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जैव विविधता और पर्यावरण

आर्कटिक हिम में माइक्रोप्लास्टिक

  • 16 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में आर्कटिक क्षेत्र में व्यापक स्तर पर माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए हैं जो वायु संदूषण (Air Contamination) को प्रदर्शित करते हैं। वैज्ञानिकों ने स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इन कणों के दुष्प्रभाव पर भी चिंता व्यक्त की है।

प्रमुख बिंदु: 

  • एक अध्ययन में वायु के माध्यम से आर्कटिक और आल्प्स क्षेत्रों की बर्फ में फैले माइक्रोप्लास्टिक कणों का पता लगाया गया है। इन माइक्रोप्लास्टिक कणों के कारण श्वसन रोग जैसे स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं। 
  • पॉंच मिलीमीटर से कम लंबाई वाले टुकड़ों को माइक्रोप्लास्टिक कणों के रूप में परिभाषित किया जाता है। 
  • प्रत्येक वर्ष नदियों के माध्यम से कई मिलियन टन प्लास्टिक कचरे का महासागरों में प्रवाह होता है। महासागरों में लहरों की गति और सूर्य के पराबैंगनी प्रकाश के कारण प्लास्टिक छोटे- छोटे टुकड़ों में टूट जाता हैं।
  • अल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट (Alfred Wegener Institute) जर्मनी और इंस्टीट्यूट फॉर स्नो एंड एवलांच रिसर्च (Institute for Snow and Avalanche Research) स्विट्ज़रलैंड के वैज्ञानिकों द्वारा किये गए नए अध्ययन के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक कण वायुमंडल के माध्यम से लंबी दूरी तय करते हैं।
  • वर्ष 2015 से 2017 के बीच साइंस एडवांस (Science Advances) के वैज्ञानिकों ने ग्रीनलैंड में बर्फ का इंफ्रारेड इमेजिंग तकनीक (Infrared Imaging Technique) के माध्यम से विश्लेषण करने के बाद बताया कि बर्फ में अधिकांश माइक्रोप्लास्टिक हवा के माध्यम से ही प्रवेश कर रहे हैं।
  • आर्कटिक क्षेत्र के माइक्रोप्लास्टिक की सांद्रता, पश्चिमोत्तर जर्मनी के सुदूर स्विस, आल्प्स और ब्रेमेन (Bremen) क्षेत्रों की तुलना में कम है। 
  • आर्कटिक क्षेत्र में माइक्रोप्लास्टिक कणों की सांद्रता कम होने के बाद भी ये गंभीर रूप से स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने में सक्षम हैं।
  • नए अध्ययन के विपरीत विशेषज्ञ अब तक मानते थे कि हवा के माध्यम से भूमध्य रेखा के पास के पराग (Pollen) आर्कटिक क्षेत्र में समाप्त हो जाते हैं और सहारा रेगिस्तान की धूल हज़ारों किलोमीटर की दूरी तय कर पूर्वोत्तर यूरोप में समाप्त हो जाती है।

माइक्रोप्लास्टिक कणों के प्रभावों पर अभी तक बहुत कम अध्ययन किया गया है। इसलिये इनके कारकों और स्वास्थ्य दुष्परिणामों पर विस्तृत अध्ययन किया जाना चाहिये।

माइक्रोप्लास्टिक्स (Microplastics): 

  • माइक्रोप्लास्टिक्स पाँच मिलीमीटर से कम लंबे प्लास्टिक के टुकड़ें होते हैं।
  • जल निकायों में इनका प्रवेश अन्य प्रदूषकों के वाहक का कार्य करता है। ये खाद्य श्रृंखला में कैंसरजन्य रासायनिक यौगिकों के वाहक होते है।
  • प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर में उच्च स्तर के माइक्रोप्लास्टिक्स पाए जाते हैं।

स्रोत: द हिंदू

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