजेंडा 2030 का प्रभावी वितरण सुनिश्चित करना है।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

न्यू डेवलपमेंट बैंक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में न्यू डेवलपमेंट बैंक (New Development Bank- NDB) को पहली बार जापान क्रेडिट रेटिंग एजेंसी लिमिटेड (Japan Credit Rating Agency Ltd- JCR) द्वारा AAA रेटिंग प्रदान की गई है।

Brics 1

प्रमुख बिंदु:

  • जापान क्रेडिट रेटिंग एजेंसी लिमिटेड (Japan Credit Rating Agency Ltd- JCR) ने NDB को स्थायित्व के दृष्टिकोण के साथ AAA रेटिंग प्रदान की है।

जापान क्रेडिट रेटिंग एजेंसी लिमिटेड

(Japan Credit Rating Agency Ltd- JCR):

  • जापान क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एक वित्तीय सेवा कंपनी है, जिसकी स्थापना वर्ष 1985 में की गई थी।
  • यह एजेंसी जापानी कंपनियों, स्थानीय सरकारों और अन्य वित्तीय संस्थाओं के लिये क्रेडिट रेटिंग जारी करती है।
  • इसका मुख्यालय टोक्यो जापान में है।
  • AAA रेटिंग किसी संस्थान के डिफाॅल्ट होने की ‘न्यूनतम संभावना’ को व्यक्त करती है। इस प्रकार की रेटिंग से NDB में निवेश को लेकर निवेशकों में सकारात्मक माहौल पैदा होगा।
  • ब्रिक्स देशों जैसे; भारत BBB-, रूस BBB+ और चीन A+ की रेटिंग की अपेक्षा NDB को AAA जैसी उच्च रेटिंग दिया जाना इसके स्थायित्व को प्रदर्शित करता है।
  • NDB भारतीय अपतटीय बाज़ार के माध्यम से मसाला बाॅण्ड बाज़ार के धीमे होने के बाद संसाधन जुटाने का प्रयास कर रहा है।
  • NDB वर्तमान में भारतीय बाज़ार की परिस्थितियों का सूक्ष्मता से अध्ययन कर रहा है क्योंकि निवेशक बाज़ार में ब्याज दर को लेकर बहुत संवेदनशील होते हैं।
  • NDB वर्तमान में पाँच ब्रिक्स देशों में 37 परियोजनाएँ संचालित कर रहा है।

न्यू डेवलपमेंट बैंक

(New Development Bank- NDB):

  • वर्ष 2012 में नई दिल्ली में आयोजित चौथे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ विकासशील देशों में बुनियादी ढाँचा एवं सतत् विकास परियोजनाओं के लिये न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना पर विचार किया गया।
  • वर्ष 2014 में ब्राज़ील के फोर्टालेजा में छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स नेताओं ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
  • फोर्टालेजा घोषणा में कहा गया कि NDB ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को मज़बूत करेगा और वैश्विक विकास के लिये बहुपक्षीय तथा क्षेत्रीय वित्तीय संस्थानों के प्रयासों को पूरा करके स्थायी एवं संतुलित विकास में योगदान देगा।
  • NDB के संचालन के प्रमुख क्षेत्र हैं- स्वच्छ ऊर्जा, परिवहन, अवसंरचना, सिंचाई, स्थायी शहरी विकास और सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग।
  • NDB सभी सदस्य देशों के समान अधिकारों के साथ ब्रिक्स सदस्यों के बीच एक परामर्श तंत्र पर काम करता है।
  • NDB का मुख्यालय शंघाई (चीन) में है।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)


जैव विविधता और पर्यावरण

अमेज़न वन और संबंधित चिंताएँ

चर्चा में क्यों?

ब्राज़ील स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च (National Institute for Space Research-INPE) के आँकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2019 से अब तक ब्राज़ील के अमेज़न वन (Amazon Forests) कुल 74,155 बार वनाग्नि का सामना कर चुके हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • अमेज़न वन में आग लगने की घटना बीते वर्ष (2018) से कुल 85 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं।
  • इसके अलावा इस वर्ष अमेज़न वन में वर्षा की दर भी सामान्य से थोड़ा कम रही है।

अमेज़न वन

(Amazon Forests)

  • ये बड़े उष्णकटिबंधीय वर्षा वन हैं जो उत्तरी-दक्षिण अमेरिका में अमेज़न नदी और इसकी सहायक नदियों के जल निकासी बेसिन पर मौजूद हैं तथा 6,000,000 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर करते हैं।
    • यहाँ प्रतिवर्ष औसतन 230 सेंटीमीटर से अधिक की वर्ष होती है।
    • यहाँ का तापमान सामान्यतः 20 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।
  • अमेज़न वन ब्राज़ील के कुल क्षेत्रफल के लगभग 40 प्रतिशत हिस्से के अलावा उत्तर में गुयाना हाइलैंड्स (Guiana Highlands), पश्चिम में एंडीज़ पर्वत (Andes Mountains), दक्षिण में ब्राज़ीलियाई केंद्रीय पठार और पूर्व में अटलांटिक महासागर से भी घिरा है।

Amazon van

अमेज़न वन में लगी आग के पीछे के कारण

  • प्राकृतिक कारण: शुष्क मौसम आग और उसके प्रसार के लिये अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करता है।
  • मानव निर्मित कारण: 1960 के दशक से अमेज़न वन क्षेत्र में बहुत सी बिजली परियोजनाओं एवं खनन गतिविधियों की शुरुआत हुई, खेती के कारण बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की गई।
    • ज्ञातव्य है कि अमेज़न के समीप सोने (Gold) और अन्य खनिजों के वृहद् भंडार मौजूद है।
  • पर्यावरणविदों ने स्थानीय किसानों द्वारा जानवरों की चराई के लिये वनों को क्षति पहुँचाने का भी आरोप लगाया है।
    • ब्राजील के राष्ट्रपति ने यह स्पष्ट किया है कि उनके विचार में अमेज़न वन को व्यापारिक हितों के लिये खोल दिया जाना चाहिये ताकि देश-विदेश की खनन और कृषि संबंधी कंपनियों को संसाधनों के दोहन की अनुमति मिल सके।

संबंधी चिंताएँ

  • अमेज़न वर्षा वन समृद्ध जैव-विविधता का भंडार है और पृथ्वी के वायुमंडल में लगभग 20% ऑक्सीजन का योगदान देता है। वनों की कटाई से वनस्पतियों और वन्य जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है जिसके परिणामस्वरूप जैव-विविधता का भी ह्रास होगा।
  • वनों की कटाई से स्थानिक सांस्कृतिक विशेषता प्रभावित होगी क्योंकि ये समुदाय पूरी तरह से इन्हीं वनों पर निर्भर होते हैं। ब्राज़ील में कमांझा समुदाय (Kamanjha Community) विशेष रूप से इससे प्रभावित हो रहा है।
  • निर्वनीकरण (Deforestation) के कारण कार्बन चक्र पर नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव पड़ेगा साथ ही ग्रीनहाउस गैसों की प्रभावशीलता भी बढ़ जाएगी।
  • बढ़ती कृषि से वनोन्मूलन के साथ ही मृदा क्षरण भी होगा जिससे दीर्घकालिक स्तर पर कृषि क्षेत्र प्रभावित होगा और अंततः खाद्य सुरक्षा की गंभीर स्थिति भी उत्पन्न हो जाएगी।

स्रोत: द हिंदू


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (23 August)

  • भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की पाँचवें दौर की बैठक 21-22 अगस्त को काठमांडू में आयोजित हुई। इस बैठक के दौरान भारत और नेपाल के बीच खाद्य सुरक्षा और मानकों पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। इस पर नेपाल के खाद्य प्रौद्योगिकी और गुणवत्ता नियंत्रण विभाग (DFTQC) और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने हस्ताक्षर किये। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके नेपाली समकक्ष प्रदीप कुमार ग्यावली ने संबंधित प्रतिनिधियों के साथ इस बैठक की सह-अध्यक्षता की। इस बैठक के दौरान दोनों देशों ने विशेष रूप से कनेक्टिविटी और आर्थिक साझेदारी, व्यापार और पारगमन, बिजली और जल संसाधन क्षेत्रों, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ द्विपक्षीय संबंधों ​​की समीक्षा की। इस बैठक के दौरान वर्ष 1950 की शांति और मित्रता संधि की समीक्षा हुई और नेपाल-भारत संबंध पर एक रिपोर्ट का आदान-प्रदान किया गया। भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की चौथी बैठक नई दिल्ली में 27 अक्टूबर 2016 को आयोजित की गई थी।
  • भारतीय रेलवे ने पर्यावरण को प्‍लास्टिक के खतरे से बचाने के लिये पहल करते हुए रेलवे की सभी यूनिटों को 2 अक्‍टूबर से 50 माइक्रॉन से कम मोटाई वाले एकल उपयोग वाले प्‍लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है। इसके तहत एकल उपयोग वाली प्‍लास्टिक सामग्री पर प्रतिबंध लगाया जाएगा तथा सभी रेलवे वेंडरों को प्‍लास्टिक के बैग का उपयोग करने से बचना होगा। रेलवे कर्मचारियों को प्‍लास्टिक उत्‍पादों का उपयोग कम करने को कहा गया है। IRCTC विस्‍तारित उत्‍पादक जिम्‍मेदारी के हिस्‍से के रूप में प्‍लास्टिक की पेयजल वाली बोतलों को लौटाने की व्‍यवस्‍था लागू करेगा। शीघ्र ही प्‍लास्टिक की बोतलों को पूरी तरह तोड़ देने वाली मशीनें उपलब्‍ध कराई जाएंगी। मौजूदा समय में देश के 170 रेलवे स्टेशनों पर प्लास्टिक की बोतलों को नष्ट करने की व्यवस्था है। इसके अलावा रेलवे की सुविधाओं का उपयोग करने वालों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिये सूचना, शिक्षा और संचार संबंधी उपायों की मदद ली जाएगी।
  • लोकसभा सचिवालय ने संसद भवन परिसर में प्लास्टिक की बोतलों और एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। लोकसभा सचिवालय ने इसे लेकर जारी निर्देश में संसद भवन में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को प्लास्टिक के सामान के बजाय पर्यावरण अनुकूल थैलों या सामान का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों में एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। देशभर में ऐसे करीब दो हजार स्कूल है। इसके साथ ही देश के अन्य शैक्षणिक संस्थानों से इसके इस्तेमाल पर रोकथाम के ज़रूरी कदम उठाने को कहा है।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को महाराष्ट्र में अमरावती ज़िले के फूपगांव में हाल ही में किये गए उत्खनन में विदर्भ क्षेत्र में लौहकालीन बस्‍ती होने के प्रमाण मिले हैं। इस स्‍थल पर खुदाई दिसंबर, 2018 और मार्च, 2019 के बीच की गई थी। ASI की टीम ने फूपगांव के चंदर बाज़ार से पूर्णा बेसिन के दरियापुर के बीच के क्षेत्र में गहन सर्वेक्षण किया। यह स्थल तापी की प्रमुख सहायक नदी पूर्णा नदी के विशाल घुमावदार मार्ग में स्थित है, जो बारहमासी नदी हुआ करती थी, लेकिन वर्तमान में ऊपरी धारा में बांध का निर्माण हो जाने के कारण पूरी तरह सूख चुकी है। यह स्थल नदी के तल से लगभग 20 मीटर की दूरी पर स्थित है और पुराने ज़माने में पानी की तेज़ धार के कारण इसके एक-तिहाई हिस्से में बार-बार भूमि कटाव होता था। कुल 9 खाइयों में खुदाई की गई, जिनसे मकान और चूल्हा, पोस्ट-होल और कलाकृतियों जैसे अवशेष मिले। खुदाई के दौरान, 4 पूर्ण गोलाकार संरचनाएं मिली। उत्खनन से एगेट-कारेलियन, जैस्पर, क्वार्ट्ज और एगेट जैसे मोतियों की भी बड़ी मात्रा का पता चला। सभी खाइयों से लोहे, तांबे की वस्तुएं भी एकत्रित की गई हैं। बर्तनों के टूटे हुए टुकड़ों पर बड़ी मात्रा में भित्तिचित्रों के निशान मिले हैं। कालक्रमानुसार इस स्‍थान को 7 ईसा पूर्व और 4 ईसा पूर्व के बीच रखा जा रहा है।
  • 21 अगस्त को दुनियाभर में विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस का आयोजन किया गया। विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस की पहली बार घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 14 दिसंबर, 1990 को की थी। वैसे विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस का इतिहास वर्ष 1988 से शुरू होता है। इसे आधिकारिक तौर पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने शुरू किया था। उन्होंने 19 अगस्त, 1988 को इस पर हस्ताक्षर किये थे, जिसे 21 अगस्त को वरिष्ठ नागरिक दिवस के रूप सामने लाया गया था। रोनाल्ड रीगन पहले राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस को पेश करने वाले पहले व्यक्ति थे। विदित हो कि भारत सरकार अपने वरिष्ठ नागरिकों को कई सुविधाएँ देती है। 60 वर्ष से ऊपर के सभी नागरिक सभी सरकारी सुविधाओं के हकदार हैं। इन्हें रेलवे के किराए में 40 प्रतिशत छूट दी जाती है। सरकारी बसों में कुछ सीटें आरक्षित रखी जाती हैं। एयरलाइन्स में 50 प्रतिशत तक की छूट देने की व्यवस्था रखी गई है। बैंकों तथा अस्पतालों में भी इन्हें कई सुविधाएँ प्राप्त हैं। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य बुजुर्गों की स्थिति के बारे में जागरूकता फैलाना है और उन्हें शिष्टाचार की प्रक्रिया के माध्यम से समर्थन देना है। इस दिन को वृद्ध लोगों के कल्याण के लिये भी मनाया जाता है ताकि उनकी क्षमता, ज्ञान उपलब्धियों और योग्यता की सराहना की जा सके। इस वर्ष इस दिवस की थीम The Journey to Age Equality रखी गई है।

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